मध्य प्रदेश में शासन की जन हितैसी योजनाओं को सरकारी कर्मचारी पतीला लगाने में जुटे हुए है ! शिवराज सरकार के द्वारा जनहित में शुरू की गयी योजनाओं पर सरकारी कर्मचारी की मनमानी किस कदर हावी है उसका ताजा तरीन मामला होशंगाबाद में सामने आया है जहाँ जिले के एक विद्यालय में विद्यार्थियों के नहीं आने के मामले में कलेक्टर और जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) की नोंकझोंक इन दिनों चर्चा का विषय बनी है !
दरअसल, टाइम लिमिट बैठक के दौरान जिले के बमूरिया विद्यालय का मामला भी उठा ! इस विद्यालय को तीन साल पहले करीब 11 लाख की लागत से बनाया गया था ! यह भवन खेतों के बीच बना है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए एप्रोच रोड का निर्माण नहीं कराया गया ! करीब तीन महिने पहले कलेक्टर के कहने पर डीपीसी वहां गए और विद्यालय को प्रारम्भ करने के लिए एक बार पुनः उसका रंग-रोगन करवाते हुए अन्य व्यवस्थाएं करवाई, उसके बाद भी एक भी बच्चा स्कूल में पढ़ने नहीं आया !
इसी बात को लेकर कलेक्टर संकेत भोंडवे ने बैठक में डीपीसी एसएस पटेल से सवाल कर लिया, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि विद्यालय खुलवा दिया गया है ! इसके बाद जब कलेक्टर ने नाराजी भरे लहजे में पूछा कि फिर बच्चे क्यों नहीं आ रहे हैं, तो डीपीसी उखड़ गए और बोले कि आपको सब पता है, अब क्या घर-घर जाकर बच्चों के पैर लागूं कि स्कूल चलो !
डीपीसी का ये जवाब सुनकर बैठक में मौजूद सभी लोग एक पल के लिए हैरान रह गए ! हालांकि, उनके इस जवाब के बाद कलेक्टर ने तहसीलदार से एप्रोच रोड न बन पाने की वजह पूछी ! जिसके बाद अब तहसीलदार ने बमुरिया पहुंचकर मुरम और बजरी डलवाकर एप्रोच रोड बनवाना प्रारम्भ करवा दिया है !
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