भारतीय राजनीति का मानक बिंदु है गायत्री प्रजापति !

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भारतीय राजनीति का मानक बिंदु है गायत्री प्रजापति ! वही गायत्री प्रजापति जो उत्तरप्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी के पारिवारिक सत्ता संघर्ष का केंद्र बन गया है ! अगर मुलायम सिंह जी को शहंशाह अकबर मानें और मुख्यमंत्री अखिलेश को शहजादा सलीम, तो कहानी कुछ यूं लिखी जा सकती है –

अकबर की भूमिका में मुलायम अनारकली को हर हालत में शाही घराने की बहू बनाने पर आमादा है जबकि सलीम उसे लाल किले से बाहर करने पर आमादा है। आज मुलायम सिंह अकबर बन चुके हैं तो अनारकली बने गायत्री प्रजापति को शहजादा सलीम अपने दरबार से बेदखल कर चुका है। शहंशाह ने उसको क्लीन चिट देते हुए कह दिया है कि बहुत जल्दी ही उसकी कैबिनेट में वापसी हो जाएगी। अगर उसे अकबर बाहर करता और सलीम बनाए रखना चाहता है तो सीन मुग़ल कालीन बनता, किन्तु उल्टी गंगा बह रही है।

आईये जानते हैं कि आखिर यह अनारकली बनाम गायत्री प्रजापति क्या चीज है? 

गायत्री प्रजापति के खिलाफ लोकायुक्त को एक शिकायत सौंपी गई थी। इस शिकायत में कहा गया था कि जो व्यक्ति 2002 तक बीपीएल कार्डधारक था व अपने परिवार की दो समय की रोटी भी नहीं जुटा सकता था आज उस पर 1000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के मालिक होने का आरोप लगा हुआ है। शुरु में उन्हें नचनिया के रुप में जाना जाता था जो कि सपा की जनसभाओं में तरह-तरह के मेकअप करके मंच पर नाच गाकर लोगों का मनोरंजन किया करते थे।

वे मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता व भाई शिवपाल यादव के काफी करीब है। नेताजी के दूसरे छोटे बेटे प्रतीक यादव है। जो कि दूसरी पत्नी के पुत्र है। उनके जमीन जायदाद व दूसरे कामकाजों में गायत्री प्रजापति उनकी मदद करते आए हैं।

जब वह 1993 में पहली बार बहुजन क्रांति दल के टिकट पर अमेठी से चुनाव लड़ा था तो उसे मात्र 1526 वोट मिले थे। बाद में उसने जमीन जायदाद का काम शुरु कर दिया। बाद में वह सपा में शामिल हो गया व 1996 व 2002 के विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारा। उसे 2007 में टिकट ही नहीं दिया गया पर अगले चुनाव में उसकी लाटरी खुल गई। पहली बार 2011 में तब सुर्खियों में आया जब कि आगरा में हुए पार्टी के अधिवेशन में उसने सपा को 25 लाख रुपए देने का ऐलान कर दिया। उसे इसका लाभ मिला। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सपा ने उसे अमेठी से संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह के खिलाफ उम्मीदवार बनाया और उसने उन्हें हरा दिया।

यह जीत उसके लिए निर्णायक साबित हुई और उसे फरवरी 2013 में शिवपाल के अधीन सिंचाई मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया। उसने अपनी ‘योग्यता’ व ‘क्षमता’ का परिचय दिया और 2013 में खनन विभाग का स्वतंत्र प्रभार हासिल किया। खनन मंत्रालय उसके लिए सोने की खान साबित हुई। अंततः 2014 की शुरुआत में उसे इस मंत्रालय का कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। जब उसने 2002 का चुनाव लड़ा था तो अपने कुल संपत्ति मांत्र 91,426 रुपए घोषित की थी। अगले 10 सालों में यह बढ़कर 1.71 करोड़ हो गई। उसके खिलाफ तत्कालीन लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा से शिकायत की गई जिसमें भ्रष्ट तरीकों से 942 करोड़ रुपए की संपत्ति जुटाने का आरोप लगाया गया था।

लोकायुक्त ने उसे क्लीन चिट दे दी। फिर आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर व उनकी आरटीआई एक्टीविस्ट पत्नी नूतन ठाकुर ने अदालत के हस्तक्षेप के बाद प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने में सफल हुए। यह वही पुलिस अफसर है जिन्हें एफआइआर दर्ज करवाने के बाद मुलायम सिंह ने फोन पर धमकाया था। बाद में ठाकुर मुलायम सिंह के खिलाफ धमकाने की शिकायत दर्ज करवाने की हद तक गए थे । आजभी जबकि अखिलेश ने प्रजापति को हटा दिया है, नेताजी बयान दे चुके हैं कि बहुत जल्दी ही उसे पुनः मंत्री बना दिया जाएगा। 

उस पर भ्रष्टाचार, जमीन पर कब्जे करने के आरोप लगते आए हैं। इस पर लखनऊ में ग्रामसभा की जमीन पर कब्जा करने का आरोप है। दो साल पहले अमेठी के एक विधवा ने लखनऊ में यह आरोप लगाते हुए धरना दिया था कि उसने उसकी जमीन पर कब्जा कर रखा है। इस साल उस पर बेहद शर्मनाक आरोप लगे है। उसके खिलाफ लोकायुक्त से शिकायत की गई कि उसने बीपीएल परिवारों के लिए लागू कन्या धन योजना में से अपनी बेटी को भी मदद दिलवायी है। उसके खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज किए गए पर बाद में सब समाप्त कर दिए गए और देखते ही देखते यह स्थिति आ गई कि आज उसके लिए मुलायम सिंह यादव अपने बेटे को भी आंखे दिखा रहे हैं।

वे सरकार में खनन मंत्री थे जहां जबरदस्त भ्रष्टाचार के आरोप लगते आए। पहले राज्य सरकार ने मामले की लीपापोती करने के लिए खुद जांच करवाने की बात कही। यह मामला हाईकोर्ट में गया जिसने इसकी जांच सीबीआई से करवाने के निर्देश दिए। उत्तप्रदेश में अवैध खनन पर सीबीआई की रिपोर्ट काफी विस्फोटक है। इलाहाबाद हाईकोर्ट को पिछले हफ्ते सौंपी गई रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा कि हजारों करोड़ रुपए के अवैध खनन कारोबार को उच्च राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है और इसकी गहराई से जांच की जरुरत है। सीबीआई के अनुसार खनन माफिया, अफसरशाही और राजनेता की मिलीभगत से प्राकृतिक संपदा की अंधाधुंध लूट जारी है।

और यही आज की राजनीति की हकीकत है ! जो जितना बड़ा लुटेरा, जितना अधिक भ्रष्ट, उतना ही अपरिहार्य, उतना ही अधिक आवश्यक –

यहां प्रवेश से पहले विष परिक्षा जरूरी है,

राजनीति उसके बिना अधूरी है !

अगर करते हैं सज्जन शक्ति की बात आप,

तो या तो हैं नादान, या दो मुंहे सांप,

साभार आधार - नया इण्डिया में प्रकाशित श्री विवेक सक्सेना की रिपोर्टर डायरी 



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