पश्चिम बंगाल चुनाव में हिन्दू मतदाताओं की स्वतःस्फूर्त रणनीति !



कोलकता के स्पॉटलाईट मीडिया में समुद्र गुप्ता का एक आलेख प्रकाशित हुआ है, जिसके अनुसार स्वतःस्फूर्त विवेकपूर्ण हिन्दू रणनीति के कारण इस बार के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2016 में इस्लामी चरमपंथ पर अंकुश लगा है ।

294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की 211 सीटों के साथ जबरदस्त वापसी और वह भी बिना किसी गठबंधन के, किसी चमत्कार से कम नहीं है ।

कांग्रेस और वाम गठबंधन का प्रदर्शन बहुत ही दयनीय रहा, यहाँ तक कि उसके मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदार कामरेड सूर्यकांत मिश्र भी पराजित हो गए ।

भाजपा ने पहली बार अपनी अधिकतम तीन संख्या के साथ पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रवेश किया है ! भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष खड़गपुर सदर से विजयी हुए हैं ।

इससे पूर्व पश्चिम बंगाल में उपचुनाव के माध्यम से भाजपा के दो विधायक विधानसभा तक पहुंच पाए थे ! किसी आम चुनाव में जीत का स्वाद भाजपा ने पहली बार चखा है ।

पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव 2016 के अंतिम परिणाम इस प्रकार है –

टीएमसी -211, कांग्रेस -44, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी-26, भाकपा -1, आरएसपी -3, फॉरवर्ड ब्लॉक -2, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा -3, भाजपा -3, निर्दलीय -1 ।

इस परिणाम से यह बहुत स्पष्ट है कि जनता ने शारदा, नारद या पोस्ता पुल घोटालों को नजरअंदाज कर ममता बनर्जी पर विश्वास जताया है तथा कांग्रेस और बाम दलों के गठबंधन को खारिज कर दिया है !

इस बार के चुनाव का एक महत्वपूर्ण विन्दु भी ध्यान देने योग्य है ! इस बार मुस्लिम राजनीति की जमावट इस प्रकार की गई थी, कि उसके अधिकतम विधायक जीत कर पश्चिम बंगाल विधानसभा में पहुंचें ! इसके लिए विशेष रूप से टीपू सुल्तान मस्जिद और फुरफुरा शरीफ में योजना बनाई गई थी ! उनका प्रयत्न था कि हर राजनैतिक दल से मुस्लिम उम्मीदवार जीतें ! मोटा अनुमान लगाया जा रहा था कि मुस्लिम विधायकों की संख्या इस बार सर्वाधिक होगी और 70 से ज्यादा विधायक मुस्लिम होंगे ।

पिछले दो विधानसभा चुनावों में लगातार मुस्लिम विधायकों की संख्या बढ़ती रही है । 2006 के चुनाव में 45 मुस्लिम विधायक थे, जो 2011 में बढ़कर 60 हो गए ! जबकि इस बार के चुनाव में उनकी संख्या 59 ही रही है ।

2006 के चुनाव में बाम मोर्चे से 34, कांग्रेस से 7 और तृणमूल कांग्रेस से 4 मुस्लिम विधायक विजई हुए थे ! जबकि 2011 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस से सर्वाधिक 26, कांग्रेस से 14,बाम मोर्चे से 19 और 1 निर्दलीय विजई हुए थे ! इस बार भी विजई मुस्लिम विधायकों की सर्वाधिक संख्या तृणमूल कांग्रेस से ही है ! तृणमूल कांग्रेस से 33, कांग्रेस से 17,सीपीएम से 8 और फॉरवर्ड ब्लाक से 1 मुस्लिम विधायक बने हैं !

यह स्पष्ट है कि मुसलमानों विधायकों की संख्या टीएमसी और कांग्रेस में बढी है, जबकि वामपंथीयों में उल्लेखनीय कमी हुई है ।

एक विश्लेषण के अनुसार इस बार पश्चिम बंगाल की राजनीति में पहली बार हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण दिखाई दिया है ! अभी तक जो रणनीति मुस्लिम तबका अपनाता था कि जीतने की अधिक संभावना वाले उम्मीदवार के पक्ष में होकर भाजपा को हराओ, लगभग वही रणनीति हिन्दू मतदाताओं में दिखाई दी है, और उंहोने अपने मत विभाजित नहीं होने दिए ! 

बजबज एसी में, तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार अशोक कुमार देब ने कांग्रेस के मुजीबुर्रहमान को 7159 मतों से पराजित किया । हिन्दुओं ने भाजपा प्रत्याशी उमाशंकर घोष दस्तीदार को भी अधिक वोट नहीं किये । 

इस तरह के भी उदाहरण हैं, जहां मुस्लिम टीएमसी उम्मीदवार था, वहां हिन्दू सीपीएम प्रत्यासी जीता ! रानीगंज में भाजपा ने ऐसा उम्मीदवार उतारा जो तृणमूल के हिन्दू वोटों में सेंध लगा सके । 

इस्लामपुर से सदा मुस्लिम उम्मीदवार ही विजई होते रहे हैं, किन्तु इस बार वहां से कांग्रेस के कनीलाल अग्रवाल ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री अब्दुल करीम चौधरी को हराकर मैच जीत लिया। यहाँ भी भाजपा के सौम्यरूप मंडल ने तृणमूल कांग्रेस के हिंदू वोट बड़ी संख्या में छीन लिए ।

इसके विपरीत कुलपी, काकद्वीप या डायमंड हार्बर में हिन्दू वोट तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में गोलबंद हुए !

वर्तमान चुनाव प्रणाली की बिसंगति ही कही जायेगी कि 10.2% वोट पाकर भाजपा को महज तीन सीटें मिलीं, जबकि केवल 2% अधिक वोट अर्थात 12.3% पाकर कांग्रेस 44 सीटों पर विजई हुई । इतना ही नहीं तो 19.7% वोट पाकर भी मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी 26 सीटें ही जीत पाई !

किन्तु अब इतना तो तय है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा की उपस्थिति के कारण तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति पर अंकुश लगेगा ! भाजपा के तीनों विधायक दिलीप कुमार घोष (खड़गपुर सदर), मनोज तिग्गा (मदरिहट) और स्वधिनी कुमार सरकार (बैष्णवनगर) के सामने चुनौती केवल अपनी विधानसभा के लोगों का विश्वास बहाल रखना भर नहीं है, बल्कि राज्य के दूसरे हिस्सों को अपनी सुगंध से सराबोर करना भी है ! उन्हें ध्यान रखना होगा कि वे भविष्य में बनने वाली भाजपा की इमारत के आधार स्तम्भ हैं ।

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