हमारा देश शर्मनिरपेक्ष या धर्मनिरपेक्ष ? (व्यंग लेख)

कहते हैं काला रंग "अशुभ" होता है पर स्कूल का वो "Black Board" लोगों की जिंदगी बदल देता है। 

500 नए स्कूल खोलने का वादा करके सरजी सरकार में आए, वो तो नहीं खुले 396 नए शराब के ठेके खुल गए, जब पीकर इंग्लिश बोली जा सकती है तो स्कूल क्या जाना ?? 

Bollywood के कलाकार कह रहे कि कला को राजनीति में मत घसीटो....तब क्या हुआ था जब कलाकारों ने मोदी के खिलाफ हस्ताक्षर किये...!! 

लोगों मे जितना गुस्सा इशाँत शर्मा पर मैच हरा देने के कारण है, अगर यही गुस्सा देश को लूटने वाले नेताओ के खिलाफ होता तो, आज सोना खोदने कि नही बल्कि गाड़ने कि जरुरत पड़ती ॥ 

कांग्रेसी, आपिए, वामपंथी, feminazzi सब चुप हैं.. सिर्फ राष्ट्रवादी लगे हैं करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को सम्मान दिलाने में।

सालभर एसी रूम में बैठकर ओजोन लेयर की ऐसी तैसी करने वाले कृपया दीपावली पर आतिशबाजी न करने की सलाह न दें। मीडिया और पर्यावरण के रखवालों को पर्यावरण बचाने की याद हिन्दू त्योहारों पर हीं आती है, किसी का अंतिम संस्कार नही है जो मातम मनाएं, बाकी के 364 दिन हैं पर्यावरण के लिए। 

मुस्लिम औरतों को भी एक संगठन बनाना चाहिए- MMMM (मुस्लिम महिला मुक्ति मोर्चा) इस संगठन को भी 1 फतवा निकालना चाहिए कि अगर किसी ने हमें 3 तलाक बोलकर छोड़ा तो हम हिन्दू बन दुगने बच्चे पैदा करेंगी जिससे इस्लाम खतरे में पड़ जायेगा 

कमल खिलाने के लिए कीचड़ की आवश्यकता होती है, इसीलिए अन्य राजनीतिक दलों से कीचड़ लाए जा रहे हैं, ( यूपी चुनाव ) 

दोगली शर्म निरपेक्षता ने अख़लाक़ और रोहित वेमुल्ला के जान की कीमत तो तय की, लेकिन कितने डॉ नारंग, प्रशांत पुजारी, मनोज मिश्रा, मुकुल द्विवेदी, संतोष यादव बे मौत मारे जाते हैं उनके जान की न कोई कीमत है और न उनके परिवार की किसी दलाल को परवाह।

भावी नेतृत्व से जूझते राजनीतिक दल या जिन्होंने अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया, इन पार्टियो ने अपने दूसरे पंक्ति के नेता अभी तक नहीं बनाये, भविष्य में नेतृत्व को लेकर झगड़े भी हो सकते हैं। 

चीन ने कहा भारत में बिजली पानी की कमी है, भारत के लोग कामचोर और बेवजह हल्ला मचाने वाले हैं, एक नंबर के भ्रष्ट और लालची हैं, वो ज्यादा दिन तक हमारे सामानों का बहिष्कार नहीं कर सकते, खैर कहा तो बिलकुल सत्य है !!!! 

बलूची पहले ये बताएँ कि क्या अपने असली "हिन्दू धर्म" में घर वापसी करेंगे ? अन्यथा हम साथ क्यों दें ? आज बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ क्या हो रहा है ? 

स्त्रोत - व्हाट्सएप्प

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