संसद में हल्ला आखिर किसके लिए ? - संजय तिवारी

नोटबंदी का फैसला देशहित में लिया गया है। इसे कतई सर्जिकल स्ट्राइक न कहें। सर्जिकल स्ट्राइक सिर्फ जवान ही कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि ये फैसला तो गरीबों के हित में लिया गया है। इससे ब्लैकमनी बाहर लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि लोग नरेंद्र मोदी ऐप पर इस फैसले के बारे में अपनी रेटिंग दें। सरकार के इस फैसले से करप्शन पर तो रोक लगेगी ही, इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग को भी रोका जा सकेगा। पीएम ने साफ कहा कि ये फैसला आखिरकार देश के गरीबों के ही काम आएगा। अपोजिशन के लोग नोटबंदी पर गलत जानकारी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी सांसदों को जनता के बीच जाकर इसके फायदे बताने चाहिए।

नरेंद्र मोदी , प्रधानमंत्री
बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग में

हमें टैक्स की कमी के कारण उधार लेकर काम चलाना पड़ता है। इससे गांवों में निवेश नहीं होता। नोटबंदी ऐतिहासिक है। इससे गरीबी मिटाने में मदद मिलेगी। ये फैसला देश हित में है। ये फैसला कितना बड़ा है, ये हमें सोचना है। 500 और 1000 के नोट देश की करंसी का 86 फीसदी हिस्सा हैं। सोचिए, सवा लाख बैंकों, पोस्ट ऑफिसों और दो लाख एटीएम में करंसी छापकर पहुंचाना कितना कठिन है। एटीएम को रिकैलिबरेट करने में साढ़े चार घंटे लगते हैं। कांग्रेस के उपाध्यक्ष कभी कहते हैं कि वित्त मंत्री को ही नोटबंदी के बारे में पता नहीं था। फिर कहते हैं कि पार्टी को बता दिया था। दरअसल, उन्हें ये ही नहीं पता कि कब और क्या बोलना है? पीएम मोदी ने 70 साल का फैसला बदला, ये आसान नहीं था। लाखों करोड़ रुपया बाजार में घूमता था, अब ये बैंकों में आ गया है। ब्लैक मनी का मॉरिशस रूट हमने रद्द कर दिया। साइप्रस रद्द कर दिया। अब सिंगापुर से बात चल रही है। हमने कई मौके दिए। जीएसटी आने से सारी चीजें नेट पर आ जाएंगी। दो लाख से ऊपर तो पैन कार्ड देना ही होगा। ढाई साल में ये वो कदम हैं जो 70 साल में नहीं उठाए गए। 

अरुण जेटली
वित्त मंत्री , भारत सरकार

ये दोनों बयान मंगलवार को ही आये है। पहली बार नहीं , बार बार प्रधानमन्त्री यही कह भी रहे है। आम आदमी और गरीब जनता को घबराने की जरूरत नहीं। नोटबंदी काला धन बाहर करने या नष्ट लिए उठाया गया कदम है। जनता परेशान है या नहीं यह तो बाद की बात है लेकिन इस घोषणा के बाद से ही जिस तरह मायावती और ममता बनर्जी परेशन हैं उससे कई तरह के प्रश्न जेहन में आने लगे है। मायावती और ममता के साथ ही जिस तरह कई दल एक होकर संसद की कार्यवाही रोक रखे है उससे भी कई प्रश्न उठ रहे है जिसमे सबसे बड़ा तो यही है कि कही यह सब कालाधन रखने वालो का बहाना तो नहीं बन रहा है ? क्योकि यह आश्चर्य की बात है कि आम जनता की परेशानी से खुद को व्यथित-चिंतित दिखा रहे ये नेता ऐसा कोई सुझाव देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं जिससे समस्याओं का समाधान करने में सहूलियत मिले। संसद में हालात यह हो गयी कि एक ओर विरोध कर रहे ये दल जनता की परेशानी का जिक्र कर सरकार से जवाब मांग रहे हैं और दूसरी ओर ऐसी नौबत भी नहीं आने दे रहे हैं जिससे सरकार अपनी बात कह सके। 

यह सही है कि नकदी संकट से निपटने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से दी जा रही कुछ नई सुविधाओं के बावजूद यह सुनिश्चित करने की जरूरत बनी हुई है कि इस संकट का समाधान जल्द से जल्द निकल सके । भले ही बैंकों के सामने लगी कतारें छोटी होती हुई दिख रही हों, लेकिन एटीएम अभी भी लंबी लाइनों का सामना कर रहे हैं। यह भी सही है कि इतने बड़े फैसले के बाद ऐसी स्थिति बननी ही थी और लोगों को कुछ न कुछ परेशानी उठानी ही थी, लेकिन अब जबकि दो सप्ताह का समय पूरा होने को है तब सरकार का यही लक्ष्य होना चाहिए कि नकदी संकट को लेकर उपजी आशंकाओं एवं अनिश्चितता पर विराम लगे। वित्त मंत्रालय ने इस समय किसानों को पांच सौ के पुराने नोटों से राज्य सरकारों, केंद्र सरकार और कृषि विश्वविद्यालयों के बीज विक्रय केंद्रों से बीज खरीदने की जो सुविधा दी है वह अगर पहले ही दे दी जाती तो हंगामा थोड़ा कम हुआ होता । ऐसी जानकारी है कि सरकार को इस आशय के सुझाव भी दिए गए थे, लेकिन पता नहीं क्यों उन पर ध्यान नहीं दिया गया? चूंकि यह फैसला देर से लिया गया इसलिए कई किसान ऐसे भी हो सकते हैं जिन्होंने इस बीच अपने पुराने नोट बैंक में जमा कर दिए हों। जाहिर है कि ऐसे किसानों को अब अपने खाते से पैसा निकालने के लिए बैंकों के समक्ष कतार में खड़ा होना होगा। यह अच्छा हुआ कि सरकार किसानों के साथ व्यापारियों की भी चिंता कर रही है और इसी क्रम में रिजर्व बैंक की ओर से यह घोषणा की गई है कि कैश क्रेडिट या ओवरड्राफ्ट खाता धारक एक हफ्ते में 50,000 रुपये तक की नकदी निकाल सकते हैं। निश्चित तौर पर इस सुविधा से एक बड़ी संख्या में कारोबारियों और व्यापारियों को राहत मिलेगी। उनके कारोबार चल निकलने से आम जनता को भी लाभ मिलेगा। रिजर्व बैंक ने एक करोड़ रुपये से कम का लोन लेने वालों को साठ दिन की मोहलत देने की घोषणा करके भी तमाम लोगों कोे राहत दी है।

अब होना तो यह चाहिए कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक यह देखे कि और भी ऐसे क्या कदम उठाए जा सकते हैं जिनसे नकदी संकट को कम करने में मदद मिले। आवश्यकता केवल यथाशीघ्र नकदी संकट को कम करने की नहीं, बल्कि आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को बहाल करने की भी है। प्राथमिकता उन गतिविधियों को दी जानी चाहिए जिनसे जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने के अंदेशे को दूर किया जा सके। इसमें दो राय नहीं कि सरकार को कई मोर्चों पर एक साथ बहुत कुछ करने की जरूरत है। इस जरूरत को पूरा करने में कोई कसर न उठा रखने वाला रवैया अपनाकर ही उन विपक्षी दलों को शांत किया जा सकता है जो जनता की परेशानी की आड़ में सरकार पर निशाना साधने के साथ ही आम लोगों को बरगलाने में लगे हैं। यह ठीक नहीं कि विपक्षी दल जानबूझकर यह समझने के लिए तैयार नहीं कि इतने बड़े फैसले के बाद आम जनता के समक्ष कुछ परेशानी आनी ही थी। जो कदम अब उठाये जा रहे है उन्हें पहले ही उठाया जाना चाहिए था। लेकिन संसद में जो लोग एक होकर हल्ला मचा रहे है वे लोग कौन है ? क्या जनता उनके बारे में जानती नहीं है? क्या उनकी किसी बात का जनता के ऊपर कोई असर दिख रहा है ? क्या बिना किसी परेशानी के कोई बड़ा सफाई अभियान चलाया जा सकता है ? जब सड़क बनती है तब भी जनता कई कई साल भारी परेशानी झेलती है , पुल बनता है तब भी बहुत दिक्कत सहनी पड़ती है। भयंकर जाम में जनता ही फसती है लेकिन क्या सड़क या पुल का निर्माण इसलिए रोक दिया जाता है क्यों कि जनता को दिक्कत हो रही है ? 

कार्तिक का महीना भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। दीपावली के बाद से मांगलिक आयोजनों की तिथियां शुरू हो जाती है। शादी, विवाह, मुंडन, विदाई , गवना , तीर्थ यात्रा और सबसे ऊपर रवी की बुआई। यह सब ही बहुत खर्चीले काम होते है। आम आदमी इन कामो के लिए किसी तरह धन जुगाड़ कर रखता है और काफी कुछ तो उधार ,पाईच से काम चलाता है। इस बार प्रधानमंत्री के इस कदम से निश्चित तौर पर बहुत दिक्कत हुई है लेकिन लोग फिर भी खुश है की देश के लिए कुछ अच्छा हो रहा है। जनता को अभी भरोसा है कि अब देश में काला धन ख़त्म होगा,नम्बर दो की कमाई से रॉब गांठने वालो पर विराम लगेगा ,योग्यता और आय का समन्वय बनेगा ,अपराधी , दलाल, बिचौलिए, घूसखोर,जमाखोर कम होंगे। रातोरात करोड़पति बन जाने की प्रक्रिया रूकेगी। इसी उम्मीद में जनता सारे कष्ट सह रही है लेकिन, यह भी सच है की इतना कष्ट सह रहे लोगो को तब बहुत झटका लगेगा जब कुछ नेताओ या लोगो की वजह से काले धन वाले बच जायेंगे। तब शायद जनता खुद को ठगा सा महसूस करेगी।

संजय तिवारी
अध्यक्ष , भारत संस्कृति न्यास , नयी दिल्ली
9450887186

sanjay24.1967@gmail.com

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