एक 97 वर्षीय योगिनी - वी नानाम्मल


कोयम्बटूर की 97 वर्षीय वी नानाम्मल, एक अद्भुत और उत्साही योगप्रेमी हैं, वे इस उम्र में भी नियमित प्रातःकाल उसी प्रकार योगाभ्यास करती हैं, जैसी कि अपनी किशोरावस्था में करती थीं ! उनकी दिनचर्या और उत्तम स्वास्थ्य पूरी पीढ़ी को प्रेरित कर रहा है । शायद वे देश की सबसे बुजुर्ग महिला योग प्रशिक्षक हैं ! उन्होंने अंग्रेजी नहीं जानने के कारण दुनिया भर में कई योग महासंघों से ऑफर को ठुकरा दिया, किन्तु हाल ही में उनका नाम गिनीज रिकॉर्ड में शामिल करने की कोशिश हुई है ! नियमित दिनचर्या और योगाभ्यास कैसे किसी के जीवन में जादू सा असर कर सकता है, वे इसकी जीती जागती मिसाल हैं ।

उन्हीं के शब्दों में - "मैंने योग का अभ्यास आठ वर्ष की आयु में ही प्रारम्भ कर दिया था। मैं अपने पिता से योग सीखा, जो एक मार्शल आर्ट के प्रख्यात जानकार थे । मेरे पति को भी ग्रामवासी एक सिद्ध पुरुष मानते थे, जो साथ ही जीवन यापन के लिए कृषि कार्य करते थे । मैंने अपनी शादी के बाद प्राकृतिक चिकित्सा की ओर भी ध्यान केन्द्रित किया । अपने सम्पूर्ण जीवन में मैंने योग का अभ्यास कभी नहीं रोका। और यही मेरे उत्तम स्वास्थ्य का रहस्य है ।“

अब उनकी दैनिक दिनचर्या के बारे में सुनते हैं- "मैं सुबह 4.30 बजे उठने के बाद आधा लीटर पानी किसी धार्मिक क्रिया के समान अनिवार्यतः पीती हूँ । केवल नीम की दान्तुन से अपने दांत ब्रश करती हूँ । अगर कभी देश विदेश में जाना हो तो अपने बैग में नीम की दान्तुन पैक करना नहीं भूलती । सुबह दैनिक क्रिया से निबटने के बाद मैं छात्रों को योग सिखाती हूँ । "

नाश्ते में वे कांजी के साथ डोसा या इडली लेती हैं ! कांजी का निर्माण बाजरा, कम्बू और राई से किया जाता है । यह नाश्ता फाइबर और कैल्शियम से भरपूर होता है । वे प्रतिदिन अपने शाकाहारी व्यंजन के साथ कांजी लेती हैं । अपने उपयोग के लिए सभी सब्जियों को वे अपने स्वयं के खेत में उपजाती हैं । दोपहर के भोजन में पालक अनिवार्यतः रहता है । रात्री का भोजन वे 7 और 7.30 के बीच लेना सुनिश्चित करती है। यह आमतौर पर फल और शहद, हल्दी पाउडर या काली मिर्च पाउडर के साथ आधा गिलास दूध होता है।

वे दूध से बनी चाय का सेवन कभी नहीं करतीं, लेकिन कॉफी या धनिया के बीज या सौंठ से बनी अदरक की चाय पसंद करती हैं । वे अपने योगाभ्यासी शिष्यों को चीनी के स्थान पर केवल गुड़ का उपयोग करने को प्रेरित करती हैं । उनका मानना है कि प्रकृति का सानिध्य व्यक्ति को ऊर्जावान और सक्रिय रखता है। वे प्राकृतिक चिकित्सा के अपने अनुभव और औषधीय पौधों के अपना ज्ञान को हर जिज्ञासु से ख़ुशी खुशी साझा करती हैं। "

नानाम्मल द्वारा प्रशिक्षित 600 योग शिक्षक दुनिया भर में योग सिखा रहे हैं, जिन्हें उन्होंने अपने घर में ही योग सिखाया ! पहली बार नानाम्मल पर दुनिया का ध्यान तब गया जब 2003 में उन्होंने पहली बार एक योग प्रतियोगिता में भाग लिया । उसके बाद वे अब तक लगभग 100 प्रतियोगिताओं में हिस्सेदारी कर चुकी हैं । आज तो स्थिति यह है कि नानाम्मल का नाम अपने आप में एक विरासत बन गया है।

सौजन्य: डेक्कन क्रोनिकल

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