शिवपुरी की नारकीय स्थिति के सूत्रधार कुछ "अनमोल रत्न" इन दिनों शिवपुरी अपनी बदहाल और नारकीय स्थिति पर आंसू बहा रही है, सुब...
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शिवपुरी की नारकीय स्थिति के सूत्रधार कुछ "अनमोल रत्न" |
इन दिनों शिवपुरी अपनी बदहाल और नारकीय स्थिति पर आंसू बहा रही है, सुबक सुबक कर रो रही है, परन्तु उसकी करूँ पुकार शासन -प्रशासन देख कर भी अनदेखा कर रहा है या कहिये कि शिवपुरी की अस्मत को तार तार कर खिलवाड़ कर रहा है !
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आवारा शुवारों का वह झुण्ड जो नेताओं के शिवपुरी आगमन से पूर्व गायब कर दिया जाता है |
जल ग्रहण मिशन, तालाब बचाओ, ३०० बिस्तर वाला अस्पताल, प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री योजना की सडकें, मुरहम बोल्डर सड़क, पुराने तालाबों के जीर्णोधार हेतु पायलट प्रोजेक्ट, सिंध जलावर्धन, सीवर प्रोजेक्ट और न जाने क्या क्या अपूर्ण योजनाओं पर हजारों करोड़ फूकने के बावजूद भी शहर की दुर्दशा शिवपुरी के साथ किसी बड़े राजनैतिक षड़यंत्र की और इशारा करते है ! यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि शिवपुरी की जनता आजादी के 68 वर्षों के बाद भी नेताओं और नौकरशाहों की गुलाम बनी हुई है !
शिवपुरी जिले में विगत कई वर्षों से प्राकृतिक सम्पदा और शासकीय योजनाओं समेत कई महत्वपूर्ण योजनाओं को ध्वस्त कर जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डाला जा रहा है ! अगर सही प्रकार से जांच की जाए तो म.प्र. में शिवपुरी का नाम सबसे ऊपर आएगा जहाँ जनकल्याणकारी योजनाओं और विकास के नाम पर इतनी बड़ी लूट हुई है !
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नारकीय शिवपुरी |
विगत कुछ वर्षों से शिवपुरी में यह लूट सुनियोजित तरीके से जारी है और शिवपुरी लूटमार का प्रमुख अड्डा बन चुका है ! आखिर इसके जिम्मेदार कौन है ? नेता, नौकरशाह या आप और हम ?
बेरहमी से ५४ करोड़ रुपये खर्च करने के बाद सैकड़ों करोड़ की सड़कों को खोद कर सीवर प्रोजेक्ट यदि पूर्ण हो भी जाए तो यह शहर के लिए कितना उपयोगी होगा ? जबकि सीवर प्रोजेक्ट की मोनिटरिंग करने वाली एजेंसी को ही मालूम नहीं है कि कंसलटेंट द्वारा तैयार डीपीआर शिवपुरी जैसे शहर के लिए कितनी कारगार है ? सीवर प्रोजेक्ट का कार्य न तो योजनानुसार किया जा रहा है और न ही गुणवत्ता पूर्ण तरीके से !
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कमीशन खोरी के फेर में बनाई गयी गुणवत्ताविहीन सडकें |
बताया यह भी जाता है कि शिवपुरी में कोई भी कार्य शुरू बाद में होता है और राशि की बंदरबांट पहले तय हो जाति है ! इस बंदरबांट के बाद कार्य स्वतः रुक जाता है ! दरअसल शहर में नेताओं-नौकरशाहों और ठेकेदारों का एक ऐसा काकस है जो शासन के क़ानून की धज्जियां उड़ाकर, बेखौफ, नौकरशाहों की मिलीभगत से जनता की गाढ़ी कमाई से भरे हुए शासन के खजाने पर डाका डालते है और शासन भी सब कुछ जानकार मूकदर्शक बना रहता है जिसके चलते वह भी संदेह के घेरे में आता है !
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बारिश के दौरान खुदी पड़ी सड़कों पर भरा पानी |
म.प्र. में घिनौनी राजनीति का शिवपुरी से बड़ा उदाहरण भी कहीं और देखने को नहीं मिलेगा, जहाँ एक वर्ग विकास कार्यों हेतु सैकड़ों करोड़ों की योजनायें स्वीकृत कराता है, वहीँ दूसरा वर्ग इन विकासशील कार्यों में कमियाँ निकाल कर योजनाओं को पतीला लगा कर अपनी राजनीति चमकाता है ! जनसुविधाओं के नाम पर स्वयं की राजनीति चमकाने वाले जनता को दर्द का दंश देते ही जा रहे है ! धन्य है शिवपुरी की जनता जो शिवपुरी के प्रति अपने कर्तव्यों को भूलकर, असहनीय दर्द को सहन कर, अपनी भावनाओं के साथ होते खिलवाड़ को सहते, दलों के झूठे संबंधों में बंधकर स्वयं पर हो रहे अन्याय को सहकर भी अपने मुँह से उफ़ तक नहीं करती !
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सीवर प्रोजेक्ट के लिए बनाए गए चेम्बरों की दुर्दशा |
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