उरी हमला और शातिर जेबकतरा - सतीश चन्द्र मिश्रा


उरी हमले के बाद गुस्सा तो बहुत हूँ.....
लेकिन इस गुस्से में भी आज जब टीवी पर कांग्रेसी प्रवक्ताओं को सियासी फीते से 56 इंच और 56 सेंटीमीटर की नापजोख का मुजरा करते देखा तो मुझे उस शातिर अनुभवी जेबकतरे की याद आ गयी जो जेब काट कर भागते हुए दोनों हाथों से आगे की और इशारा करते हुए चिल्लाता जाता है कि... पकड़ो पकड़ो उसको पकड़ो... देखो बचकर जाने ना पाए...
जिनकी समझ में ना आया हो उनके लिए स्पष्ट कर दू...
बात सौ दो सौ साल पुरानी नहीं है.... 
बल्कि अभी कुछ महीनों पहले ही मणिशंकर अईय्यर और सलमान खुर्शीद जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेता पाकिस्तान जाकर बाकायदा पाकिस्तानी न्यूजचैनलों पर पाकिस्तानी सरकार से यह मांग कर रहे थे कि.... भारत की मोदी सरकार को हटाने में पाकिस्तान उनकी मदद करे...
यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि देश की मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने में कांग्रेस की मदद पाकिस्तान किस तरह कर सकता था...?
वो शातिर जेबकतरा मुझे इसलिए भी बहुत याद आ रहा है…
क्योंकि मैं भूला नहीं हूँ कि… इसी वर्ष फरवरी में देश की राजधानी दिल्ली में JNU में...
"भारत तेरे टुकड़े होंगे... इंशाल्लाह... इंशाल्लाह..."
"भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी...चलेगी..." 
और "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाने वाले देशद्रोही गुंडों को अपना नैतिक, राजनैतिक समर्थन देने, उनका हौसला बढ़ाने कोई छुटभैय्या कांग्रेसी नहीं गया था बल्कि कांग्रेसी राजकुमार राहुल गाँधी ने इस देशघाती कारनामे को अंजाम दिया था. वह देशद्रोही नारे लगानेवाले पाकिस्तान परास्त गुंडों के गैंग के सरगना कन्हैया कुमार के चित्र को असम विधानसभा चुनावों के अपने प्रचार पोस्टरों में कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारक की तरह प्रमुखता से स्थान दिया था.
वो शातिर जेबकतरा मुझे बहुत याद आ रहा है...
क्योंकि मैं भूला नहीं हूँ कि...
26/11/2008 को मुम्बई पर हुए पाकिस्तानी आतंकवादियों के बर्बर हमले के बाद कांग्रेस सरकार का मंत्री एआर अंतुले उस हमले को हिन्दू आतंकवादियों का हमला सिद्ध करने की कोशिश करके पाकिस्तान और उसके द्वारा भेजे गए आतंकियों को बचाने का देशघाती निर्लज्ज प्रयास कर रहा था और उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के बजाय माँ-बेटे समेत उनकी कांग्रेस उस अंतुले के खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोली थी.
वो शातिर जेबकतरा मुझे इसलिए भी बहुत याद आ रहा है...
क्योंकि मैं भूला नहीं हूँ कि...
26/11 2008 को मुम्बई पर हुए पाकिस्तानी आतंकवादियों के बर्बर हमले के बाद कांग्रेस का राष्ट्रिय महासचिव दिग्विजय सिंह पाकिस्तान और उसके द्वारा भेजे गए आतंकवादियों को बचाने का देशघाती निर्लज्ज प्रयास यह कहकर कर रहा था कि...
मुम्बई पर आतंकवादियों का हमला RSS की साज़िश है.
वो शातिर जेबकतरा मुझे इसलिए भी बहुत याद आ रहा है... क्योंकि मैं भूला नहीं हूँ कि...
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की रक्तरंजित जघन्य आतंकवादी घटनाओं.... बाटला हाऊस, इशरत जहां मुठभेड़ , समझौता एक्सप्रेस विस्फोट सरीखे प्रसंगों पर कांग्रेसी फौज की चाल चरित्र और चेहरा कितना स्याह और संदेहास्पद रहा है... यह शर्मनाक सच देश आजतक भूला नहीं है इसलिए उन किस्सों को दोहरा नहीं रहा हूँ... यह कुछ उदाहरण मात्र हैं... ऐसे शर्मनाक प्रसंगों की सूची बहुत लम्बी है.....
लेकिन बात कश्मीर और पाकिस्तान की हो और इस समस्या को जन्म देनेवाले एकमात्र खलनायक जवाहरलाल नेहरू का जिक्र ना हो तो यह उचित नहीं होगा.
अतः कांग्रेस को देश को यह जवाब देना चाहिए कि अगर 1948 में मोहनदास करमचंद गाँधी को मौत के घाट उतारनेवाले नाथूराम गोडसे के खिलाफ वो आज भी छाती पीटती है, तो अबतक लगभग दो लाख से अधिक हिंदुस्तानियों को मौत के घाट उतार चुकी तथा 3 लाख कश्मीरी पण्डितों का घरद्वार जमीन छीन चुकी कश्मीर समस्या को 1948 में ही जन्म देनेवाले जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ भी कांग्रेस उसी तरह अपनी छाती क्यों नहीं पीटती...???
जबकि मोहनदास करमचन्द गाँधी की मौत के कारण किसी अन्य हिंदुस्तानी की जान नहीं गयी थी बल्कि गोडसे को ही सज़ा ए मौत मिली थी.... जबकि कश्मीर समस्या के कारण अबतक सेना के हज़ारों जवानों समेत 2 लाख हिंदुस्तानियों की जान जा चुकी है. 3 लाख कश्मीरी पण्डित बेघर हो चुके हैं...
...अतः कांग्रेसी प्रवक्ताओं के देशभक्ति की चाशनी में डूबे आज के बयानों पर मुझे निकट अतीत के उनके देशघाती कुकर्मों की हज़ारों काली मक्खियां भिनभिनाती हुई नज़र आ रही हैं......
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