मध्यप्रदेश के शिवपुरी में मिशनरी स्कूल की आड़ में धर्मांतरण का मामला आया सामने, देखें विडियो

प्रतीकात्मक फोटो

शिक्षा की आड़ में मिशनरी स्कूल किस प्रकार धर्मांतरण का घिनौना कारोबार चला रहे हैं, इसका जीता जागता उदाहरण शिवपुरी में सामने आया है ! बच्चों को विवश किया जाता है कि वे अपने घर के पूजागृह में क्रास को स्थापित करें ! हिन्दू देवी देवताओं की पूजा न करें ! और अगर कोई इस कुचक्र का शिकार होने से इनकार करता है, तो उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है ! अगर कोई अभिभावक अपने बच्चे को विद्यालय में न पढाना चाहे, तो उत्तीर्ण बच्चे को टीसी में अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया जाता है ! हैरत की बात तो यह है कि इस संवेदनशील मामले में प्रशासन भी मूक दर्शक रहा है ! बार बार शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई  ! प्रस्तुत है दिवाकर शर्मा एवं गौरव शर्मा की विस्तृत रिपोर्ट -

आज एक प्रमुख अखबार के शिवपुरी संस्करण में शिवपुरी के मिशनरी स्कूल में धर्मांतरण का मामला प्रकाशित हुआ, जिसके पश्चात क्रांतिदूत की टीम उक्त मामले को जानने हेतु पीड़ित बालक के घर पहुंची ! जहाँ बालक और उसके पिता ने मिशनरी स्कूल की आड़ में चल रहे धर्मांतरण पर से पर्दा उठाया ! बच्चे और उसके पिता ने कई चौकाने वाली जानकारियाँ क्रांतिदूत की टीम के सामने प्रस्तुत की !

अंकित की पास की मार्कशीट 

शहर के ग्वालियर बाय पास के समीप स्थित सेंट बेंडिक्ट स्कूल पर उसी स्कूल में पढनेवाले छात्र के अभिभावक के द्वारा धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया गया है ! छात्र अंकित शर्मा के पिता शिवनारायण शर्मा (सतनबाड़ा वाले, हाल निवासी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी) के अनुसार उनका बेटा एल के जी से कक्षा ७ तक इसी स्कूल का विद्यार्थी रहा ! इस दौरान बच्चे को पढ़ाई में कमजोर बता कर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का कार्य कुछ समय पूर्व से स्कूल प्रबंधन ने शुरू कर दिया ! गलती अन्य बच्चे करते और सजा मिलती मासूम अंकित को ! जिस कारण से अंकित मानसिक रूप से परेशान रहने लगा ! 

अंकित की वह टीसी जिसमे उसे फ़ैल दर्शाया गया  

यही नहीं अंकित के द्वारा हिन्दू धर्म के प्रतीकात्मक चिन्हों को पहनने पर भी स्कूल प्रशासन ने पाबंदी लगा दी ! अंकित द्वारा टीचर डे के दौरान हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों की गिफ्ट भी स्कूली शिक्षक लौटा देते थे ! कुछ समय पूर्व स्कूल की सिस्टर लिली द्वारा अंकित को फ़ैल कर देने का फरमान भी सुना दिया गया था ! उन्होंने दो टूक शब्दों में अंकित को बोला “ या तो हिन्दू धर्म को त्याग कर ईसाई धर्म स्वीकार करो वर्ना तुम्हे फ़ैल कर दिया जाएगा !” इस दौरान अंकित को ईसाई धर्म का प्रतीकात्मक चिन्ह “क्रॉस” भी भेंट कर उसे पूजने के लिए बाध्य किया गया !

अंकित के घर के मंदिर में लगा "क्रॉस"

अंकित ने सातवी की परीक्षा सेंट बेनेडिक्ट स्कूल से पास की परन्तु जब उसके अभिभावकों ने उसे उस स्कूल में आगे नहीं पढ़ाने का फैसला किया तो उसे दी गयी टीसी में उसे फ़ैल दर्शा दिया गया ! जिससे अंकित डिप्रेशन की स्थिति में आ गया ! हँसता खेलता मासूम अंकित मुरझा सा गया, अब वो न ठीक से कुछ खा पा रहा है और न ही ठीक से बोल पा रहा है ! अंकित के पिता बताते है कि “अंकित को हम एक मिनट के लिए भी अकेला नहीं छोड़ पा रहे है, यदि अंकित कहीं बैठा है तो बैठा ही रह जाता है और कभी कभी वह रात में उठकर बडबडाने लगता है !” 

बाल कल्याण समिति को दिया गया आवेदन 

कई बार शिवनारायण जी ने इस मामले की शिकायत प्रशासन से की परन्तु हर बार हताशा ही हाथ लगी ! कुछ समय पूर्व जनसुनवाई में जब उन्होंने आवेदन दिया तो कलेक्टर ने इस मामले को बाल न्यायालय के पास भेज दिया जहाँ से शिवनारायण जी को जवाब मिला कि हम कुछ नहीं कर सकते आप न्यायालय की शरण में जाएँ ! 

इस मामले की जानकारी लगते ही कुछ हिन्दू संगठनों ने पहल करते हुए पीड़ित अंकित के साथ उसके पिता शिवनारायण को लेकर फिजिकल चौकी पर पहुंचकर थाना प्रभारी को उचित कार्यवाही करने हेतु एक लिखित आवेदन दिया, जिस पर थाना प्रभारी ने अपने अधिकारियों से विचार विमर्श करने के पश्चात कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है !

हिन्दू संगठनों के द्वारा थाना प्रभारी को दिया गया ज्ञापन 



देखें पीड़ित बच्चे और उसके पिता की व्यथा कथा -




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