अपेक्षारहित सेवा से ही होगा हिन्दू समाज सशक्त - डॉ मोहन जी भागवत


हिन्दू समाज को मजबूत करने के लिए आवश्यक है कि हम सेवा कार्यों से जुड़ें और उसे सामाजिक जागरूकता का माध्यम बनाएं ! सेवा कार्यों से ही समाज सशक्त होकर सभी कठिनाईयों पर विजय प्राप्त कर सकता है ! समाज को सशक्त बनाने के इस कार्य में हमें शासन से किसी पुरष्कार की अपेक्षा नहीं करना चाहिए ! यह कार्य तो दुनिया को यह सन्देश होगा कि अब हिन्दू समाज आत्मनिर्भर और सशक्त हो गया है !

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन जी भागवत ने 31 दिसंबर, 2016 को भारत सेवाश्रम संघ के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित हिंदू सम्मेलन के समापन समारोह में उक्त उदगार व्यक्त किये ।

सरसंघचालक जी ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक आचार्य स्वामी श्रीमत प्रणवानंद जी महाराज की शिक्षायें आज भी प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हैं। संघ में, प्रतिदिन प्रातःकाल अपने एकात्मता स्तोत्र में हम उनका पूण्य स्मरण करते हैं ।

उन्होंने कहा कि वह भूमि, जहां हमारे पूर्वजों ने उदात्त मानवीय आदर्शों की स्थापना की, हमारी मातृभूमि है । उत्तर में हिमालय और दक्षिण में समुद्र के बीच स्थित इस विशाल देश में जो लोग रहते हैं, वे चाहे किसी संप्रदाय, जाति और धर्म के हों, वे सभी हिन्दू हैं । दुर्भाग्य से, हम यह बात भूल गए, इसी के कारण हिंदू समाज अपने ही देश में संकटों से घिरा हुआ है । 

सरसंघचालक जी ने आगे कहा कि हमारे पूर्वज श्री राम ने वनवासियों के सहयोग से राक्षसों का संहार कर वीरता के आदर्श स्थापित किये । आज पोप अहंकार पूर्वक दावा करते हैं कि तीन महाद्वीपों में रहने वाले लोगों को अपने मत में परिवर्तित करने के बाद अब एशिया की बारी है । लेकिन वे भूल जाते हैं कि पिछले 1000 साल में भले ही उन्होंने तीन महाद्वीपों को ईसाई बना दिया होगा, किन्तु लगातार काम करने के बावजूद वे केवल 6% भारतीयों को बदल पाए ।

विडंबना यह है कि जहाँ एक ओर अपने ही देश में चर्चों को बेचा जा रहा है, किन्तु वे यहाँ भारत में धर्मांतरण का प्रयत्न कर रहे हैं । हमारी संस्कृति, हमारा धर्म सत्य और सनातन है और हमने किसी भी देश में, किसी को भी बदलने की कोशिश कभी नहीं की ।

उन्होंने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति, सत्य औरशौर्य के आदर्शों पर खडी है। आवश्यकता इस बात की है कि हम ईमानदारी से सच्चे हिन्दू बनें और इस दुनिया को एक बेहतर दुनिया बनाएं । हम सब हिंदू हैं और सदैव हिन्दू ही रहेंगे । चीन स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहता है, लेकिन क्या वह अपने नागरिकों को ईसाई बनने की स्वतंत्रता देता है ? नहीं ! क्या मध्य-पूर्व के देशों में यह होना संभव है? नहीं ! इसलिए उनकी नजर अब भारत पर है ।

श्री भरत सेवाश्रम संघ के अंतर्राष्ट्रीय मंत्री स्वामी विश्वात्मानन्द जी, अंतर्राष्ट्रीय सह-मंत्री स्वामी अम्बरीशानंद जी महाराज, , स्वामीनारायण मंदिर (हलोल-कल्लोल) के स्वामी संतप्रसाद महाराज तथा वांसदा के राजकुमार जयवीरेन्द्र सिंह ने भी विराट हिंदू सम्मेलन की सभा को संबोधित किया।

इस अवसर पर आरएसएस के गुजरात प्रांत संघ चालक मुकेश भाई मलकान, प्रांत कार्यवाह यशवंत भाई चौधरी और 50 हजार वनवासी भाइयों और बहनों ने भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया। कार्यक्रम का प्रारम्भ वनवासी वन्धुओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ ।


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