विस्मृत होती एक तिथि – अतुल तारे



8 दिसंबर 2016 चुपचाप बीत गई ! मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण तारीख का इतने हौले से गुजर जाना पीड़ादायक है ! जोर दें अपनी स्मृति को याद आएगा 8 दिसंबर 2003 ! कांग्रेस के 10 साल के कुशासन से आज ही के दिन मध्यप्रदेश को मुक्ति मिली थी ! लाखों लाख कार्यकर्ताओं के समर्पण से, परिश्रम की पराकाष्ठा से सुश्री उमा भारती ने मध्य प्रदेश की कमान संभाली थी ! भारतीय जनता पार्टी के लिए मध्यप्रदेश के लिए 8 दिसंबर 2003 एक नए भविष्य के सृजन की घड़ी थी ! पर आज यह तारीख विस्तृत है ! भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में 29 नवंबर 2016 का उत्सव मनाया है ! बेशक मध्यप्रदेश के विकास में इन 11 वर्ष का महत्वपूर्ण योगदान है ! बेशक प्रदेश को विकास के पथ पर अग्रसर करने में इन 11 वर्षों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एवं उनकी टीम का योगदान अभिनंदनीय है ! लेकिन क्या वर्ष 2003 से 2005 तक के दो वर्षों का स्मरण प्रासंगिक नहीं है ? भारतीय जनता पार्टी व्यक्ति आधारित राजनीतिक दल नहीं है ! भारतीय जनता पार्टी तत्व आधारित, कार्यकर्ता आधारित राजनीतिक दल है ! यही कारण है कि एक पाँव पाँव वाला भैया आज प्रदेश का यशस्वी मुख्यमंत्री है ! यही कारण है कि बड़नगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाला किशोर आज देश का प्रधानमंत्री है ! किसने गढा इन्हें ? कौन सी शक्ति है इनके पीछे ? किसकी तपस्या का फल है देश के यह अद्वितीय नायक ? यह सूची और भी लंबी हो सकती है ! तात्पर्य यह भाजपा ही है, जो कार्यकर्ता को अपने विचार यात्रा में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान देती है !

अतः जब 8 दिसंबर 2016 एक अतीत का पन्ना बन चुकी है, भाजपा के सृष्टि नेतृत्व को यह विचार करना चाहिए कि जाने अनजाने में कहीं कुछ भूल तो नहीं हो रही ? निसंदेह व्यक्ति का अपना एक महत्व है पर भाजपा व्यक्ति पूजक नहीं है ! भारतीय राजनीति में आज वामपंथी दलों को छोड़ दें तो आज जितने भी राजनीतिक दल हैं वे आज व्यक्ति केंद्रित, परिवार केंद्रित हैं ! वाम दल विचार की बात करते हैं पर उनके विचार ही अप्रासंगिक हो चुके हैं ! तात्पर्य भाजपा ही आज एक राजनीतिक दल है जिस पर देश की उम्मीदें टिकी है और यह उम्मीद सिर्फ इसलिए नहीं कि भाजपा के पास यशस्वी राजनेताओं की एक कतार है, बल्कि इसलिए कि भाजपा के पास एक देव दुर्लभ कार्यकर्ता है, भाजपा के पास एक पवित्र दर्शन है, भाजपा के पास तपोनिष्ठ तपस्वी साधकों का बल है जो युगानुकूल, समयानुकूल, जेष्ठ एवं श्रेष्ठ कार्यकर्ताओं का निर्माण करता है ! इसलिए भाजपा नेतृत्व को चाहिए कि वह अपनी योजनाओं में अपने राजनीतिक उत्सवों में समग्रता का परिचय दे संपूर्णता की अभिव्यक्ति का प्रकटीकरण करें !

यह शुभ संकेत है कि भाजपा नेतृत्व प्रभुता पाय काहे मद नाहीं के रोग से मुक्त है, पर इसके पथ्य में कोई हानि भी नहीं है ! भाजपा नेतृत्व को चाहिए कि अब जबकि 2018 भी ज्यादा दूर नहीं है वह विचार करें कि उमा श्री भारती की पंच-ज योजना का क्या हुआ ? बाबू लाल गौर के कार्यकाल की गोकुल ग्राम योजना की आज क्या स्थिति है ? योजनाओं का जिक्र सिर्फ प्रतीक स्वरुप है ! संभव है इन योजना को आज प्रदेश सरकार ने नए नामों से क्रियांवित किया ही होगा ! पर भाजपा नेतृत्व आज इन योजनाओं को अपने स्मृति पटल पर लाएगा तो उस की स्मृति में सहज ही वे कार्यकर्ता भी आएंगे जो आज सत्ता की चकाचौंध से दूर हैं ! बेशक इन कार्यकर्ताओं की मंशा सुख सत्ता सुख नहीं है पर इतना तो चाहते ही हैं कि आज उन्हें भी सुखद वर्तमान की अनुभूति हो ! कारण यह इरादतन नहीं हो रहा पर यह एक कड़वा सच है कि आज ऐसे कार्यकर्ता भी पुरानी योजनाओं की तरह ही कहीं विस्मृत हैं, आंखों से ओझल है ! प्रदेश का यह सौभाग्य है कि उसे शिवराज सिंह जैसा संवेदनशील नेतृत्व मिला है ! वे सहज है, सरल भी ! मुख्यमंत्री के पद पर 11 साल लगातार रहने के बावजूद अहम से हुए कोसों दूर है, इसलिए वह बुजुर्गों के बेटे हैं, तो युवाओं के लिए मित्रवत ! यही नहीं वे आज अपने भांजे और भांजीओं के लिए चहेते मामा भी ! आवश्यकता अब बस इस बात की है कि वह सत्ता की घेराबंदी से स्वयं को थोड़ा अलग कर कार्यकर्ताओं की आंखों से प्रदेश को देखें और उनके कानों से सुनें भी ! संभव है उनके ध्यान में कई ऐसे तथ्य स्वतः ही आएंगे जो स्वर्णिम प्रदेश के निर्माण के उनके स्वप्न को साकार करने में उनकी मदद करें ! उम्मीद की जानी चाहिए भाजपा का प्रदेश संगठन इस प्रयास में उनकी सहायता करेगा शुभकामनाओं सहित !

अतुल तारे
समूह संपादक
स्वदेश (ग्वालियर)

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