इजराईल के ऑपरेशन एंटाबी की याद दिलाता भारत का मास्टर स्ट्रोक "सर्जिकल स्ट्राईक"



गुरुवार की रात भारत के जांबाज सैनिकों ने इतिहास रच दिया ! पैरा विशेष बल की दो अलग-अलग बटालियनों के 70-80 कमांडो ने नियंत्रण रेखा के पार जाकर सात आतंकी लांच पैड नष्ट कर दिए ! 4 पैरा एस एफ के कमांडो ने कुपवारा के नौगाम सेक्टर में तुतमारी गली क्षेत्र में आधी रात के बाद सीमा पार की ! लगभग उसी समय 9 पैरा एसएफ के लोग पूंछ क्षेत्र के बल्नोई और नंगी टेकरी के बीच पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्रविष्ट हुए ! जम्मू-कश्मीर में चार ठिकानों पर भारतीय वायुसेना के हेलीकाप्टर किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए हर पल तैयार रहे ।

स्वाभाविक ही देश को जिज्ञासा है कि इजराईल के ओपरेशन एंटाबी की तर्ज पर हुआ यह ऑपरेशन कैसे हुआ ? तो प्रस्तुत है इन्डियन एक्सप्रेस व अन्य समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट के  हिन्दी रूपांतर से निर्मित समूचा रोचक वृत्त -

1-3 किलोमीटर पैदल चलकर पैरा कमांडो अपने शिकार के नजदीक पहुंचे और रात्रि में लगभग 2 बजे उन्होंने आतंकी ठिकानों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया ! इसके लिए उन्होंने अपने मजबूत कन्धों पर रखे कार्ल गुस्ताव 84mm रॉकेट लांचर और स्वचालित ग्रेनेड लांचर का उपयोग किया ।

भारतीय वायुसेना के सूत्रों के मुताबिक, एमआई -35 हेलीकाप्टर लगातार किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए लगातार हमले को तैयार थे, हालांकि उन्हें इसकी कोई पूर्व जानकारी नहीं थी कि उन्हें जाना कहाँ है ।

सूत्रों के अनुसार सेना पिछले एक सप्ताह से लगातार नियंत्रण रेखा के 250 किलोमीटर की परिधि में निगरानी कर रही थी ! दुश्मन का ध्यान बांटने के लिए कई पोस्टों पर बुधवार 09:00 बजे रात्रि से गोलाबारी शुरू कर दी गई थी । इसी योजना के तहत बुधवार को ही दिन के समय भी व्यापक रूप से इसी क्षेत्र में हेलीकाप्टर अभियान भी शुरू किया गया था ।

आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के बाद पैरा कमांडो वापस नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय सीमा में लौटे ! केवल एक सैनिक को माईन ब्लास्ट के कारण हलकी चोट लगी । जबकि इस अभियान में 38 आतंकवादी और 2 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए । मारे गए लोगों में आतंकवादी और उनके गाइड शामिल थे ! सभी पैरा कमांडो टीम गुरुवार सुबह 4.30 बजे सकुशल वापस आ गईं और यह आपरेशन आधिकारिक तौर पर सुबह 8 बजे संपन्न हुआ ।

ऑपरेशन की कुछ ख़ास बातें –

सर्जिकल स्ट्राइक’ की सफलता में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ! सूत्रों के अनुसार, इसरो के नियंत्रण कक्ष से ही सेना की उत्तरी कमान को नियंत्रण रेखा और सीमा पार की हलचलों के आंकड़े प्राप्त हुए । कारटोसैट-1, कारटोसैट-2 और रिसोर्ससैट-2 ये भारत के ऐसे सैटेलाइट हैं जो आकाश में इतना ऊंचा उड़ते हैं कि पाकिस्तानी रडार में नहीं आ पाते। इनके द्वारा उपलब्ध आंकड़ों की मदद से ही सेना ने पीओके में घुसकर आतंकियों और उनके ठिकानों को नष्ट किया ।

इसरो के 33 सैटेलाइट इस समय अंतरिक्ष में सक्रिय हैं, जो पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे हैं। इसरो इन्हें जमीन से नियंत्रित कर सकता है और आवश्यकता के अनुसार सीमा पर फोकस कर सकता है।

रात में भी निगरानी
आरआईसैट-1 और 2 सैटेलाइट रात में भी साफ-साफ देख सकते हैं। इसी प्रकार अभियान में शामिल कमांडो के हेलमेट में रात को भी फोटो खींचने में सक्षम कैमरे लगे हुए थे, जिनके आधार पर ही आज भारत के पास इस अभियान के प्रमाण होने का दावा किया जा रहा है !
पाक के पास ऐसा कोई सैटेलाइट नहीं है क्योंकि उसका अंतरिक्ष कार्यक्रम अभी शुरू ही हुआ है।

गुजरात, राजस्थान सीमा पर भी नजर 
कश्मीर के अलावा पंजाब, गुजरात और राजस्थान सीमा पर भी उपग्रहों के जरिये नजर रखी जा रही है।

पाक की नौका पकड़ी
गुजरात के पास पाक से लगती समुद्री सीमा में एक संदिग्ध नौका पकड़ी गई है। इसको दबोचने में भी सैटेलाइट की अहम भूमिका रही।

भविष्य में भी यदि सीमा या नियंत्रण रेखा के निकट पाकिस्तानी सेना का जमावड़ा होता है तो उसे तुरंत जानकारी मिल जाएगी। इसी प्रकार नियंत्रण रेखा से यदि आतंकी समूह घुसपैठ करते हैं, तो इसकी सूचना सेना को फौरन लग जाएगी।
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