जेएनयू फिर सुर्ख़ियों में ! वामपंथी विद्यार्थी संगठन आइसा के पूर्व अध्यक्ष पर लगा बलात्कार का आरोप !






हाल की ही एक प्रसिद्ध मराठी फिल्म है “सैराट” | कई अन्य भारतीय फिल्मों की ही तरह ये भी एक प्रेम कथा पर ही आधारित है | फिल्म में हीरो है, हीरोइन है और हीरो को हीरोइन से मिलने से रोकने वाले विलन भी हैं | फिल्म का हीरो एक दलित युवक है, गाँव की ही एक अमीर “ऊँची जाती” की युवती से उसे प्यार भी हो जाता है | जाहिर है फिल्म में अमीर, सवर्ण कन्या के भाई और पिता खलनायक की भूमिका में हैं |

फिल्म अच्छी है और आज कल आयातित विचारधारा और वेटिकन पोषित गिरोहों में खासी प्रचलित भी है | भाषा की मजबूरी ना हो और मराठी फिल्म आप अंग्रेजी सबटाइटल के साथ देख लेते हों, तो करीब सौ करोड़ का व्यापार कर चुकी ये फिल्म आप भी देख सकते हैं |

फिल्म के एक दृश्य में, घर से भागे प्रेमी युगल, गरीबी में होते हैं | शहर में कोई रुकने, खाने-कमाने का जरिया ना होने के कारण वो स्टेशन पर सो रहे होते हैं | तभी वो एक गिरोह के चंगुल में फंस जाते हैं | पुलिस स्टेशन ले जाने के बहाने उन्हें ले चला गिरोह लड़के को पीट कर युवती का बलात्कार करने की कोशिश करता है | ऐसे में उन्हें गिरोह से बचाने के लिए “सुमन अक्का” आ जाती है | लाठी लिए सुमन अक्का मार पीट कर गुंडों को भगा देती है और युगल को बचा कर अपनी झोंपड़ी में ले आती है |

इसी फिल्म सैराट को लेकर एक बार फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) सुर्ख़ियों में है ! पीएचडी प्रथम वर्ष की एक दलित छात्रा ने आरोप लगाया है कि वामपंथी विद्यार्थी संगठन आइसा के एक कार्यकर्ता अनमोल रतन ने उसके साथ बलात्कार किया । ख़ास बात यह है कि यह दुष्कृत्य लड़कों के छात्रावास के अंदर हुई ।

अपनी शिकायत में 28 वर्षीय छात्रा ने उल्लेख किया है कि जून में उसने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी कि वह फिल्म सैराट देखना चाहती है, अगर किसी के पास हो तो कृपया उसे उसकी एक प्रति दे दे । इसके जबाब में अनमोल ने उससे संपर्क किया और बताया की उसके पास फिल्म की एक प्रति है।

विगत शनिवार को अनमोल उस फिल्म की सीडी देने के बहाने उसे अपने छात्रावास ब्रह्मपुत्र हॉस्टल के कमरा नंबर 355 में ले गया और कोल्ड ड्रिंक पिलाकर उसके साथ बलात्कार किया । छात्रा का आरोप है कि अनमोल ने उसे धमकी भी दी की अगर किसी को बताया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे ।

शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया है ।

यह समाचार प्रकाश में आने के बाद आइसा ने यह स्वीकार किया कि अनमोल रतन उसके एक प्रमुख कार्यकर्ता हैं, साथ ही यौन उत्पीड़न के इस आरोप को गंभीरता से लेते हुए अनमोल रतन को आइसा की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। यह बयान आईसा के दिल्ली राज्य सचिव आशुतोष कुमार की ओर से जारी किया गया ।

स्मरणीय है कि मई 2016 में जब जेएनयू में राष्ट्र विरोधी नारों का मामला सुर्ख़ियों में था, तब राजस्थान के एक भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने आरोप लगाया था कि जेएनयू में तो रेप होना आम बात है, आये दिन होते ही रहते हैं ! 

इसी प्रकार 15 दिसंबर 2015 को हिन्दू में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार भी यौन उत्पीडन के मामले में जेएनयू टॉप पर है ! वर्ष 2013-14 में देश की प्रमुख 104 उच्च शिक्षण संस्थाओं में सर्वाधिक 25 उत्पीडन की घटनाएँ जेएनयू में ही घटित हुईं ! 

सचाई तो यह है कि इसके लिए जेएनयू में वामपंथियों की भरमार ही जिम्मेदार है ! बैसे भी बलात्कार हो अथवा देशविरोधी गतिविधियों में शामिल रहना, या औरतों को साझे की खेती समझना रेड सलूट बोलकर उनके सारे अपराध ढक जो जाते हैं !

आज सोशल मीडिया पर यह विषय प्रमुखता से छाया हुआ है ! बानगी में प्रस्तुत है
Geetali Saikia की एक फेसबुक पोस्ट -

भारतीय वामपंथ स्वयं को राजनैतिक रूप से स्वयं को रेडिकल बताते हुए व्यवस्था परिवर्तन की बात को न्यायोचित ठहराता है .लेकिन गौर से देखें तो इनकी व्यवस्था परिवर्तन की परिधि का केंद्र महिलाओ के शोषण और उन्हें नाजायज़ इस्तेमाल के इर्द गिर्द ही ठहरता है .

इनके व्यवस्था परिवर्तन के लक्षण बड़े ही अप्रासंगिक होते हैं.कभी किसी वामपंथी प्रोफेसर के अपनी ही छात्रा के बलात्कार की खबर आती है तो कभी किसी वामी छात्रों द्वारा अपनी महिला टीचर के साथ दुष्कर्म की खबर आती है .

यही इनका कम्यून सिस्टम है .दुष्कर्म धीरे धीरे वामपंथियों की दीक्षा का आधार बनता जा रहा है.सबसे दुखद बात ये है कि सरकारी तन्त्रो पर शोषण का आरोप लगाकर चाइना समर्थित ये वामपंथी हथियार उठाकर देश के जाने माने खनिज संपदा से सुसज्जित राज्यों को रेड कॉरिडोर इलाके में बदलकर खून से लथपथ कर देते हैं लेकिन उसी शोषण के सबसे घिनौने प्रतिरूप और बलात्कार का समर्थन करते हुए एवं उसी बलात्कारी बंधु, कभी बलात्कारी प्रोफ़ेसर आदि को बचाने के लिए दिन रात एक कर देते हैं. इनके दोगलेपन का आलम ये होता है कि अनपढ़ आदिवासियों को बरगलाकर उनके हाथों में बन्दूक थमाने वाले इन विद्रोहियों को अपने ही कैम्पस में बलात्कार की शिकार महिलाओ को चीखे नही सुनाई पड़ती .

ऐसा लगता है कि कॉमरेड बनने के लिए बलात्कारी होना ही न्यूनतम अर्हता है. लाल सलाम का श्लोक बोलने के लिए ये बेहद जरूरी है उक्त व्यक्ति के पास बलात्कार करने का अनुभव तो हो ही .
लानत है ..

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