क्या हिन्दू होना पाप है ?

ऐसा कोई मुस्लिम शासक नहीं हुआ जिसने मंदिर तोड़कर मस्जिद न बनायीं हो और न ही कोई ऐसा हिन्दू शासक हुआ जिसने मस्जिद तोड़ कर मंदिर बनाया हो ! हिन्‍दू के पैर के नीचे एक चींटी भी आ जाये तो वह अत्‍यंत दु:खी हो जाता है. क्योंकि उसकी संस्‍कृति उसे विश्‍व कुटुम्‍ब की भावना, अतिथि देवो भव: व हर प्राणी पर दया करना सिखाती है ! ऐसे हिन्‍दुओं पर संकीर्ण विचारधारा के तथाकथित धर्म निरपेक्ष नेता आतंकवाद, सम्‍प्रदायवाद और न जाने क्या क्या घटियां आरोप लगाते रहते हैं. जबकि दूसरी ओर ये ही नेता चंद वोटों के लिये जेहादी मुस्लिम आतंकियों को समर्थन व संरक्षण देते हैं ! कश्‍मीर के आतंकियों के परिवार को ये पेंशन बांटते हैं ! ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहते हैं, देश का भूतपूर्व गृहमंत्री हाफिज सईद जैसे दुर्दांत आतंकवादी को हाफिज साहब कहकर पुकारता है ! इंसानियत को भी लजा देने वाले पाखण्‍डी व झूठे नेताओं के चाल और चरित्र को समझकर पूर्णत: इनका बहिष्‍कार नही किया गया तो ये हिन्‍दुओं का विनाश करने के लिये किसी भी सीमा तक जा सकते हैं !

वर्तमान में हिन्दुओं की स्थिति को देखते हुए कई बार एक प्रश्न मन में उठता है कि मैंने एक हिन्दू होकर जन्म लिया, इस पर गर्व किया जाए या अफ़सोस ? अगर अपने आप को सेकुलर कहने वाले दलों की मानें तो इस देश में हिंदुत्व की बात करना, हिन्दू होने पर गर्व करना, हिन्दुओं के बारे में सोचना केवल पाप ही नहीं, बल्कि सर्वोच्च अपराध है ! मीडिया हो, राजनेता हों, ये तथाकथित सेकुलर हिन्दू भी हिंदुत्व को घोर पाप मानते हैं ! अगर इनका बस चले तो देश के संविधान में परिवर्तन कर यह घोषित कर दें कि हिन्दू होने का मतलब ही पापी या अपराधी होता है ! 

शायद हजारो सालो की गुलामी ने हमारे अन्दर के लहू को भी शांत कर दिया है तभी तो ओवैसी जैसे लोग हिन्दुओं का अस्तित्व मिटाने की बात करता है और हम शांत रहते हैं ! हममें से बहुत से लोग अक्सर मुस्लिमों को दोष देने लग जाते हैं, पर असल में ये गलत है ! कमजोरी तो हिन्दुओं में है जिनमे एकता नहीं है. मुस्लिम तो अपने हक़ और फायदे के लिए एक संगठित होकर सामने आते हैं, वे मिलकर किसी भी मुद्दे पर आम राय कायम करके एक साथ उसे क्रियान्वित करते हैं ! 

कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी एजेंट की तरह सुरक्षा जवानों पर पथराव करने वाले और पाकिस्तान आईएस के झंडे फहराने वालों के खिलाफ जब कठोर कार्यवाही की बात होती है तो तथाकथित सेक्युलरों में उदारवादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार देश के दुश्मनों के साथ भी नरम व्यवहार करने की बात कहकर देश के गद्दारों का बचाव करने की कोशिश करते हैं, वहीँ अमरिका व अन्य पश्चिमी देशों में निर्दोष हिन्दुओं की नृशंश हत्या पर हमारे देश के यही तथाकथित सेक्युलर, मानवाधिकारवादी, बुद्धिजीवी व मीडिया जगत आदि सब लम्बी चुप्पी साध जाते है ! शायद इनका काम गुजरात में मोदी के विरोध में व कश्मीर के आतंक व अलगाववादियों के पक्ष में हडकंप मचाते रहना ही है ! देश विदेश में हिन्दुओं की छवि को धूमिल करने वाली तीस्ता जावेद, अरुंधती रॉय, मेघा पाटकर व निर्मला देशपांडे आदि सब न जाने कहाँ लुप्त हो जाती है ?

ईसाई या मुसलमानों पर झूठे आघातों को अतिरंजित करके देश को कठघरे में खड़ा करने वाले अमरिका में निर्दोष हिन्दुओं की मौत पर चुप क्योँ है ? हिन्दुओं का उत्पीडन व संहार चाहे अफगानिस्तान में हो, पाकिस्तान व बांग्लादेश में हो या भारत सहित विश्व के किसी भी कोने में हो, इन लोगों की संवेदनाएं नहीं जागती ! जबकि हजारों-सैकड़ों निर्दोषों के हत्यारे मजहबी आतंकवादियों को बचाने के लिए इन जैसे कुछ असाधारण भारतवासियों की नींदें तक उड़ जाती है ! इसे सहिष्णुता कहेंगे या मानसिक दिवालियापन ! इस मनोवृत्ति के घातक परिणामों को भोगते रहने को करोड़ों आम भारतवासी विवश है ?

लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व (28.10.2015) विसाहडा (ग्रेटर नॉएडा) काण्ड सबको स्मरण होगा, गौवंश भक्षक अख़लाक़ की रहस्यमय मौत पर आंसू बहाने वाले व विश्व में भारत की उदार-सहिष्णु संस्कृति को कलंकित करने वाले साहित्यकार कहाँ है ? क्या उनके पास अब लौटाने को कोई और पुरूस्कार शेष नहीं या अब उनको राष्ट्रवादी बन कर मीडिया जगत में छाने की कोई आवश्यकता नहीं ?

क्या अमरिका आदि देशों में मारे जाने वाले हिन्दू मानव नहीं है ? क्या उनके कोई मानवाधिकार नहीं है ? क्या उनका हिन्दू होना कोई दोष है ? हिन्दू लुटे, पिटे या मरें किसी को कोई सरोकार नहीं ! कोई क्योँ इन हिन्दुओं के संहारों पर बोलेगा, लिखेगा या कोई गोष्ठी व सेमीनार आदि करेगा ? क्यूंकि कौन इसके लिए किसको प्रायोजित या स्पोंसर करेगा ?   

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