राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक परमपूज्य डॉ. हेडगेवार - पूज्य श्री सुदर्शन जी



आदर्शों का बारम्बार स्मरण नई दृष्टि, नया उत्साह देता है ! शालीवाहन ने मिट्टी के हाथी, घोड़े, रथ, सिपाही बनाए, फिर उनमें प्राण फूंके ! डाक्टर साहब ने भी मृतप्राय हिन्दू समाज को प्राणवान करने का बीडा उठाया ! आंध्र प्रदेश की तहसील बोधन का कन्द्कुर्ती गाँव जहां हरिद्रा बंजारा गोदावरी नदी के तट पर हेडगेवार परिवार रहता था ! जैसे कर बैसे भर ! विद्या प्राप्त कर दान करना सबसे पवित्र माना जाता है ! परिवार का यही पुस्तैनी कार्य ! परिवार की एक शाखा नागपुर आकर बसी ! बहीं बलीराम रामचंद्र पन्त के यहाँ १ अप्रैल १८८९ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को डाक्टर साहब का जन्म हुआ ! गुडी का अर्थ होता है ध्वज ! उस दिन हर घर में ध्वज उभारा जाता है ! सबसे छोटे केशव, मंझले सीताराम, बड़े रामचंद्र ! पुरोहित्य कर उपजीविका ! तभी प्लेग फैला ! बलीराम जी सेवाभावी ! हर घर में जाकर औषधि करते बाहर पहुंचाते ! सहधर्मिणी रेवतीबाई भी उनका साथ देतीं ! पति पत्नी दोनों सेवा कार्य करते ! दोनों को प्लेग हो गया, परलोक सिधारे ! 

१२ साल के केशव ! स्मरणशक्ति असाधारण ! छुटपन से ही देशभक्ति का भाव ! महारानी विक्टोरिया के सिंहासन पर बैठने के ६० वर्ष पूर्ण होने पर एक बड़ा जलसा हुआ ! स्कूलों में बच्चों को मिठाई बांटी गई ! केशव ने सोचा बह हमारी महारानी नहीं ! लूट खसोट करने बाले, हजारों के हत्यारे अंग्रेजों की महारानी ! इन्होने मिठाई नाली में फेंक दी ! एक विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसमें हमारा ध्वज उतर रहा था, अंग्रेजों का चढ रहा था ! इनको वेदना हुई ! एक आँगन में गड्ढा खोदने लगे ! मकान मालिक ने पूछा क्या कर रहे हो, तो कहा बर्डी किले से अंग्रेज ध्वज उतारने को सुरंग खोद रहे हैं ! अंग्रेजों ने वंदे मातरम पर प्रतिवंध लगाया था ! एक दिन शाला निरीक्षक स्कूल में आये ! कक्षा में गए तो छात्रों ने वंदे मातरम कहकर स्वागत किया ! अधिकारी झल्लाकर दूसरी कक्षा में गए तो बहां भी यही हुआ ! जिस कक्षा में वो गए हर जगह वंदे मातरम का उद्घोष सुनने को मिला ! अधिकारी ने प्राचार्य से जबाब तलब किया ! किसने जहर भरा है, एक महीने में बताओ ! तब तक स्कूल बंद ! प्राचार्य ने कहा कि सभी माफी मांग लें तो स्कूल शुरू हो सकता है ! और कुछ नहीं कर सकते तो अधिकारी पूछें तो मुंडी हिला देना ! वो इसके लिए भी तैयार नहीं हुए ! तभी यवतमाल में तिलक जी ने स्कूल खोला, उसमें गए ! शिकायत होने पर बह स्कूल भी बंद हो गया ! फिर पुणे से मेट्रिक पास किया ! 

डाक्टर बनने को कलकत्ता गए ! बहां महाराष्ट्र निवास में रहे जो क्रांतिकारियों का केन्द्र बन गया और ये उनके अंतरंग मंडल में पहुँच गए ! उस अवधी में बम बनाना भी सीखा ! बाद में डाक्टर बनकर घर आये ! सबने कहा विवाह करो ! इन्होने कहा ये सामान्य जीवन मैं नहीं जिऊंगा ! परतंत्र राष्ट्र को स्वतंत्र करने का कार्य करना है ! कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन चलाया तो ये भी उसमें सम्मिलित हो गए ! मौलाना मोहम्मद अली और शौकत अली कांग्रेस में शामिल होकर खिलाफत आंदोलन चला रहे थे ! तुर्की में कमालपाशा ने खलीफा को हटा दिया था ! गांधीजी ने मुसलमानों को साथ लेने के लिए इस आंदोलन में साथ दिया ! गांधी जी ने सोचा कि हिन्दू और मुसलमान मिलकर अंग्रेजों को भगा देंगे ! तिलक जी ने खिलाफत आंदोलन को अखिल आफत कहकर उसका विरोध किया ! किन्तु गांधी जी पूरे देश में अली वन्धुओं के साथ प्रवास करने लगे ! अली वन्धु कहते थे कि पापी से पापी मुसलमान भी गांधी से बेहतर है क्योंकि बह कुरान शरीफ में विश्वास रखता है ! उनकी इन बातों पर भी गांधीजी ने ध्यान नहीं दिया ! 

केरल में हिंदुओं के खिलाफ जिहाद छेडा गया ! १५०० हिन्दू मारे गए ! १५००० महिलायें अपह्रत हुईं ! ३ करोड की संपत्ति लूटी गई ! किन्तु कांग्रेस सम्मलेन में गांधी ने कहा केवल ५ परिवार मतांतरित हुए हैं, कोई खास बात नहीं ! जिन्ना भी उस समय कांग्रेस में था ! तिलक जी की मृत्यु के बाद १९२७ तक बह कांग्रेस में ही रहा ! फिर इंग्लेंड गया, जहाँ अंग्रेजों ने उसे हाथ में ले लिया और १९४० में पाकिस्तान का विचार सामने रखा गया ! 

एक दिन डाक्टर साहब टूटी फूटी जीप में वर्धा की तरफ सभा लेने जा रहे थे ! साथ में एक मुसलमान तुर्की टोपी पहने बैठा था, जबकि सबने गांधी टोपी लगाई हुई थी ! पूछने पर उसने कहा यह टोपी हमारी राष्ट्रीयता की प्रतीक है ! डाक्टर साहब ने सोचा, जो लोग भारत में रहकर तुर्की को राष्ट्रीयता का प्रतीक मानते हैं, उनकी दम पर स्वाधीनता संभव नहीं ! आन्दोलन कुचला गया ! नागपुर की एक सभा में मेंढक छूटे तो लोग सांप सांप चिल्लाकर भागने लगे ! भगदड़ मच गई ! डाक्टर साहब ने सोचा सब साथ में फिर भी अकेलेपन का भाव क्यों ? एक गली में आठ लोग जा रहे थे ! सामने से दो मुसलमानों को आते देखकर पीछे लौटने लगे ! ये आठ भी अकेले और वो दो पूरे मुसलमान ! हिन्दू स्वयं को अकेला समझता है, इसे कैसे दूर किया जाये ? 

दो वर्ष विचार किया फिर १९२५ विजयादशमी को संघ स्थापना का निर्णय लिया और उसके छः महीने बाद मोहिते के बाडे नागपुर में संघ की पहली शाखा लगी ! कुए से पानी निकालकर मैदान झारे से सींचा ताकि धुल नहीं उड़े ! बच्चे भी खुश हुए ! फिर दरी पर बैठकर रोज गपशप होने लगी ! बोलते बोलते दिल पर अंकित कर देते थे ! तभी १९४२ में नमक सत्याग्रह शुरू हुआ, कई जगह जंगल सत्याग्रह हुआ ! अकोला के पास ये भी सभा में भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार हुए ! मुक़दमा चला ! वकील मित्र जेल में मिलने पहुंचे और सलाह दी कि आरोप से इनकार कर देना ! कह देना कुछ नहीं किया ! डाक्टर साहब ने झूठ बोलने से साफ़ इनकार कर दिया और खुद ही अपनी पैरवी की ! इस्माईली मेजिस्ट्रेट से उलटे सवाल पूछा कि इस देश के तुम हो नहीं, पूछने बाले कौन होते हो ? अत्याचारी तुम किस अधिकार से देश में रह रहे हो ! मेजिस्ट्रेट ने फैसले में लिखा कि आरोपी का जबाब मूल अपराध से अधिक राजद्रोहात्मक है ! २१ महीने जेल की सजा सुनाई गई ! अंदर सबको मित्र बनाया ! विरोधियों को भी अपना बना लेना उन्हें आता था ! छूटने के बाद पुनः संघ कार्य में लग गए ! 

अच्छे घरों के योग्य बच्चे प्रचारक बने ! काशी में भैयाजी दाणी और भाऊ साहब देवरस को पढ़ने के लिए भेजा ! वनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प. मदन मोहन मालवीय जी का आशीर्वाद साथ था ! बाला साहब कलकत्ता गए तो दादाराव परमार्थ दक्षिण ! उन्हें तमिल नहीं आती थी ! अब कार्य प्रारम्भ कैसे किया जाए तो एक दिन जानबूझकर किराए की साईकिल लेकर एक अन्य साईकिल सवार से भिडा दी ! जब तक वो ठीक नहीं हुआ रोज उसके घर मिलने जाते रहे और इस बहाने उसे संघ कार्य की घुट्टी पिला दी ! 

वर्धा के दिगंबर राव तिजारे उज्जैन आये ! महाकाल मंदिर में दर्शन किये ! भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया ! पर मुख्य बात शाखा लगना कैसे शुरू हो ? मंदिर के सामने मैदान में कुछ बच्चे फ़ुटबाल खेलते दिखे ! पर समस्या यह कि उनसे बातचीत कैसे शुरू हो ? इन्हें हिन्दी नही आती और खिलाड़ियों को मराठी का ज्ञान नही था ! अचानक फ़ुटबाल इनकी तरफ आई ! इन्होने उसे पकड़ लिया ! सब बच्चे आये और फुटबाल माँगी ! इन्होने कहा नहीं दूंगा, पहले मेरी बात सुनो ! बच्चों ने मारना शुरू कर दिया ! बच्चों की मार से तिजारे जी के वलिष्ठ शरीर पर क्या असर होता ? चुपचाप पिटते रहे और कहते रहे कि भले मार लो, पर फुटबाल तभी मिलेगी, जब मेरी बात सुन लोगे ! थक कर बच्चों ने कहा, कहो क्या कहना चाहते हो ! बस तिजारे जी फूट पड़े ! भारत माता जंजीरों में जकड़ी हुई है और तुम खेल खेलने में लगे हुए हो ! क्या तुम्हे माँ की मुक्ति का प्रयत्न नही करना चाहिए ? बच्चों ने पूछा भला हम लोग क्या कर सकते हैं ! इन्होने जबाब दिया संगठित होकर देशसेवा करना चाहिए ! संघ की शाखा लगाना चाहिए ! एक वालक बोला हाँ हाँ मेरे पिताजी भी एक बार कह रहे थे ! सब मिलकर उस वालक के पिताजी के पास पहुंचे ! उन्होंने कहा कि एक बार मैं नागपुर गया था, बहां संघ के विषय में सुना था ! यह अच्छा संगठन है ! फिर क्या था हो गई उज्जैन में शाखा शुरू ! जो वालक पहला स्वयंसेवक बना बह थे राजाभाऊ महाकाल ! जो आगे चलकर संघ के प्रचारक बने और गोआ मुक्ति आंदोलन में शहीद हुए ! 

सारगाछी से गुरूजी ! अखंडानंद जी ने कहा इसको हिमालय मत जाने देना, रामकृष्ण मिशन भी मत जाने देना, यह तो डाक्टर साहब के साथ जनता को जनार्दन मान सेवा करेगा ! उनसे मिलकर डाक्टर साहब आनंदित हुए ! डाक्टर साहब उच्च रक्तचाप से पीड़ित हुए ! रीढ़ की हड्डी में लम्बर पंक्चर कर उसे नियंत्रित किया जाता ! बाद में तबियत ज्यादा खराब होने लगी ! १९४० संघ शिक्षावर्ग में सभी प्रान्तो के स्वयंसेवक – आग्रह कर गए और १७ मिनट का भावपूर्ण भाषण दिया ! हम कोई सामान्य स्वयंसेवक नहीं ! सम्पूर्ण हिन्दू राष्ट्र को संगठित कर पुरानी कीर्तिपताका फहराना है ! तबियत और ज्यादा खराब हुई ! साथ में श्री गुरूजी ! अचेतावस्था में भी डाक्टर साहब बुदबुदाते – देरी हो गई, देरी हो गई ! बहां शाखा खुलनी थी, नहीं खुल सकी ! बीमारी के सन्निपात में भी उनका बडबडाना गुरूजी आँखों में अश्रु लिए सुनते ! तब गुरूजी को संघ समझ आया और वे भी संघमय हो गए ! 

भगवान श्री कृष्ण को अर्जुन के केश धोता देख नारद अचंभित हुए ! भगवान ने नारद से उन केशों से कान लगाने को कहा ! केशों से भी कृष्ण कृष्ण की ध्वनि निकल रही थी ! डाक्टर साहब के भी रोम रोम से संघ बोलता था ! बह देखकर गुरूजी ने भी स्वयं को पूर्णतः समर्पित कर दिया ! अंतिम क्षणों में भी भाव अंतरण ! उसी दिन रात को डाक्टर साहब ने गुरूजी से कहा – यह शरीर अब ज्यादा टिकने बाला नहीं ! स्वीकार करो कि संघ कार्य करोगे, फिर शरीर के साथ जो करना हो करो ! 

थे अकेले आप लेकिन, 
बीज का था भाव पाया ! 
बो दिया निज को, 
अमरवट संघ भारत में उगाया ! 
राष्ट्र ही क्या अखिल जग का, 
आसरा बन जाए ! 
और उसकी हम टहनियाँ, 
पत्तियाँ बन जाएँ ! 

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