हे भगवान दिग्विजय सिंह जी के इत्ते बुरे दिन ?



आजकल दिग्विजय सिंह जी सबसे ज्यादा घबराये हुए और चिंतित दिखाई दे रहे हैं ! जैसे कोई डूबता हुआ इंसान तिनके का सहारा ढूँढता है, कुछ बैसे ही वे सोशल मीडिया पर अपनी लाईन के लोगों को ढूंढकर फिर उन्हें धडाधड रिट्वीट पर रिट्वीट कर रहे हैं ! एक कोई महाशय हैं, डॉ. जितेन्द्र अव्हद (Dr. jitendra awhad) आज उन पर ख़ास तबज्जो है ! डॉ. जितेन्द्र ने indian expres के एक आलेख को आधार बनाकर संघ पर निशाना साधा है, और उसे दिग्विजय सिंह जी ने सर माथे लिया है !

तो पहले बात indian expres में छपे समाचार की –

सोमवार को कांग्रेस महासचिव मोहन प्रकाश ने मुम्बई में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह दावा किया कि महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को आगाह किया था कि 2008 में हुए मालेगांव बम धमाकों से जुड़े लोगों से उन्हें भी जान का खतरा है ! उनकी इस चेतावनी के बाद, भागवत की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी । मोहन प्रकाश ने आरोप लगाया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी इस समूह के साथ जुड़ी हुई थीं, हालांकि उन्होंने उस संगठन का नाम नहीं लिया ।

(अब सबसे हैरत की बात, जो मोहन प्रकाश ने कही, जिसे पढ़कर आप भी चोंक जायेंगे) प्रकाश ने कहा कि अगर आरएसएस राष्ट्रवादी संगठन है तो उसे भागवत को आगे आकर करकरे के साथ हुई चर्चा को सार्वजनिक करना चाहिए ! 

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जब एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले, तब उन्हें भी इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं से अवगत कराया गया, विस्फोटों में उसकी भूमिका का पूरा विवरण दिया गया । उसके बाद आडवाणी जी ने साध्वी का बचाव नहीं किया । 

महाराष्ट्र में कांग्रेस के पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश ने पूछा कि क्या आडवाणी जी अब लोगों के सामने आकर सच बोलेंगे ? उन्होंने आरोप लगाया कि भगवा आतंकवाद शब्द पूर्व गृह सचिव आर के सिंह ने गढ़ा था, जो अब भाजपा के लोकसभा सांसद हैं । भाजपा को हमें एक समुदाय के नाम पर बदनाम करने के पहले आर के सिंह से कुछ जानकारी लेना चाहिए ।

पाठक मित्रों को क्या लगता है ? आतंकवाद और तुष्टीकरण इन दोनों बिन्दुओं पर बदनाम कांग्रेस खुद प्रेस कांफ्रेंस कर बेसिरपैर के आरोप लगाती है, और समर्थन चाहती है संघ व भाजपा नेतृत्व से ! घवराहट तो दिग्विजय सिंह जी की देखते बनती है ! वे बेचारे खुद पत्रकार वार्ता करना तो दूर ट्वीट करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे, इसलिए अपने से बहुत छोटी कद काठी के नेता नेता मोहन प्रकाश की पत्रकार वार्ता के बिन्दुओं को अपने एक सिपहसालार से ट्वीट करवाते है, फिर उन्हें रिट्वीट करते हैं ! 

हे भगवान किसी समय के नीति नियंता के इतने बुरे दिन ? सच है - 

तुलसी हाय गरीब की कबहुं न खाली जाए, 

मरी खाल की आह सों लौह भसम हुई जाये !

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