भारत राष्ट्र के जनमानस को सदाचार की शिक्षा देने के लिए जरूरी है कि सत्पुरुषों के चरित्र-चित्रण को अभिव्यक्त किया जाए ! इनमें दो ही व्यक्...

भारत राष्ट्र के जनमानस को सदाचार की शिक्षा देने के लिए जरूरी है कि सत्पुरुषों के चरित्र-चित्रण को अभिव्यक्त किया जाए ! इनमें दो ही व्यक्ति आदशॆ रूप है-एक श्री राम और दूसरे योगेश्वर कृष्ण ! कृष्ण का जीवन एक आप्त पुरुष के समान है ! श्री कृष्ण एक महान स्वप्न दृष्टा थे, जिसे उन्होंने अपने जीवनकाल में भी चरिताथॆ करके दिखा दिया ! जहां श्री राम ने मिथिला से लेकर लंका तक सारे भारत को एक सूत्र में आबद्ध किया तो श्री कृष्ण ने द्वारिका से लेकर सुदूर पूर्व मणिपुर तक सारे भारत को एक सूत्र में आबद्ध और एक दृढ़ केंद्र में के आधीन करके समस्त राष्ट्र को इतना बलवान और अजेय बना दिया कि महाभारत के पश्चात लगभग चार हजार साल तक अनेक विदेशी शक्तियों के बार-बार आघात के बावजूद आर्यावर्त को खंडित नहीं कर सकीं ! न जाने कितने कवियों ने इन महापुरुषों के अवांतर रूपों की चर्चा के लिए तो सैकड़ों ग्रंथ लिख डाले, लेकिन उनकी राष्ट्र निर्माता के रूप में, जो कि वर्तमान की आवश्यकता है की चर्चा नगण्य रूप में की है ! हाँ श्री चमुपति ने अपनी पुस्तक एम ए शोध ग्रंथ योगेश्वर कृष्ण के लिए महाभारत के श्लोकों और अन्यान्य ग्रंथों के तथ्यों को वैज्ञानिक दृष्टि से नापतोल कर उनका विश्लेषण किया है। पुस्तक की भूमिका में ही श्री कृष्ण को
सा विभूतिरनुभावसम्पदां भूयसी तव यदायतायति
एतदूढगुरुभार भारतं वर्षमद्यं मम वर्तते वशे
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