प्रथ्वीराज मोदी जी और जयचंदों की फ़ौज !


आज के सन्डे गार्जियन में प्रकाशित दो समाचारों ने ध्यान आकृष्ट किया ! पहला तो यह कि भारत में हुए विमुद्रीकरण ने आतंकवादी संगठनों को बहुत हद तक विकलांग बना दिया है, किन्तु वे फिलाहल भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए विदेशी मुद्राओं का उपयोग कर रहे हैं ! उन्होंने अपने स्लीपर सेल व अन्य मुजाहिदीनों को ज्यादातर अमेरिकी डॉलर में भुगतान शुरू कर दिया है, जिसका उपयोग भारत में बेधड़क होता ही है । 

अधिकारियों के मुताबिक, इस कार्यवाही में भी वे ही भ्रष्ट बेंकर शामिल हैं, जिन्होंने काले धन को सफ़ेद करने में अपनी भूमिका निभाई थी ! इन आतंकवादियों को वे प्रति डॉलर 40 से 50 रुपये देते हैं, जबकि विनिमय दर 66-67 रुपये है ! बैंकर्स को कमीशनखोरी का एक नया मन्त्र मिल गया है ।

स्मरणीय है कि हाल ही में घुसपैठ की कोशिश में मुठभेड़ के दौरान मारे गए कई आतंकवादियों के शवों की हुई तलाशी में उनके पास अमेरिकी डॉलर पाए गए थे । कई जीवित गिरफ्तार आतंकियों के पास भी तलाशी में डॉलर प्राप्त हुए है ! इससे इतना तो स्पष्ट होता है कि 8 नवंबर को हुए नोटबंदी के निर्णय के बाद उनके पास न तो जाली नोट चलाने का विकल्प बचा है और ना ही उन्हें आसानी से नई मुद्रा मिल पा रही है ! जीवित पकडे गए आतंकियों से हुई पूछताछ में ही यह तथ्य भी सामने आया है कि डॉलर को भारतीय रुपए में बदलने के लिए उन्हें स्थानीय सहयोग मिलता है । 

सन्डे गार्जियन के अनुसार उनके पाकिस्तानी सूत्रों से भी यही जानकारी मिली है कि आतंकवादी संगठनों के पास फिलहाल भारतीय मुद्राओं की कमी है, किन्तु वे अपनी तूफानी गतिविधियों को जारी रखने के लिए विदेशी मुद्राओं का उपयोग कर रहे हैं । उनको यह भी भरोसा है कि नकदी की कमी का यह दौर जल्द ही समाप्त हो जाएगा और वे बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्राओं को प्राप्त कर सकेंगे। और क्यों न हो, आखिर भारत में उनके खैरख्वाहों की कमी थोड़े ही है ।

सन्डे गार्जियन का दूसरा आलेख भारत के अंग्रेजीदां पत्रकारों की 'लुटियन जोन से सम्बंधित है, जिसकी एकमात्र इच्छा यह है कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधान मंत्री न बन पायें और संभव हो तो उनका कार्यकाल पूर्ण होने के पूर्व ही उन्हें भी प्रधान मंत्री कार्यालय छोड़ने को बैसे ही विवश किया जा सके, जैसे कि 1979 में मोरार जी देसाई को विदा किया गया था । इस रणनीति को अमलीजामा पहनाने के लिए वे जीजान एक कर रहे हैं । भले ही राहुल गांधी को अधिसंख्य बुद्धिजीवी व आमजन उनके हल्केपन के कारण खारिज करते हैं, किन्तु अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष के खैरख्वाह ये पीत पत्रकार उन्हें स्थापित करने और मोदी को पटरी से उतारने के सपने बुन रहे हैं । 

1980 से ही नरेंद्र मोदी इस जमात की आँख की किरकिरी बने हुए हैं, किन्तु 2014 में भाजपा की विजय ने उन्हें तगड़ा झटका दिया था ! नवम्बर 2015 में राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद अब एक बार फिर ये लोग अपनी पूर्व योजना को गति देने में संलग्न हो गए हैं । अब उनका एकसूत्री कार्यक्रम है कि 2019 में किसी भी कीमत पर मोदी की पराजय सुनिश्चित करना । इन लोगों ने राहुल को भी अच्छी तरह समझा दिया है कि यदि नरेद्र मोदी का यह कार्यकाल निर्विघ्न पूर्ण हो गया, तो मौलिक परिवर्तन होंगे और दूसरे कार्यकाल के लिए भी उनकी जीत आसान हो जायेगी ! लुटियन जोन की इस सलाह पर ही राहुल गांधी ने पूर्ण युद्ध व पूर्ण असहयोग की नीति अपनाई हुई है ! इसीलिए मोदी सरकार के भूमि विधेयक का मामला हो अथवा जीएसटी का, उन्हें मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के कार्यकाल में पारित नहीं होने देने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है ।

लुटियन जोन की दूसरी रणनीति यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक छवि धूमिल की जाए ! उन्होंने अपने सुहृद पूंजीपतियों की मदद से इस हेतु व्यापक अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरुप अंतरराष्ट्रीय मीडिया में मोदी सरकार के बारे में नकारात्मक रिपोर्ट के प्रसार को देखा जा सकता है। 

तीसरी सबसे सफल रणनीति उनकी यह रही है कि राजग सरकार में भी 2004-14 के दौरान वरिष्ठ संप्रग के नेताओं के पक्ष में काम करने वाले अधिकारी ही अपने पदों पर आज भी जमे हुए हैं ! अगर मोदी 2019 का चुनाव जीतना चाहते हैं तो उन्हें यथाशीघ्र लुटियन जोन की इन रणनीतियों की काट ढूँढनी होगी । 

सन्डे गार्जियन के इन दोनों आलेखों को पढ़कर क्या आपको नहीं लगता कि मोदी जी आज प्रथ्वीराज की तरह अगर आतंकवाद और काले धन जैसे विराट शत्रुओं से पूरी सिद्दत से लड़ रहे हैं, तो साथ ही उनके प्रयत्नों को पलीता लगाकर उन्हें पराजित करने हेतु देश के जयचंद भी पूरा जोर लगा रहे हैं !

साभार आधार - http://www.sundayguardianlive.com/news/7792-post-demonetisation-terror-groups-use-foreign-currencies
http://linkis.com/jyeHO
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