भारत में बढ़ता आईएसआईएस का मकडजाल - निशाने पर मोदी और योगी - संजय तिवारी



लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आतंकियों के निशाने पर हैं। लंदन में बैठे कुछ कश्मीरी आतंकियों ने दोनों बड़े नेताओं की हत्या की साजिश रची है।खबर है कि कश्मीर से एक दर्जन से अधिक आत्मघाती आतंकियों को लखनऊ की ओर भेजा गया है। सेंट्रल इंटेलीजेंस और खुफिया विभाग से मिले इनपुट के बाद यूपी पुलिस के आइजी सिक्योरिटी ने बरेली सहित सभी जिलों के डीएम और एसएसपी को अलर्ट किया है।
खुफिया विभाग के इनपुट के मुताबिक, दोनों बड़े नेताओं को टारगेट करने के लिए कश्मीर से आत्मघाती आतंकियों और स्लीपर सेल का दस्ता भेजा गया है, जो मार्च के आखिरी सप्ताह में कश्मीर से लखनऊ के लिए रवाना हुआ। अप्रैल में इनके दिल्ली और उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने की सूचना है। इनपुट के बाद वीआइपी और अतिविशिष्ट व्यक्तियों के मूवमेंट और कार्यक्रमों पर सतर्कता बढ़ा दी गई है
इसी बीच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गुरूवार की सुबह यूपी एटीएस के साथ एक संयुक्त ऑपरेशन में 3 अाईएसअाईएस संदिग्धों को जालंधर, मुंबई और बिजनौर से गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि बिजनौर के बढ़ापुर की मस्जिद से एटीएस और एसटीएफ ने छापा मारकर दो लोगों को हिरासत में लिया है। यह सूचना मिलने के बाद कि आतंकवादी घटनाएं करने के लिए एक गिरोह तैयार हो रहा है, यह ऑपरेशन किया गया। बिजनौर के बढ़ापुर की मस्जिद से मुफ्ती फैजान और तंजीर अहमद नाम को दो अाएसअाईएस संदिग्धों को एटीएस ने मस्जिद में पकड़ा है। वे काफी समय से बढ़ापुर की मस्जिद में रह रहे थे। दिल्ली पुलिस के इस अॉपरेशन में 5 राज्यों की पुलिस मदद कर रही है। इसमें अाध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश अौर महाराष्ट्र की एटीएस तथा बिहार व पंजाब की पुलिस शामिल है।
खुफिया सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को तो आईएस के एक आतंकी माडयूल ने पिछले वर्ष दशहरे के मौके पर लखनऊ रैली में विस्फोट से उड़ाने की भी साजिश रची थी. इस बात का खुलासा हाल में कानपुर से गिरफ्तार आईएसआईएस संदिग्ध दानिश ने एनआईए की पूछताछ में किया है. इसी तरह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी आईएसआईएस के निशाने पर है. इतना ही नहीं, जैश ए मोहमद, इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन भी योगी को पहले से ही अपने राडार पर लिए हुए हैं. इसी के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों योगी को जेड प्लस सिक्योरटी के साथ कमांडों की चार घेरों वाली सुरक्षा व्यवस्था मुहैय्या कराई है.
इस पूरे नेटवर्क को समझने के लिए कुछ माह पहले से ही हो रही घटनाओ का विश्लेषण बहुत जरूरी है। उत्तर प्रदेश एटीएस और एनआईए द्वारा मोहमद दानिश और आतिफ मुजफ्फर से पूछताछ में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी संगठन आईएसआईएस से संबंध रखने वाले इन दोनों और इनके अन्य साथियों ने बीते वर्ष अक्टूबर माह में लखनऊ रामलीला मैदान में बम लगाने की साजिश रची थी, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रैली कोसंबोधित करने वाले थे. यह दोनों फिलहाल एनआईए (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) की हिरासत में है. मध्यप्रदेश के उज्जैन में रेलवे पटरी पर बीते सात मार्च को हुए विस्फोट के बाद एनआईए ने आतिफ समेत अन्य छह लोगों को गिरफ्तार किया था. खबरों के मुताबिक आईएसआईएस से प्रेरित यह संगठन विस्फाट की खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन यह खबर कभी आई ही नहीं. दानिश ने अपने बयान में कबूल किया कि यह समूह चरमपंथ के प्रभाव के स्तर को जानने के लिए विस्फोट करने को बेसब्र हो रहा था और इस प्रक्रिया के दौरान समूह ने विभिन्न स्थानों पर बम लगाने के कई प्रयास भी किये थे. उसने बताया कि आतंकी समूह के स्वयंभू प्रमुख आमिर अतिफ मुजफ्फर ने स्टील के पाइपो और बल्बों की मदद से बम भी तैयार किया जिसमें उसने भी मदद की. दानिश ने जांचकर्ताओं को बताया कि आतिफ ने इंटरनेट की साइट इंस्पायर से बम बनाना सीखा था. इसे कथित तौर पर प्रतिबंधित अलकायदा संगठन से संबद्धता रखने वाले एक संगठन ने अपलोड किया था. आरोपी ने दावा किया कि आतिफ ने साइकिल की एक दुकान से लोहे के छर्रें के दो पैकेट खरीदे थे, इसके अलावा उसने आतिफ नाम के ही एक अन्य आरोपी के साथ उस स्थान की रेकी भी की थी.
दूसरी तरफ आतिफ ने भी दानिश के इस बयान की पुष्टि की. उसने बताया कि वह कानपुर के मूलगंज में पटाखे की सामग्री खरीदने गए थे. आतिफ ने कहा कि उसने वह बम भारतीय वायु सेना के सेवानिवृत कर्मी जीएम खान को देदिया था. खान इस बम को अपनी बाइक पर लेकर लखनऊ गए थे. उसकी बाइक पर भारतीय वायुसेना का स्टीकर भी लगा था. गत 11 अक्टूबर को वह और समूह के अन्य सदस्य लखनऊ पहुंचे, वहां उन्होंने नया सिम कार्ड खरीदा और खान से संपर्क किया ताकि उस स्थान पर या उसके आसपास कहीं बम लगाया जा सके. इसी तरह मीडिया में खुफिया एजेंसियों के हवाले से आई खबरों के अनुसार योगी आदित्यनाथ सीएम बनने से पहले ही आतंकियों के निशाने पर तो थे ही, पर हाल में यूपी विधान सभा के लिए हुए चुनावों में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद उन पर आतंकी संगठनों के हमले का खतरा और बढ़ गया है. लिहाजा खुफिया एजेंसियों ने आशंका व्यक्त की है कि आतंकी संगठन कभी भी कोई खौफनाक वारदात को अंजाम दे सकते हैं.
दरअसल लखनऊ मुठभेड़ आईएस के खतरे का ट्रेलर मात्र था . इसके जरिये आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया और बगदादी एंड कंपनी अब भारत को भी सीरिया और इराक जैसा बनाने की कोशिश कर रही है. बीते दिनों मध्यप्रदेश के शाजापुर में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में एक धमाका हुआ था. इसके बाद आतंकवादियों ने धमाके की तस्वीर सीरिया में मौजूद आईएसआईएस के आकाओं को भी भेजी थीं. यह धमाका देश में आईएसआईएस का पहला हमला था, जिसमें 9 लोग जख्मी हो गए थे. आतंकवादियों के पास से जो विस्फोटक मिले हैं, उन पर लिखा था आईएसआईएस, हम भारत में हैं. इसके बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने कानपुर के रहने वाले दानिश अख़्तर, आतिश मुजफ्फर और अलीगढ़ के रहने वाले सैय्यद मीर हुसैन को गिरफ्तार किया था. मध्यप्रदेश पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर उत्तर प्रदेश की पुलिस और एटीएस ने लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में एक घर की घेराबंदी कर ली, जिसमें मोह मद सैफुल्लाह नाम का एक आतंकवादी छिपा हुआ था. पुलिस इस आतंकवादी को जिन्दा पकडऩे की कोशिश कर रही थी. लेकिन वो सरेंडर करने के लिए तैयार नहीं था. आखिरकार 11 घंटे के मुठभेड़ के बाद रात करीब ढाई बजे इस आतंकवादी को मार गिराया गया. हालांकि, उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून एवं व्यवस्था दलजीत चौधरी ने स्पष्ट किया है कि मारा गया आतंकवादी सैफुल्लाह था. इस आतंकवादी को सीधे आईएसआईएस से कोई निर्देश मिले थे या नही, यह अभी नहीं कहा जा सकता. लेकिन वह आईएसआईएस की विचारधारा से कहीं ना कहीं प्रभावित जरूर था. इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद रोधी स्क्वायड (एटीएस) ने लखनऊ आतंकी आपरेशन के सिलसिले में नौ मार्च को दो और संदिग्धों को गिरफ्तार किया.
इससे पूर्व एटीएस ने लखनऊ आपरेशन में संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह को मार गिराया था. एडीजी (कानून व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने बताया कि गिरफ्तार संदिग्धों में से एक भारतीय वायुसेना का पूर्व कर्मी मोहम्मद गौस खान है. उन्होंने बताया कि खान माड्यूल का मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड है. उसे कानपुर से पकड़ा गया. खान ने पूछताछ के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं. पुलिस उससे मिली जानकारी के आधार पर जांच आगे बढा रही है. एडीजी ने कहा, मोहम्मद गौस खान माडयूल का कट्टर सदस्य है और वह तकनीकी स्तर पर जानकार है. उन्होंने बताया कि एक अन्य आरोपी अजहर भी पकड़ा गया है. चौधरी ने यह नहीं बताया कि अजहर को कहां से पकड़ा गया है. अजहर माडयूल को हथियारों की आपूर्ति करता था. चौधरी ने बताया कि आज की दो गिरफ्तारियों के साथ ही माडयूल के सभी प्रमुख सदस्य पकड़े जा चुके हैं. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने इससे पूर्व तीन संदिग्ध गिरफ्तार किये थे. इस प्रकार अब तक कुल पांच लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं. सैफुल्लाह के तार भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन विस्फोट से जुडे होने का संदेह था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये आतंकी संगठन उत्तर प्रदेश की नेपाल से सटी लम्बी सीमा, घनी आबादी, बेइंतहा बेरोजगारी और पिछड़ेपन के मद्देनजर यूपी को अपने खुरासान योजना का ट्रांजिट प्वाइंट बनाना चाहते हैं. अपनी इसी योजना के तहत इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंक के जरिए देश में अपने नापाक मंसूबे खुरासान को अंजाम देने के लिए यूपी के नौवाजनों को मोहरा बना रहा है. इसके लिए इन दिनों सोशल मीडिया के जरिए यूपी के युवा तेजी से आईएस की ओर जुड़ रहे है. जिसका खुलासा खुद यूपी एटीएस के आई असीम अरूण ने एक विशेष बातचीत के दौरान किया है. आईएस के इस नापाक मंसूबे की साजिश से यूपी एटीएस पूरी तरह वाकिफ है. यही वजह है कि अभी बीते दिनों लखनऊ में कानपुर के रहने वाले आईएस के आतंकी सैफुल्लाह को यूपी एटीएस ने एनकाउंटर में मार गिराया. जिस कमरे में सैफुल्लाह छिपा हुआ था, उसमें से बड़ी संख्या में विस्फोटक मिले हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि इस आतंकवादी के कमरे से आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के झंडे के साथ साथ, भारतीय रेलवे का नक्शा भी बरामद किया गया है. इसके अलावा पुलिस ने कानपुर के ही रहने वाले दो और संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके अलावा इटावा से भी एक संदिग्ध आतंकवादी को गिरफ्तार किया है. कानपुर से गिरफ्तार किए गए दो संदिग्ध आतंकवादियों के पास से आपत्तिजनक सामग्री मिली हैं.
गौर करने वाली बात ये है, कि उनके साहित्य आईएसआईएस से संबंधित हैं और युवाओं का ब्रेनवाश करके उन्हें भडक़ाने वाला भी था. इसके अलावा एटीसी के अब तक की जांच में जो बातें सामने आई हैं वे बेहद चौकाने वाली हैं. यूपी के रहने वाले 14 संदिग्धों पर इस वक्त एटीसी ने पैनी नजर टिका रखी है जिनके तार आईएस आतंकी सैफुल्लाह और आईएस जुड़े मिले हैं. वहीं दूसरी ओर एटीएस की ओर से यूपी के ही अन्य 16 लडक़ों को डी रेडिकलाइज किया जा रहा है. इनमें से चार लडक़ों को संदिग्ध पाए जाने पर गिरफ्तार भी किया जा चुका है, जोकि इस वक्त जेल में हैं. जबकि 12 अपने घरों में है, जिनसे एटीएस लगातार संपर्क बनाए हुए है. दरअसल उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठन आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित होने वाले दर्जनों नौजवानों पर यूपी एटीएस की कड़ी नजर टिकी हुई है. असीम अरूण ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कई नौजवानों को सोशल मीडिया के जरिए जेहाद की तरफ ले जाने की कोशिश को जांच ऐजेंसियों ने पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है. यही वजह है कि साल 2016 में एक बड़े माड्यूल का खुलासा भी किया गया था. तभी से उत्तर प्रदेश में रहने वाले तकरीबन 16 लडक़ों पर एटीएस की कड़ी नजर है. वहीं आईएस आतंकी सैफुल्लाह के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद इस मामले की जांच एनआईए (नेशनल इनविस्टीगेशन ब्यूरो) के अलावा यूपी एटीएस भी कर रही है. अन्य 14 लडक़ों पर भी एटीएस नजर टिकाए हुए है जोकि मारे गए सैफुल्लाह से लगातार संपर्क में थे. इनमें से कई लडक़े उसके रिश्तेदार भी है.
सूत्रों के अनुसार इसके अलावा अन्य संदिग्ध पाए गए सभी 16 लडक़ों को डी रेडिकलाइज किया जा रहा है. उनसे बातचीत की जा रही है. जो चार लडक़े जेल में बंद हैं, उनसे भी एटीएस लगातार संपर्क में है. आईजी एटीएस के मुताबिक सभी लडक़ों को अच्छे मौलानाओं से मिलवाकर धर्म का सही तरीका बताया जा रहा ह. इसके अलावा उन्हें स्किल डेवलपमेंट से जुड़े कोर्स भी करवाए जा रहे हैं. जो जेल में बंद हैं. उन्होंने बताया कि उनके बाहर आने पर उनकी नौकरी के बारे में भी सोचा जाएगा, जो लडक़े बाहर हैं, उन्हें अलग अलग ट्रेनिंग दिलाई जा रही है. आईजी असीम अरूण के मुताबिक सोशल मीडिया के जरिए लडक़ों को टारगेट किया जा रहा है. आईएस की जाल में फंसने वाले ज्यादातर बेरोजगार युवक हैं या फिर ऐसे हैं जिनका छोटा मोटा अपराधिक इतिहास है. उन्होंने बताया कि एक बार कोई लडक़ा इनके जाल में फंस जाए तो उसे जेहाद और पैसे का लालच दिया जाता है. इसके बाद उन युवकों से टेलीग्राम मैसेंजर पर बातचीत शुरु होती है. गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों में यूपी तेजी से आतंकियों का ट्रांजिट पाइंट बन रहा है. खासतौर से आईएस माड्यूल्स का. यही वजह है कि साल 2016 में भी लखनऊ के इंदिरानगर से यूपी एटीएस व एनआईए ने संयुक्त अभियान में मोहम्मदद अलीम को गिरफ्तार किया था. एनआईए का दावा था कि अलीम आईएस से जुड़ा हुआ था. वहीं अलीम की निशानदेही पर कुशीनगर से मोहम्मद रिजवान को पकड़ा गया. इन दोनों ने ही लखनऊ में मुंशी पुलिया स्थित एक स्थान पर आईएस के लिए तमाम मीटिंग आयोजित की थी. इंटरनेट में वायरल होते जा रहे आईएस के साहित्य दबिक्य ने सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. सोशल मीडिया के जरिए इस साहित्य से भटके हुए युवाओं को आईएस व अन्य आतंकी संगठन खुद से जोडऩे का काम कर रहे हैं. इंटरनेट पर बार बार इसे सर्च करने वाले भटके युवा आतंकी संगठनों के निशाने पर आ जाते हैं. इसके बाद उन्हें धर्म व जेहाद के नाम पर साथ ही पैसों का लालच देकर आतंक की आग में झोंक दिया जाता है.
आखिर क्या है खुरासान?
इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने 2020 तक भारत समेत दुनिया के कई देशों पर कब्जे का प्लान तैयार कर रखा है. इसके तहत आईएस यूरोप, चीन, भारत और नार्थ अफ्रीका तक अपना राज फैलाना चाहता है. अपने मंसूबे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए आईएस ने एक नक्शा बनाया है. नक्शे में स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांंस के हिस्से को अरबी में अंदालुस्य नाम दिया गया है. जबकि भारत समेत एशिया के बड़े हिस्से को खुरासान नाम दिया गया है. इसी संगठन से जोडऩे के लिए भारतीय मुसलमानों के बीच काम भी हो रहा है. गौरतलब है कि ईरान के पूरब आमू नदी के दक्षिण और हिंदूकुश के उत्तर स्थित विस्तृत भू भाग का नाम खुरासान था, लेकिन अब इस नाम का प्रयोग अत्यंत सीमित अर्थ में होता है. यह ईरान के उस उत्तर पूर्वी प्रांत का नाम है जो उत्तर में रूसी कैस्पियन प्रदेश में लगा है. आईएस अपने आतंकवादियों से कहता है कि जो लोग इस्लाम कबूल नहीं करेंगे उन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिए. इसके अलावा आईएस यह भी कहता है कि सिवाए मुसलमानों के दुनिया पर किसी और धर्म के लोग शासन नहीं कर सकते हैं. गैर मुस्लिमों की हकूमत नाजायज हुकूमत है. और आईएस अपनी योजनाओं में खिलाफत का भी जिक्र करता है. यानी दुनिया भर में मुसलमानों की एक ही हुकूमत होनी चाहिए. आईएस कैसे कट्टरपंथी सोच का फायदा उठाकर युवाओं को भडक़ा रहा है. यह समझाने के लिए हम आपको पाकिस्तान के इस्लामिक स्कालर जावेद अहमद गमीदी का एक बयान सुनाना चाहते हैं. गमीदी पाकिस्तान के उन गिने चुने लोगों में शामिल हैं, जो यह मानते हैं कि इस्लाम की गलत व्याख्या करके लोगों को भडक़ाया जा रहा है. उनका एक एक शब्द आपको ध्यान से सुनना चाहिए. यह आईएस का वो सच है, जो पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि भारत समेत कई देशों में मौजूद कट्टरपंथी लोग भी ऐसी ही शिक्षाएं देते हैं और इसका नतीजा यह होता है कि आईएस जैसे आतंकवादी संगठनों को आसानी से ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो उसके नाम पर दहशत फैलाते हैं और लोगों की हत्या करते हैं. आईएस को इराक और सीरिया में काफी नुकसान हुआ है, और उसकी ताकत कम हो रही है. लेकिन भारत सहित दुनिया के अलग अलग हिस्सों में विचारधारा के तौर आईएस का पोषण आज भी हो रहा है, और लखनऊ में आईएस से प्रभावित आतंकवादी का पकड़ा जाना इसी बात का सबूत है.
आईएसआईएस के इरादों से वाकिफ है यूपी एटीएस
आईएस सहित अन्य आतंकी संगठनों के हर नापाक साजिशों से यूपी एटीएस पूरी तरह वाकिफ है. अन्य सुरक्षा एजेंसियों से समन्वय बना कर एटीएस लगातार यूपी में पनप रहे आतंक के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. लखनऊ एनकाउंटर में मारे गए आईएस संदिग्ध सैफुल्लाह से जुड़े 14 लडक़ों पर हमारी बराबर नजर टिकी हुई है. इसके अलावा आईएस की ओर भटक रहे अन्य 16 लडक़ो का डी रेडिकलाइजेशन किया जा रहा है. इन लडक़ों व उनके परिवार से एटीएस लगातार बातचीत कर रही है. उम्मीद है यह लडक़े डी रेडिकलाइजेशन के बाद अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे.
असीम अरूण, आईजी यूपी एटीएस
आईएसआईएस की खतरनाक पाठशाला!
अनाथालय के बच्चों के लिए आईएसआईएस की अंग्रेजी किताब में बी से बैटल और जी से गन का पाठ पढ़ाया जा रहा था. फाक्स न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार इराकी सैनिकों ने पिछले माह उत्तरी मोसुल पर फिर से कब्जा करने के बाद एक अनाथालय से इंग्लिश फार द इस्लामिक स्टेट नाम की किताबें मिलीं जिसमें ए, बी, सी इस तरह पढ़ाया जा रहा था. किताब में बी से बैटल (जंग) और जी से गन (बंदूक) दिया गया है. बंदूक की जगह एक एके 47 राइफल की तस्वीर दी गई है. किताब में एस से स्नाइपर या निशानेबाज सिखाया गया है और इसको समझने के लिए एक आईएसआईएस लड़ाका की तस्वीर दी गई है. लड़ाका अपनी राइफल ताने है. गणित की किताबों में भी उदाहरणों के लिए एके.47 राइफलों और बमों का उपयोग किया गया है. फाक्स न्यूज के अनुसार इराकी सैनिक अधिकारियों ने बताया कि जिस अनाथालय से यह किताबें बरामद की गई हैं वहां बच्चों को आईएसआईएस के बाल सैनिक या मुखिबर बनाया जाता है.
बंद नहीं हुई आतंक की फैक्ट्री :
आतंकी सैफुल्लाह का मारा जाना और आज तीन आतंकियों के पकड़े जाने के बाद यह स्पष्ट है कि आईएसआईएस की फैक्ट्री बंद नहीं हुई है. बल्कि इस आतंकवादी संगठन ने दुनिया के दूसरे देशों में अपनी फ्रेंचाइजी खोलना शुरू कर दिया है. और आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित आतंकवादी अब किसी के निर्देश पर आन साइट अपने प्रोजेक्ट पूरे करने की बजाय. अपनी इच्छा से फ्रीलांस कर रहे हैं. लखनऊ में एनकाउंटर में मारा गया आईएसआईएस का आतंकवादी सैफुल्लाह भी एक ऐसा ही आईएसआईएस आतंकवादी था. सवाल यह है कि आईएसआईएस की विचारधारा में आखिर ऐसा क्या है कि इराक और सीरिया में मिल रही हार के बावजूद यह संगठन दुनियाभर के युवाओं का ब्रेन वाश कर रहा है. इसका जवाब है आतंक फैलाने का एक नया तरीका. आईएसआईएस पूरी दुनिया के जिहादियों को लोन ऊल्फ अटैक के लिए उकसा रहा है. लोन ऊल्फ अटैक एक ऐसा आतंकवादी हमला होता है, जिसे कोई व्यक्ति अकेले ही अंजाम देता है. इसके लिए सीधे तौर पर किसी कमांड स्ट्रक्चर की जरूरत नहीं होती है. आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित कोई आतंकवादी जब लोन ऊल्फ अटैक करता है तो बाद में आईएसआईएस उस हमले की जिम्मेदारी ले लेता है. आईएआईएस एक तरह से इन हमलों और हमलावरों को सर्टिफाइ करने का काम करता है. इससे आईएसआईएस को दो फायदे होते हैं. पहला आईएसआईएस का खर्चा बचता है और दूसरा आईएसआईएस का खौफ बढ़ता है. यानी कम खर्च में ज़्यादा खौफ. इसलिए जब भी दुनिया में कहीं भी आईएसआईएस का नाम लेकर कोई आतंकवादी हमला होता है तो आईएसआईएस कभी भी उसका खंडन नहीं करता, बल्कि आगे बढक़र हमले की जिम्मेदारी ले लेता है. जी न्यूज को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आईएसआईएस ने अपने भारतीय माड्यूल्स से कहा है कि उन्हें अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सीरिया या इराक आने की जरूरत नहीं है. यानी आतंकवादी जिस भी देश में मौजूद हैं वो हमलों को वहीं से अंजाम दे सकते हैं. लेकिन ब्रेन वाश किए गए लोगों के मन में आतंकवादी भावनाएं भडक़ाने के लिए आईएसआईएस आनलाइन ट्रेनिंग और अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराता है. आपने देखा होगा कि बहुत सारे डिस्टेंस लर्निंग से कोर्स या पत्राचार से कोर्स करते हैं और उन्हें अध्ययन सामग्री भेज दिया जाता है. ठीक इसी तरह आईएसआईएस भी आतंकवाद का डिसटेंस लर्निंग कोर्स करवा रहा है. पहले सेमेस्टर में वह विचारधारा में जहर भरता है और दूसरे सेमेस्टर में बम बनाने और हत्या करने के तरीके सिखाए जाते हैं. फिर कोर्स खत्म होते होते एक युवा आतंकवादी बन जाता है.
ऑनलाइन कक्षा
इंटरनेट की मदद से आईएसआईएस ऐसी तकनीकी जानकारी शेयर करता है, जिसमें घर के सामान से ही बम बनाने के तरीके मौजूद होते हैं.. युवाओं को आईएस में शामिल करने के लिए ग्रुप बनाए जाते हैं. इन्हीं युवाओं को कट्टर बनाया जाता है और दहशतगर्दी करने के लिए उकसाया जाता है. पिछले कुछ महीनों में आईएस ने भारत से जिन लोगों की भर्ती किया है, उनमें से ज्यादातर इनटरनेट के माध्यम से ही आईएस के संपर्क में आए हैं. आईएस भले ही इराक और सीरिया का युद्ध हार रहा हो, लेकिन उसकी योजना अब भी भारतीय उपमहाद्वीप पर कब्जा करने की है. आईएस की इस योजना को खुरासान कहा जाता है. लखनऊ में जो आतंकवादी मारा गया , वह भी इसी खुरासान योजना का हिस्सा था. खुरासान का मतलब होता है वह जमीन जहां सूर्य उगता है. खुरासान या ग्रेटर खुरासान मध्य एशिया से लेकर अफगानिस्तान और भारत तक फैले एक इलाके को कहा जाता है. आईएस की योजना वर्ष 2020 तक इस पूरे इलाके पर कब्जा करने की है. वर्ष 2015 में आईएस ने एक घोषणा पत्र भी जारी किया था. जिसमें 2020 तक भारत पर कब्जे का जिक्र करने के साथ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम का भी उल्लेख था. यह दूसरी बात है कि इसमें नरेन्द्र मोदी के लिए प्रधानमंत्री की जगह प्रेसिडेट आफ इंडिया कहा गया है.

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