गौ-रक्षा के लिए पुलिस और गोरक्षकों को यहाँ मिलता है इनाम

वैसे तो गाय भारत की ऐतिहासिक विरासत और पहचान है। भारत को गाय की महत्वता के लिए जाना जाता रहा है। मगर पिछले कुछ समय से वामपंथी विचारकों और पेड मीडिया ने गाय को विवादित विषय बना दिया है।

पिछले कुछ समय से गाय को लेकर जानबूझ कर विषय खड़े किये जाते हैं, फिर चाहे वो दादरी जैसी घटना हो या गुजरात में कथित दलित की पिटाई। इन सब विषयों को घूम फिर कर गाय से जोड़ दिया जाता है।बल्कि जो महत्व और सम्मान गाय को भारत में दिया जाना चाहिए, उसमें तेजी से कमी आई है। गाय के लिए चारे जैसी सुविधा करने की बजाय उन्हें सड़क पर भटकने को मजबूर कर दिया गया है। इतना ही नहीं बल्कि गौ-हत्या की बात की जाए तो हर साल लगभग 2 करोड़ गाय भारत में मार दी जाती हैं। ये तो सिर्फ सरकारी आंकडें हैं, असल आकडें इससे कहीं अधिक भी मिल जायेंगे। इन सबके बावजूद भारत में ही एक ऐसा राज्य है, जहाँ गौ की रक्षा करने वाले गोरक्षकों समेत पुलिस तक को इनामी राशि दी जाती है। और पिछले कुछ समय में इस राशि में बढ़ोतरी भी की गई है।

जी हाँ यह राज्य है गुजरात ! आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार गोरक्षा बोर्ड ने साल 2011-12 से 2015-16 के बीच लगभग 3 करोड़ से ज्यादा रुपए गौ-रक्षकों की इनामी राशि के रूप में खर्च किए हैं।

गायों को शरण देने के लिए दिया जाने वाला फंड 3 करोड़ रूपये में शामिल नहीं है। ये नकद इनाम उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने पुलिस को गोरक्षा के लिए जरूरी सूचना दी या फिर गौसेवा के मामले में सराहनीय कार्य किया हो।

जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, ये इनाम तब शुरू किया गया था। बोर्ड अनुसार गोसंरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए गोरक्षकों और पुलिस को यह इनाम दिया जाता है।

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