काला धन रोकने हेतु सरकार की सेवा में प्रस्तुत हैं दो सुझाव !



काले धन को लेकर आज के समाचार पत्रों में दो अच्छे सुझाव पढ़ने को मिले, जो इस बात का प्रतीक है कि देश का बुद्धिजीवी भी वर्तमान स्थिति से कितना चिंतित है -

(1) काला धन उत्पन्न होने के बुनियादी कारणों में से प्रमुख है, राजनीति में अवैध धन की आमद ! मोदी जी कैश लेस समाज की खुमारी में दत्तचित्त हैं ! अगर वे साहस उर में धार लें और राजनैतिक चंदे को नगद रहित बना दें तो आने वाली पीढियां भी उन्हें दुआ देंगी ! लेकिन जो उन्हें संसद में बोलने नहीं दे रहे, वे क्या उन्हें यह करने देंगे :) या विपक्षियों के शब्दों में, जब इतने बेवश हैं कि बोल नहीं पा रहे तो कर क्या ख़ाक पायेंगे ?

(2) अगर रिश्वत लेने वाला दोषी, तो देने वाला कौन ? आज का क़ानून दोनों को दोषी मानता है, लेकिन दिल पर हाथ रखकर कहिये कि अगर सच में इसे ही भ्रष्टाचार का मानक मान लिया जाए, तो हममें से कौन भ्रष्ट नहीं है ? इसलिए प्राथमिक आवश्यकता यह है कि रिश्वत देने वाले को निर्भय कर दिया जाए, तो शायद भ्रष्टाचार के खुलासे कुछ ज्यादा होने लगेंगे ! आयकर विभाग और पुलिस विभाग भी इसकी जद में आते ही भ्रष्टाचार का पौधा मुरझाने लगेगा !

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