सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला - पूर्व मुख्यमंत्री आजीवन सरकारी बंगले के हकदार नहीं !



तथाकथित वीवीआईपी लोगों की मुफ्तखोरी की मानिसकता पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आज सर्वोच्च न्यायालय ने अहम फैसला दिया है ! यह जाना माना तथ्य है कि सामान्य जन का अतिक्रमण अवैध होता है, किन्तु बड़े लोग उसे कानूनी जामा पहना लेते हैं ! 

उत्तरप्रदेश में कुछ ऐसा ही हुआ था ! जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली के निर्देश जारी किये तो उत्तर प्रदेश सरकार ने भूतलक्षी प्रभाव से पूर्व मुख्यमंत्री निवास आवंटन नियम ही बदल दिए ।

किन्तु आज एक गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था “लोक प्रहरी” की याचिका पर फैसला देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पूर्व मुख्यमंत्री आजीवन सरकारी आवास के हकदार नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सीधा असर न केवल उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव और मायावती पर होगा, बल्कि अन्य प्रान्तों पर भी इसका प्रभाव होगा, जहां पूर्व मुख्यमंत्री अपने अपने राज्य में सरकारी बंगले का उपयोग कर रहे हैं ।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनिल आर दवे, न्यायमूर्ति यू यू ललित और एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने स्पष्ट आदेश किया है कि इस प्रकार के कब्जे दो से तीन महीने के अन्दर खाली करा लिए जाएँ ! पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवन भर के लिए सरकारी आवास पर कब्जा जमाये रहने का अधिकार नहीं है ।

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