महाभारत की सीख : खत्म हो आयकर – शुभेंदु पाठक के अंगेजी लेख का हिन्दी अनुवाद


इतिहास ने बार-बार चेताया है कि यदि आयकर शून्य तो अर्थव्यवस्था मजबूत !

महाभारत में कृष्ण ने आयकर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए कंस के खिलाफ अभियान चलाया । उन्होंने गोकुल के निवासियों को कंस द्वारा उन पर लगाए गए इनकम टैक्स (कर) का भुगतान न करने हेतु प्रोत्साहित किया। गोकुल के लोगों और मथुरा राज्य के बीच संघर्ष की परिणती कृष्ण के हाथों कंस की मृत्यु से हुई । इस प्रकरण में और संयुक्त राज्य अमेरिका में घटित घटनाओं में अद्भुत साम्य है । 1765 में, अमेरिकी औपनिवेशिक समाज ने ब्रिटिश शासन द्वारा उन पर कर लगाने के अधिकार को चुनौती दी । यह संघर्ष इतना बढ़ा कि अंततः ब्रिटिश पराजित हुए और 1776 में अमेरिका स्वतंत्र हुआ ! स्वतंत्रता के बाद 1776 और 1913 के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका की वृद्धि इतनी तेज गति से हुई कि वह एक महाशक्ति बन गया ! अमेरिका में आयकर नहीं है, (केवल कंपनियों के लाभ पर टेक्स लगता है) ! लोगों द्वारा अर्जित धन उनके ही हाथों में रहता है, जिसे वे मनमाफिक ढंग से खर्च कर सकते हैं ।

कृष्ण ने गोकुल के लोगों को अपने करों का भुगतान न करने के लिए कैसे समझाया ? 

उन्होंने लोगों को बताया कि कैसे एक राजा के रूप में कंस ने गोकुल के लोगों की संपत्ति और उनके जीवन की रक्षा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया था । महाभारत शुरू होता है राजा भरत से जिन्होंने सरकार (राजा) की भूमिका को परिभाषित करने का काम किया । उन्होंने अपने नौ बेटों में से किसी को भी सिंहासन का उत्तराधिकारी नहीं बनाया ! उन्होंने जोर देकर राजा की तीन जिम्मेदारियों का वर्णन किया । 

पहली जिम्मेदारी बाहरी हमलों से लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा, दूसी लोगों को न्याय प्रदान करना और तीसरी योग्य उत्तराधिकारी मनोनीत करना ।

भरत ने राजा की जिम्मेदारी के रूप में धन के पुनर्वितरण का उल्लेख नहीं किया। इस सिद्धांत का उल्लंघन आगे चलकर दुर्योधन ने किया ! जब उसे पांडवों से खतरे का अहसास हुआ, तब उसने ही राज कोष से धन देकर हस्तिनापुर के लोगों को अपने पक्ष में करने का यत्न किया । सेवा या उपकार हिंदू संस्कृति में अंतर्निहित है। जब सरकार इसे अपने हाथ में ले तो इससे केवल लोगों का उसके प्रति अविश्वास प्रदर्शित होता हैं।

1930 में एफडीआर के नए समझौते के बाद से, अमेरिका ने भी कम से कम कराधान और सीमित सरकार के सिद्धांत का परित्याग कर दिया और दुर्योधन के पथ पर चलना शुरू कर दिया । 2008 में, वॉल स्ट्रीट कैसीनो में जुआ खेलने की अनुमति के बाद तो अमेरिकी सरकार ने लोगों के सामने ही संविधान का उसी तरह चीरहरण किया, जैसे दुःशासन ने पांडवों की पत्नी द्रौपदी का करने की कोशिश की थी ! 

भारत सरकार को महाभारत से सीख लेते हुए डॉ सुब्रमण्यम स्वामी को सुनना चाहिए, जो लम्बे समय से आयकर समाप्त करने की बात कहते आ रहे हैं । सरकार भारत के लोगों पर आयकर के बोझ के बिना भी महाभारत में निर्धारित तीनों मुख्य कार्य कर सकती है।

आयकर से छुटकारा पाने और न्यायपालिका को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है । विगत सत्तर साल से गरीबी में फंसा देश बारबार सत्ताधीशों को एक ही गलती दोहराते हैरत से देख रहा है । दंभ की हथकड़ी तोड़कर भारत सरकार सही दिशा में बढे ।

साभार आधार - https://www.pgurus.com/abolishing-income-tax-lessons-mahabharata/
 
एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें