अडानी को लेकर "आम आदमी पार्टी" का कोरस और हकीकत !


भारत में एक संविधान है, जिसके अनुसार शासन व्यवस्था चलती है, किन्तु कुछ मीडिया घरानों और पार्टियों को लगता है कि वे संविधान से ऊपर हैं । ऐसे ही एक मीडिया समूह ने कल एक मुहिम चलाकर प्रचारित किया कि केंद्र सरकार ने अदानी पर लगाया गया 200 करोड़ रुपए का जुर्माना माफ कर दिया है ।

और इसके बाद बिना समय गँवाए आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस फर्जी खबर के आधार पर ट्वीटर पर शोर मचाना शुरू कर दिया । मनीष सिसौदिया और आशुतोष की बात तो जाने ही दें, खुद केजरीवाल ने भी नगाड़े बजाना शुरू कर दिए:


आशुतोष ने लिखा और केजरीवाल ने रिट्वीट किया कि –

आम आदमी को राष्ट्र के लिए गैस सबसिडी छोड़ना चाहिए, देश की अर्थ व्यवस्था की बेहतरी के लिए ज्यादा वेतन की मांग न की जाए, किन्तु अडानी देश से बड़ा है !

आईये जांचें कि वास्तविकता क्या है (Originally written by Shivam) - 

2013 में जी. अदानी पर 'पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986' का उल्लंघन करने के आरोप में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 200cr का जुर्माना लगाया गया था, जबकि वह अधिनियम के अनुसार पूरी तरह असंगत तथा स्पष्टतः दुर्भावना पूर्ण था ! आईये देखते हैं कि जुर्माना लगाने के लिए अधिनियम के प्रावधान और नियम क्या कहते हैं -

(1) Whoever fails to comply with or contravenes any of the provisions of this Act, or the rules made or orders or directions issued thereunder, shall, in respect of each such failure or contravention, be punishable with imprisonment for a term which may extend to five years with fine which may extend to one lakh rupees, or with both, and in case the failure or contravention continues, with additional fine which may extend to five thousand rupees for every day during which such failure or contravention continues after the conviction for the first such failure or contravention”

(1) जो कोई भी इस अधिनियम के प्रावधानों, या बनाए गए नियमों या आदेशों या उसके अधीन जारी निर्देशों के किसी भी उल्लंघन का दोषी हो, वह पांच वर्ष तक के कारावास, एक लाख रुपए तक जुर्माना में से एक अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकेगा ! जुर्माना न देने की अवस्था में प्रतिदिन पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकेगा, जो उल्लंघन के लिए दोषी ठहराए जाने के दिनांक से लागू होगा !

अधिनियम के इस स्पष्ट निर्देश के अनुसार ज़रा गणना तो कीजिए कि अडानी पर अधिकतम कितना जुर्माना लगाया जा सकता है ? यातो उन्हें पांच वर्ष के लिए जेल भेजते (जो पूर्ववर्ती सरकार ने भेजा नहीं) और जुर्माना लगाते तो एक लाख का, जबकि लगाया गया 200 करोड़ का ! क्या भारत की किसी भी अदालत में यह मुक़दमा टिक पाता ?

अगला बिंदु, जुर्माना लगाया गया 2013 में और निराकरण हुआ आज 2016 में अर्थात लगभग 1200 दिन बाद ! अब अधिनियम के प्रावधानों के तहत गणना कीजिए कि अडानी को कितना जुर्माना लगाया जा सकता है ?

मूल जुर्माना एक लाख, व 1200 दिन तक प्रतिदिन पांच हजार अर्थात 1200 X 5000 = 60,00,000 (कुल साठ लाख) ! इसमें एक लाख मूल भी जोड़ दें तो इकसठ लाख ! भैया 20 करोड़ किस हिसाब से ?

लेकिन गोयबल्स के चेले लगातार शोर मचा रहे हैं कि केंद्र सरकार ने अडानी के 20 करोड़ माफ़ कर दिए ! लेकिन वे भूल जाते हैं, कि यह सोशल मीडिया का पारदर्शी युग है, वे कुछ अंधभक्तों को तो थोड़े समय तक मूर्ख बनाते रह सकते हैं, किन्तु भारत के आम जन को लगातार नहीं !

आम आदमी पार्टी का यह कोरस महज सुर्खियों में बने रहने की उनकी धूर्तता पूर्ण रणनीति का एक हिस्सा है, जिसे भारतवासी अब समझ चुके है !

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