15 अगस्त आने को है। निश्चित रूप से हम सभी 'आजादी के इस दिन' को हर बार की तरह इस बार भी हमेशा की तरह सामान्य ढंग से मना ही लेंगे ...
एक पुरानी अंग्रेजी कहावत है – “doing the same thing but expecting a different result” अर्थात करना वही लेकिन परिणाम की आशा कुछ और करना ! ऐसी उम्मीद को पागलपन नहीं तो क्या कहा जाये । सौभाग्य से, 69 साल पहले अंग्रेजों से, और अब गांधी और छद्म-गांधियों के काल से भारत मुक्त हो गया है । क्रिकेट मैचों, समझौता एक्सप्रेस, दो देशों की अस्थिर व्यवस्था को स्थिर मानना जैसी नीतियों के स्थान पर अब एक अलग तरह की रणनीति की आशा की जा सकती है ! क्या होनी चाहिए वह रणनीति ? आगामी 15 अगस्त कराची में मने, जहाँ पूर्ण स्वराज प्राप्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया था । निश्चित रूप से तब ही हम संयुक्त भारत के लोगों की आँखों में खुशी के आँसू देख सकते हैं ।
मध्यप्रदेश समाचार
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