घरों से चुराए गए बच्चे और भिखारियों का नेटवर्क !


"भिखारी के हाथ में बच्चा क्यों सो रहा है, क्या आपने कभी सोचा है ..."भाजपा सरकार बनने के बाद जो शुरूआती घोषणायें हुईं, उनमें से एक थी भीख मांगने वाले बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने की ! वे जिसके साथ जी रहे हैं, क्या वे सच में उनके माता पिता हैं ? कहीं किसी के बच्चे को चुराकर उसे भिक्षावृत्ति में नहीं धकेला गया ! उस समय यह घोषणा सुनकर पढ़कर बहुत अच्छा लगा था ! किन्तु दुर्भाग्य से उसके बाद इस विषय पर कुछ काम हुआ है, ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली ! सब कुछ पूर्ववत चल रहा है ! 

ऐसे में जब आज जब यह लेख पढ़ा तो मन पुनः खिन्न हो गया | यह लेख मेरा नहीं है | एक इंग्लिश लेख का भाषांतर मात्र मैंने किया है | किन्तु मुझे यह मुद्दा विचारणीय अवश्य लगता है | कृपया आप भी पढ़ें यह अनुवाद .....

"" मेट्रो स्टेशन के पास गंदे फर्श पर बैठी एक महिला, उलझे गंदे बाल, झुका हुआ सर | उसकी गोदी में सोया हुआ एक दो साल का बच्चा, गंदे लिबास में |

सामने एक थैला जिसमें लोग दयापूर्वक पैसे फेंकते जा रहे थे |

मदद करना किसे बुरा लगता है ? राहगीरों में से अनेक इस हतभागी माँ बेटे पर उदारता लुटाते जा रहे थे | सबको लग रहा था कि "अच्छा काम किया" ...

किसे पता था कि भिखारियों के इस नेटवर्क के संचालक प्रतिदिन भिखारियों से पैसा बसूल कर शाम को बोदका पीने और रंगरेलियां मनाने में मशगूल हो जाते हैं | वे लोग लक्जरी संपत्ति और कारों के मालिक हैं |

ओह, और भिखारी भी तो "शाम को सींक कबाब देशी शराब की बोतल" में टुन्न मिलते हैं |

यह तो साधारण बात है, लेकिन एक दिन अकस्मात् मेरा ध्यान इस बात पर गया कि भिखारी महिला के पास सोया बच्चा न तो रोता था और न उसमें कोई हलचल होती थी | मुझे नहीं लगता कि पाठकों में से भी कोई अपने बचपन में लगातार दो तीन घंटे लगातार सोया होगा | कम से कम मैंने नहीं देखा | दोपहर में झपकी लेना फिर जागकर कुछ ऊधम करना फिर कुछ समय के लिए ऊंघना यही होता है न, किन्तु बिना किसी हलचल के इतने छोटे बच्चे का शोरशराबे में भी लगातार सोते रहना मुझे अजीब लगा | मेरा संदेह बढ़ा तो मैंने उस महिला से पूछ ही लिया - वह हर समय सोता क्यों है ? 

उसने अनसुना किया तो मैंने फिर सवाल दोहराया | उसने मेरी पीठ के पीछे देखा एकदम अनजान नज़रों से, होठ फड़फड़ाये पर शब्द बाहर नहीं आये | मैंने लगभग चीखकर पूछा वह क्यों सो रहा है ? 

तभी किसी ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा | मैंने मुड़कर देखा, एक बूढा आदमी कुछ नामंजूरी से मुझे देख रहा था | उसने कुछ तल्खी से कहा, “आपको तो जीवन में सब कुछ मिल गया है | अब जिनके पास कुछ नहीं है, उन्हें परेशान तो न करो |” फिर उसने अपनी जेब से कुछ पैसे निकालकर भिखारन के थैले में डाले और मेरी तरफ नफ़रत भरी नज़रों से देखता हुआ एक तरफ चला गया |

मैं भी अपने आप को एक संगदिल के रूप में महसूस करता चुपचाप अपने घर की तरफ बढ़ गया | लेकिन जहन में से उस सोते हुए बच्चे का अक्स था कि निकल ही नहीं रहा था | अगले दिन मैंने अपने एक दोस्त को फोन किया जो लगातार रेलवे स्टेशन के आसपास ही अपना घुमंतू जीवन गुजारता था | बैसे आदमी अजीब था, बेपढ़ा लिखा किन्तु दुनियादारी से पूरी तरह वाकिफ | जब मैंने उसे अपनी उलझन बताई तो उसने बिना एक भी क्षण बिताये जबाब दिया कि बच्चा बोडका या हीरोईन के नशे में रहता है | मैं हक्का बक्का रह गया | इतना छोटा दो तीन साल का बच्चा और ड्रग्स के डोज में ? कितना झेल पायेगा उसका नाजुक शरीर ? पर मेरे दोस्त के पास उसका भी जबाब तैयार था | वह उस भिखारन का बच्चा होगा तभी तो चिंता करेगी न ? बच्चा तो कहीं से चुराया हुआ ही होता है | जब तक जिया तब तक जिया, उठ गया तो दूसरा मिल जाता है | और मरे बच्चे के अंतिम संस्कार के नाम पर भी कुछ दयानतदार और ज्यादा दान देकर पुण्य कमा लेते हैं |

दूसरे दिन मैं कुछ ज्यादा तैयारी के साथ उस सोते बच्चे वाली माँ के पास गया उसी पुरानी जगह और डांट कर पूछा बताओ यह बच्चा क्यों सो रहा है, वरना मैं अभी पुलिस को बुलाता हूँ | मेरा इतना कहना था कि वह औरत तीर की तरह वहां से भाग गई | आसपास के राहगीर आज मेरा साथ दे रहे थे | मैंने कई दिन तक उस जगह पर उस महिला को तलाशा किन्तु वह नहीं आना थी नहीं आई | वह तो नहीं आई, किन्तु मैंने तय किया कि अपने शक को जग जाहिर करूंगा | शायद भीख देने की प्रवृत्ति पर कुछ अंकुश लगे और बच्चा चोर गिरोह के मंसूबे ध्वस्त हों | किसी अपरिचित पर अकारण दया न दिखाएँ | यह दया नहीं बल्कि अपराधियों को प्रोत्साहन है | 

यह तो हुई लेख की बात, पर सरकार से पुनः आग्रह है, कि अपनी घोषणा को अमलीजामा पहनाएं ! इस विषय को अपनी प्राथमिकता में शामिल करें ! न जाने कितने गुमशुदा बच्चों की माएं खून के आंसू रोती होंगी ! बच्चा चोर गिरोहों के नेटवर्क को तोड़ने से उनके आशीष आपको मिलेंगे !

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें