आइये ! जानें ! संस्कृत का ह्रास क्योँ हुआ ?

पहले संस्कृत लोक भाषा थी ! परंतु धीरे-धीरे यह दैनिक व्यवहार से क्यों लुप्त होती गई ? ऐसा प्रश्न उत्पन्न होना स्वभाविक है ! इस विषय में निश्चित रूप से कुछ भी कहना कठिन है फिर भी ऐतिहासिक सामाजिक और व्यक्तित्व तीन कारण हो सकते हैं !

संस्कृत भाषा 100000 वर्ष से भी अधिक प्राचीनतम भाषा है ! गत दो सहस्र वर्षों में अनेक प्रादेशिक भाषाएं अपभ्रंश के रूप में विकसित हुई हैं ! सहस्र वर्ष पर्यंत परकीय शासन में विदेशी भाषाओं ने राज भाषाओं का स्थान प्राप्त किया और शासन ने वह भाषाएं हम पर थोप दी ! अंग्रेजी शासन काल में संस्कृत पाठशालाएं बंद कर दी गई, नए-नए अंग्रेजी विद्यालय खोले गए ! अंग्रेजी पढ़े लिखे लोग धन एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करने लगे, अंग्रेजी भाषा जीविका का साधन बन गई ! बी.ए. स्नातक पदवी को प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय को कोलकाता में हाथी पर बिठाकर शोभायात्रा निकाली गई जिस से अंग्रेजी अध्ययन को गौरव प्राप्त हुआ !

पहले संस्कृत जनसामान्य की भाषा थी ! समाज जीवन सरल सौहार्द व शांति युक्त था जाति की मान्यता भी गुण और कार्य के अनुसार थी ! बीच के काल में अनेक कारणों से ऊंच-नीच, भेद-भाव उत्पन्न हुए और समाज का बहुत बड़ा भाग संस्कृत से वंचित रहा !

भाषा व्यक्ति के अधीन है ! हिंदू समाज में जो विकृतियां उत्पन्न हुई उनका प्रभाव समाज के अंग भूत संस्कृतज्ञ व्यक्तियों पर भी हुआ ! अब यद्यपि उनकी संस्कृत व्यवहार विमुखता व अकर्मण्यता भी संस्कृत के ह्रास का कारण बनी फिर भी उन संस्कृतज्ञ लोगों ने ही अभाव, दारिद्र्य, मानापमान को सहन कर उस संस्कृत ज्ञानदीप को प्रज्ज्वलित रखा है अतः मानव जगत उनका ऋणी हैं !

भारतीयों को स्वाभिमान शून्य करके सरलता से शासन करने के लिए अंग्रेजों ने संस्कृत केंद्रित शिक्षण व्यवस्था को तो समाप्त किया ही, संस्कृत भाषा के अध्यापन हेतु 23 वर्ष प्राचीन यूरोपीय व्याकरण अनुवाद पद्धति प्रारंभ की ! पिछले 150 वर्ष से इसी अंग्रेजी पद्धति से संस्कृत अध्ययन के कारण संस्कृत आचार्यों के संस्कृत ज्ञान का भी स्तर गिरा है ! स्वतंत्र भारत में भी संस्कृत शिक्षा दिशाहीन होने के कारण भी संस्कृत का ह्रास हुआ है !

मातृभाषा होने के कारण प्रादेशिक भाषाओं ने स्थान प्राप्त किया ! बहुजन की भाषा व्यवहारिक भाषा और राजनीतिक कारणों से हिंदी में स्थान प्राप्त किया ! अंग्रेजी शिक्षित राजनीतिज्ञ प्रशासनिक अधिकारियों और ईसाइयों के कारण अंग्रेजी ने स्थान प्राप्त किया ! राजनीतिज्ञों की तुष्टीकरण की नीति और मुस्लिम जनों के व्यवहार कौशल से उर्दू ने भी स्थान प्राप्त किया परंतु समर्थक शक्ति के अभाव से संस्कृत भाषा को ही अपनी मातृभूमि में अपेक्षित गौरव स्थान नहीं मिला !

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