एक ऐसी समस्या, जिसका समाधान किसीको पता नहीं !

कुछ समय पूर्व मैंने अपने एक आलेख में विचार व्यक्त किया था कि नौकरी अथवा मेडिकल, इंजीनियरिंग में प्रवेश पूर्व प्रतियोगी परिक्षाओं की आवश्यकता क्या है, महज परीक्षा के अंकों के आधार पर निर्णय करने में क्या हर्ज है ? किन्तु बिहार ने मुझे आईना दिखा दिया ! 

बिहार की बारहवीं कक्षा में आर्ट्स में टॉप करने वाली रूबी राय ने सबके सामने यह कहकर चौंका दिया कि राजनीति विज्ञान का संबंध पाक-शास्त्र से है। जबकि इस विषय में रूबी ने ऊंचे अंक हासिल किए हैं। दूसरी तरफ विज्ञान का टॉपर छात्र इस मामूली सवाल का जवाब ही नहीं दे पाया कि पानी और एच2ओ में क्या संबंध है। 

मीडिया में बबेला मचने के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने माना कि या तो किसी और ने इन छात्रों की जगह परीक्षा दी या फिर जमा होने के बाद उत्तरपुस्तिकाएं बदल दी गईं। मंत्री जी का यह स्वीकार करना संकेत है कि राज्य में शिक्षा माफिया संगठित होकर काम कर रहा है। ज्यादातर टॉपर्स राजधानी पटना से मात्र 20 किमी दूर हाजीपुर के स्कूल के छात्र हैं। 

पाठकों को स्मरण होगा कि पिछले वर्ष भी दसवीं कक्षा की परीक्षा के दौरान नकल पहुंचाने के लिए परीक्षा केंद्रों की दीवारों पर लोग चढ़ते नजर आए थे। उसके फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए थे तथा अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी भारत की खूब खिल्ली उडी थी । 

इस वर्ष के मामले में ज्यादा संभावना यही है कि परीक्षार्थियों के बदले किसी और ने इम्तिहान दिया हो। बिहार में ऐसा होना नई बात भी नहीं है। मेरे कहने का अर्थ यह नहीं है कि बिहार में कोई मेधा ही नहीं है ! अगर किसी और ने बदले में परीक्षा दी, तो वह भी तो परीक्षार्थी के हमउम्र ही होगा ? उसकी बुद्धिमानी भी तो सराहनीय है ही ! समस्या यह है कि भारत की बुद्धि केवल धनार्जन की ओर प्रेरित हो रही है ! हममें से जिसे मौक़ा मिले, वह येन केन प्रकारेण सफल होना चाहता है ! और इस समस्या का कोई समाधान किसी को पता नहीं है ? क्या आपको पता है ?

आधार - नया इण्डिया 
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