समाज परिवर्तन का संवाहक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ - 24 सितम्बर 2016 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित बी. श्रीजन के आलेख का हिन्दी अनुवाद

 

अपराध और उससे छुटकारा : 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर 24 सितम्बर 2016 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित बी. श्रीजन के आलेख का हिन्दी अनुवाद
हिंसक युवकों में आया एक अद्भुत परिवर्तन

शुक्रवार शाम को, तिरुअनंतपुरम में कलादी के नजदीक स्थित छोटे से गाँव थामरम में एक विशिष्ट व्यक्ति का आगमन हुआ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत थामरम में लगने वाली नियमित शाखा में पहुंचे तथा 200 स्वयंसेवकों के शारीरिक प्रदर्शन का अवलोकन किया और प्रार्थना में भी सम्मिलित हुए ! केरल की किसी शाखा में पहुँचने का यह श्री भागवत का पहला अवसर था वे वहां क्यों पहुंचे इसका भी कारण है।
 
एक समय था जब थामरम गुंडों और बदमाशों के गिरोह के लिए जाना जाता था, यहाँ के नौजवान पैसे लेकर किसी को भी मारने के लिए उपलब्ध हो जाते थे, कोई भी व्यक्ति भारी कीमत चुकाकर किसी को अपाहिज बनाने अथवा मारने के लिए भाड़े पर युवकों को ले जा सकता था, यह गाँव इसी काम के लिए कुख्यात था। यह स्थिति थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा प्रारम्भ होने के पहले की लेकिन आज माहौल पूरी तरह बदल चुका है, आज यहाँ के 600 परिवारों के जीवन में पूरी तरह शांति आ गई है
 
थामरम में यह परिवर्तन आया है केवल और केवल आरएसएस की सक्रिय शाखा के परिणाम स्वरूप । प्रतिदिन प्रातःकाल 6 बजे छोटे से देवी मंदिर के नजदीक यह जीवंत शाखा लगती है और स्वयंसेवक प्रशिक्षण के लिए एकत्रित होते हैं
 
शुक्रवार शाम को यहाँ भागवत किसी सभा को संबोधित नहीं करते, लेकिन केवल उनकी उपस्थिति और सम्मोहक मुस्कान का असर स्पष्ट देखा जा सकता है उनके स्वागत में लगभग 200 स्वयंसेवक उपस्थित थे
 
शाखा के मुख्यशिक्षक अखिलराज ने बताया कि हम 75 सक्रिय कार्यकर्ता हैं। स्वयंसेवकों में 5 वर्ष के शिशु से लेकर 65 वर्ष के बुजुर्ग तक सम्मिलित हैं उनकी बात की सत्यता इस बात से सिद्ध होती है कि लगभग आधा दर्जन शिशु स्वयंसेवक श्री भागवत के सामने सूर्य नमस्कार करते दिखाई दिए
 
शाखा के सबसे पुराने स्वयंसेवक 61 वर्षीय एन मोहनन कमजोर गुर्दे के बावजूद दूसरों के साथ 45 मिनिट के शारीरिक कार्यक्रम में सम्मिलित हुए जब उनसे उनकी ऊर्जा के बारे में पूछा गया तब मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा कि मैं जब 37 वर्ष का था तबसे नियमित शाखा जा रहा हूँ मोहनन 1979 से स्वयंसेवक हैं तथा वर्तमान में उनके पास बस्ती प्रमुख का दायित्व है, इस बस्ती में थामरम के अतिरिक्त आसपास की तीन शाखाएं सम्मिलित हैं मोहनन बताते हैं कि वे शारीरिक कार्यक्रम में केवल खेल में सम्मिलित नहीं होते
 
उन्होंने बताया कि कहा कि शाखाओं के माध्यम से संघ नेतृत्व की प्राथमिकता सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है जैसा कि थामरम में किया गया हमें मालूम है कि अभी भी कुछ नौजवान लालच में अंधे है, वे नहीं जानते कि यह उनके हित में नहीं है तथा आगे चलकर यह उनके लिए हानिकारक होगा उन्हें गलत मार्ग से वापस लाया जाना चाहिए
 
थामरम गुंडा गिरोहों के लिए कुख्यात था और स्थानीय राजनेता यहाँ के युवकों का किराये के गुर्गों के रूप में इस्तेमाल करते थे इसे चुनौती मानकर बाईस वर्ष पूर्व आरएसएस ने यहाँ शाखा प्रारम्भ की सीपीएम के साथ संघर्ष में हमने अपने आठ स्वयंसेवकों को खो दिया ।


इस शाखा की कई विशेषतायें हैं। शाखा में स्कूली बच्चों, किशोरों, कॉलेज जाने वाले छात्रों और वयस्कों के सभी चार वर्ग यहां सक्रिय हैं। शाखा के 80% से अधिक सदस्य कमजोर वर्गों से आते हैं ।

थामरम में अपने कार्य विस्तार की दृष्टि से आरएसएस ने अगले चरण में अक्षयश्री की योजना बनाई है ! अक्षयश्री भी कुदुम्बश्री के समान एक स्वसहायता समूह है, जिसके माध्यम से संघ स्वयंसेवकों के परिवारों की महिलाओं को भी संघ कार्य से जोड़ने की योजना है
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