नवाब साहब जरा यह बतलाइए कि एनकाउंटर सुवरों का या गायों का ?

यह तो सर्वविदित है कि शिवपुरी शहर में पिछले कई महीनों से सुअर मुक्त बनाए जाने के नाम पर हैदराबादी नवाब की एन जी ओ द्वारा दनादन बेजुवां सूअरों पर गोलियां बरसाई जा रही हैं, जबकि दनादन गोलियाँ बरसाते नवाब भी स्वयं यह स्वीकार कर चुके है कि गोलियों से सुवरों को मारे जाने का क्रम यदि आगामी 50 वर्षों तक भी जारी रखा जाता है तो भी शहर से सुवरों को ख़त्म नहीं किया जा सकता परन्तु न जाने क्योँ फिर सुवरों के खात्मे हेतु अन्य प्रयासों को दरकिनार कर जनता के पैसे में आग लगाई जा रही है ? 

पूर्व में हैदराबादी नवाब जब सुवरों का शूट आउट करते थे तब भी उनके द्वारा रात्री में मारे गए सुवर कई कई दिन तक शहर की सड़कों पर पड़े दिखाई देते थे परन्तु अब आशंका है कि सुवरों के साथ साथ शहर में विचरण करती गायों को भी गोलियों का शिकार बनाया जा रहा है ! ऐसी ही एक घटना बीती 8-9 तारीख की रात्री शहर के लालमाटी क्षेत्र में देखने को मिली जहाँ सुवरों के शूट आउट का खेल जारी था ! सुबह कॉलोनी के लोगों ने देखा कि सुवरों की लाशों के बीच ही एक गाय मृत अवस्था में पड़ी हुई है जब नागरिकों ने गौर से गाय को देखा तो पाया कि उसकी आँख से रक्त बह रहा है और प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हुआ कि गाय की मृत्यु उसकी आँख में गोली लगने से हुई है क्यूंकि उसके पास ही पड़े मृत सुवर की आँख में से भी ठीक उसी प्रकार से रक्त बह रहा था ! 

कुछ लोगों ने इस घटना क्रम की जानकारी हिन्दू संगठन से जुड़े लोगों को प्रदान की तब संगठनों के लोगों के सूचना देने पर उस मृत गाय को पशु चिकित्सालय पहुँचाया गया ! पशु चिकित्सालय से इस गाय को पोस्टमार्टम हेतु कब्रिस्तान के समीप एक खाली स्थान पर ले जाया गया ! यहाँ पोस्टमार्टम के पश्चात पोस्टमार्टम करने वाले पशुचिकित्सकों की टीम ने कहा कि इस गाय की मृत्यु पोलिथीन खाने से हुई है परन्तु जब उनसे यह पूछा गया कि इस गाय की आँख से रक्त कैसे बह रहा था ? तो वह चुप्पी साध गए !

दरअसल वर्तमान में पोलिथीन के अत्याधिक प्रचलित होने के कारण यदि हर गाय का पेट चीर के देखा जाए तो निश्चित रूप से उसके अन्दर बड़ी तादात में पोलीथीन निकलेगी ! पोलीथीन से मरने वाली गाय भी अचानक से तो मरने से रही, वह बीमार होगी, तडपेगी उसे कष्ट होगा तब जाकर वह अपनी देह त्यागेगी और इस प्रक्रिया में कम से कम 1 से 2 दिन का समय तो लगेगा ही और इस दौरान वह गाय कम से कम 8 से 10 घंटे तो इस अवस्था में रहेगी जिसमे वह चलने फिरने में भी असमर्थ होगी परन्तु लालमाटी क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि यह गाय उन्होंने इस अवस्था में नहीं देखी अर्थात गाय की मौत का वास्तविक कारण पोलिथीन नहीं है !

निश्चित ही रूप से जब अभी तक 55 लाख से ऊपर जब इन सुवरों को मारने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जा चुका है और गाय को यदि गोली लगी जिससे उसकी मृत्यु हुई ऐसी सूचना जब जनता को पता चलेगी तो पहले से ही न जाने कितनी अधूरी योजनाओं के कारण सांस तक लेने में कठिनाई महसूस करने वाली जनता का गुस्सा फूटना स्वाभाविक है इस बात को हर कोई जानता है तो कहीं इसी कारण से ही तो इस मामले को दबाया तो नहीं जा रहा ?

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