शिवपुरी को षड़यंत्र पूर्वक तबाह किया जा रहा है ! यह वक्तव्य बीते दिनों हमारे क्षेत्र के माननीय सांसद जी ने दिया था ! उन्होंने जो कुछ कहा ...

शिवपुरी को षड़यंत्र पूर्वक तबाह किया जा रहा है ! यह वक्तव्य बीते दिनों हमारे क्षेत्र के माननीय सांसद जी ने दिया था ! उन्होंने जो कुछ कहा उसमे कुछ भी गलत नहीं है ऐसा शिवपुरी की वर्तमान परिस्थितियों को देख कर कहा जा सकता है, परन्तु यह षड़यंत्रकारी आखिर है कौन ? और यदि इस षड़यंत्र की सूचना हमारे क्षेत्र के माननीय सांसद जी को है तो क्या वह इन षड़यंत्रकारियों के विरुद्ध शिवपुरी की जनता की आवाज बनकर सड़कों (गड्ढे रुपी) पर आयेंगे ? यदि नहीं तो आप किस मुंह से षड़यंत्र की बात करते है ? बात केवल सांसद साहब तक आकर नहीं रूकती क्षेत्रीय विधायिका और प्रदेश में मंत्री यशोधरा जी भी कुछ इसी तरह निराश और हताश बातें बीते दिनों कर चुकी है ! परन्तु क्या जनप्रतिनिधियों के इस निराश और हताश रवैये से शहर का भला संभव है ? यह तो केवल अपनी गेंद को दूसरे के पाले में डालने जैसा है !
माननीय न्यायालय के आदेशों को नकार अंधेरगर्दी पर तुले नौकरशाही को इतना भी इल्म नहीं कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह स्पष्ट किया है कि और कानूनों में भी लिखा है,कि जनसुविधाओं की बिना पर विकास नहीं होना चाहिए ! मगर इस शहर में वह सबकुछ खुले आसमान के नीचे हो रहा है जो नहीं होना चाहिए ! धन्य है शिवपुरी शहर की जनता जिसकी जुबान आज भी बन्द है ! नहीं तो क्या बात है,कि इस शहर में इतनी दुशबारियों बढऩे के बाद भी कोई आवाज नहीं उठती ! शहर की जनता ने तो अंग्रेजों की गुलामी तक को मात कर दिया कम से कम उस समय लेाग आजादी के लिये तो लड़े थे ! ये तो खुद की सुविधाओं पर पड़े डांके पर भी चुप है ! इससे बड़े त्याग और गुलामी की मिशाल और कहां मिलेगी ! जो शिवपुरी में शिव सरकार के राज में देखने भोगने मजबूर लेागों को मिल रही है !

आज शिवपुरी की दुर्दशा पर यदि नजर डाली जाए तो जितना लिखा जाए उतना कम लगता है ! शहर में सडकें या तो गायब हो गयी है या जो अब बची हुई है उन पर चलने से पूर्व जीवन बीमा प्रत्येक नागरिक के लिए अनिवार्य सा हो गया है ! कभी महकती शिवपुरी आज धसकती शिवपुरी में तब्दील हो चुकी है ! दोयम दर्जे से सभी नियम कायदों को खूटी पर टांग किये गए निर्माण कार्य शिवपुरी जिले को मध्यप्रदेश का सबसे भ्रष्टतम जिला घोषित करवाने को काफी है ! यह हालात शिवपुरी में तब है जब जिले में एक के बाद एक मंत्रियों के दौरे चल रहे है ! क्या इन मंत्रियों को शहर की दुर्दशा नहीं दिखाई दे रही है ? यदि यह मंत्री शहर की दुर्दशा को देख कर भी आँखें मूँद कर बैठे है तो इन्हें शर्म आनी चाहिए और इन्हें चुल्लू भर पानी में अपने उन स्थानीय समर्थकों के साथ सामूहिक डूब जाना चाहिए जो बड़े बड़े बैनर पोस्टर होर्डिंगों से अपने आका की नजरों में आने हेतु तो शहर को पाट देते है परन्तु जनता की आवाज को उठाने में इनके पीढ़ा का अनुभव होता है !

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