शिवपुरी अंचल के हरदिलअजीज नेता लक्ष्मीनारायण गुप्ता "नन्ना" !



यूं तो मेरा और नन्ना का परिचय 1972 से है, किन्तु 1975 के आपातकाल में उनके द्वारा मीसाबंदियों की जो मदद की गई, उसके चलते मेरी और उनकी आत्मीयता प्रगाढ़ हुई ! 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में शायद लक्ष्मीनारायण गुप्ता उपाख्य “नन्ना” पहली बार सिंधिया राजपरिवार के विरुद्ध गये व जनता पार्टी प्रत्यासी कर्नल गुरुबख्श सिंह का साथ दिया ! यह अनहोनी घटना थी ! क्योंकि जब वे संविद शासन के दौरान राजस्व मंत्री बने, तो उनके विरोधी उन्हें महल का पटवारी कहकर मजाक बनाते थे !

खैर बात 77 की, वे मीसाबंदी नहीं रहे थे, अतः इस आधार पर श्री गोपाल कृष्ण डंडौतिया को पिछोर विधानसभा चुनाव से टिकिट देने की चर्चा शुरू हुई ! सरलमना लक्ष्मीनारायण जी को इसमें कोई आपत्ति भी नहीं थी ! किन्तु गोपाल जी ने स्पष्ट शब्दों में पिछोर से चुनाव लड़ना अस्वीकार कर दिया ! उनका कहना था कि पिछोर लक्ष्मीनारायण जी की कर्मभूमि है, वहां से उन्हें ही टिकिट मिलना चाहिए ! और फिर वे भले ही अपने दामाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर नीखरा जी के कारण मीसाबंदी न रहे हों, उन्होंने मीसाबंदी परिवारों की सार संभाल तो की है !

किन्तु टिकिट फिर भी नन्ना को नहीं मिला और संगठन कांग्रेस कोटे से स्व. कमलसिंह जी पडरिया को टिकिट भी मिला और वे विधायक भी बन गए !

आज जबकि पिछोर के ही नहीं सम्पूर्ण शिवपुरी जिले के हरदिल अजीज “नन्ना” अपने सार्थक जीवन के सौ वर्ष पूर्ण कर चुके हैं, मेरी आँखों में उनकी जो छवि हठात आ जाती हैं, वह आज के राजनैतिक परिवेश में तो किसी राजनेता की होना संभव ही नहीं है ! केबिनेट मंत्री रहते हुए पिछोर वासियों से ठसाठस भरी हुई लाल बत्ती की गाडी में सिकुड़े से बैठे हुए नन्ना ! पिछोर की सड़क पर सुबह अपनी गाय को हांकते हुए नन्ना ! उम्र के इस पड़ाव पर भी हर पिछोरवासी के सुख दुःख में सहभागी नन्ना ! सारा परिवार झांसी में रहता है, लेकिन 104 वर्षीय नन्ना की जिद्द है, पिछोर नहीं छोडूंगा। और पिछोरवासी भी अपने परिवार के बुजुर्ग की तरह उनकी सार संभाल करते हैं। 

उनके धुर राजनैतिक विरोधी पिछोर के वर्तमान विधायक के.पी. सिंह भी उनकी भूरि भूरि प्रशंसा करते नहीं अघाते ! हालांकि इसमें एक मुख्य कारण उनका राजनैतिक स्वार्थ भी है, क्योंकि वे जानते हैं कि इलाके के वैश्य मतदाताओं पर नन्ना का कितना प्रभाव है ! किन्तु यह बात निर्विवाद है कि नन्ना की सहजता, सरलता, ईमानदारी व विनम्रता का हर कोई कायल है ! आज की राजनीति में क्या कोई यह सोच सकता है कि जो निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने एक ही निर्वाचन क्षेत्र से 6 बार विधायक और 2-2 बार केबीनेट मंत्री रहा हो, उस पूर्व मंत्री के निवास पर न तो टेलीफोन है और न ही मोबाइल। वर्तमान राजनीतिक धींगा-मस्ती के दौर में इनका न कोई बंगला है न चमचमाती कार। एक पुश्तैनी मकान है जहाँ आज भी लोग अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर आ पहुँचते हैं। 

जीवन यात्रा -

ईसागढ़ में दिनांक 6 जून 1918 को जन्मे श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता के पिता का नाम श्री पन्नालाल गुप्ता था ! ग्वालियर राज्य में वकील रहे शिवपुरी जिले के पिछोर क्षेत्र के १०० वर्षीय लक्ष्मीनारायण गुप्ता को क्षेत्र की जनता नन्नाजी नाम से बुलाती है। स्वतंत्रता के पूर्व 1944 में उनका सार्वजनिक जीवन हिन्दूमहासभा से प्रारंभ हुआ ! 1945 में ग्वालियर राज्य के प्रजासभा (विधानसभा) के निर्वाचन में विजई हुए हिन्दू महासभा के प्रत्यासी चनावनी के दीवान वरजोर सिंह के सहयोगी की भूमिका में क्षेत्र की जनता ने इन्हें जाना, माना ! 

इसी वर्ष प. रामचंद्र शर्मा "वीर" ने हिन्दू जागरण का बिगुल बजाया ! संत पान्चगांवकर ने पिछोर में विशाल हिन्दू जागरण महायज्ञ किया जिसमें 30 हजार से अधिक श्रद्धालु जन सम्मिलित हुए ! ग्वालियर स्टेट के तत्कालीन महाराज जीवाजीराव सिंधिया के प्रतिनिधि स्वरुप पंवार साहब यज्ञ में उपस्थित हुए ! 1947 में श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे ! यह बात शिवपुरी वासियों को गौरव प्रदान करने वाली है कि उस समय स्व. डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे ! 

1948 में महात्मा गांधी जी की निर्मम ह्त्या के बाद श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता को भी गिरफ्तार किया गया ! इनके साथ ही शिवपुरी के श्री राजबिहारी लाल सक्सेना, श्री बुद्धिशरण जी, श्री नारायण सेठ, श्री रामसिंह व रा.स्व.संघ के जिला प्रचारक श्री शास्त्री जी भी गिरफ्तार किये गए ! एक माह बाद ये सभी रिहा हुए !

1949 में गुप्ताजी सहकारी बैंक के डायरेक्टर बने ! 1952 के निर्वाचन में पिछोर को दो निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा गया ! श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता पिछोर उत्तर से चुनाव लडे तथा 700 वोटों से निर्वाचित घोषित हुए ! 1953 में कश्मीर आन्दोलन में भाग लेते हुए गुप्ता जी ने दिल्ली में सत्याग्रह कर गिरफ्तारी दी ! कुछ दिन तिहाड़ जेल में तथा बाद में उन्हें पंजाब की फीरोजपुर जेल में रखा गया ! 

श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने लगातार 1957, 1962 तथा 1967 के चुनावों में सफलता प्राप्त की ! 1967 में राजमाता सिंधिया की स्वतंत्र पार्टी एवं 1990 में भाजपा की ओर से वे निर्वाचित हुए । उनकी लोकप्रियता का अंदाज इस बात से लगता है कि 1967 के चुनाव में जहाँ उन्हें 29000 से अधिक वोट प्राप्त हुए, वहीं उनके कांग्रेसी प्रतिद्वंदी को महज 3000 के लगभग वोट ही मिल सके ! यह गुप्ता जी का प्रभाव था कि 1944 से 1972 तक पिछोर में कांग्रेस को झंडा लगाने वाला भी नहीं मिलता था !

1967 में गोविंद नारायण सिंह और 1990 में सुंदरलाल पटवा के मुख्यमंत्री काल में लक्ष्मीनारायण गुप्ता राजस्व मंत्री रहे, शिवपुरी अंचल के हरदिलअजीज नेता, अपने सार्थक और यशस्वी जीवन के कारण जनमन नायक हैं, उनका हार्दिक अभिनन्दन ! 


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