पत्रकारिता दिवस विशेष – “पत्रकारिता तब और आज” – दिवाकर शर्मा

SHARE:

30 मई 1826 को देश का पहला हिन्दी अखबार प्रकाशित हुआ ! कलकत्ता के कोलू टोला नामक मोहल्ले की 37 नंबर आमड़तल्ला गली से जुगल किशोर जी ने ...


30 मई 1826 को देश का पहला हिन्दी अखबार प्रकाशित हुआ ! कलकत्ता के कोलू टोला नामक मोहल्ले की 37 नंबर आमड़तल्ला गली से जुगल किशोर जी ने 'उदन्त मार्तण्ड' हिंदी साप्ताहिक पत्र निकाला ! इसीलिए आज हम हिन्दी पत्रकारिता दिवस मना रहे हैं! हिंदी पत्रकारिता को आज 191 वर्ष हो गए है ! आईये 1826 से लेकर 2017 तक के इस सफ़र की समीक्षा करें ! कहां से चले थे और कहां पहुंच गए हैं हम ! 

उस दौरान अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र निकल रहे थे, लेकिन हिंदी में एक भी पत्र नहीं निकलता था, अतः 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन शुरू किया गया ! जुगल किशोर जी मूल रूप से कानपुर के रहने वाले थे ! यह पत्र हर मंगलवार को निकलता था ! 'उदन्त मार्तण्ड' के आरंभ के समय किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि हिन्दी पत्रकारिता आगे चल कर इतना बड़ा आकर ले लेगी और इतनी महत्वपूर्ण हो जाएगी ! युगल किशोर शुक्ल ने काफी समय तक 'उदन्त मार्तण्ड' के माध्यम से पत्रकारिता की ! लेकिन आगे के दिनों में 'उदन्त मार्तण्ड' को बन्द करना पड़ा था, क्यूंकि पंडित जुगल किशोर के पास उसे चलाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था !
यह वह दौर था जब भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था ! समाचार पत्र प्रकाशन के मूल में राष्ट्रवाद की परिकल्पना थी ! इसी आधार व अभिप्राय से आगे चलकर 1910 में लोकमान्य तिलक जी ने केसरी का प्रकाशन तीन भाषाओं में किया, मराठी, हिन्दी तथा अंग्रेजी ! बाद में 1920 में डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने मूक नायक मासिक का प्रकाशन किया, इस प्रकार सामाजिक न्याय का आन्दोलन भी मीडिया के माध्यम से चला ! तो कहा जा सकता है कि उन दिनों पत्रकारिता के माध्यम से भारतीयों के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक हितों का समर्थन किया जाता था ! समाज में व्याप्त अंधविश्वास और कुरीतियों पर प्रहार और अपने पत्रों के जरिए जनता में जागरूकता पैदा की जाती थी ! कहा जाता था कि -

ना तीर निकालो न तलवार निकालो,
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अखबार निकालो !

परन्तु आज आजाद भारत में यदि तब से अब तक की पूरी पत्रकारिता यात्रा पर दृष्टी डाली जाए तो हम देखते है कि आज पत्रकारिता मीडिया और पत्रकार मीडियाकर्मी बन कर रह गए है ! कहाँ महान पत्रकार स्व.गणेश शंकर विद्यार्थी और क्रान्तिकारी पत्रकार प्रभास जोशी जैसे सच्चे पत्रकार जिन्होंने पत्रकारिता को नए आयाम दिए, कहाँ आज की दुरावस्था ?

हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा आचार्य शिवपूजन सहाय लेखों के जरिये वे जहाँ भाषा के प्रति सजग दिखाई देते थे, वहीं पूँजीपतियों के दबाव में संपादकों के अधिकारों पर होते कुठाराघात पर चिंता भी जाहिर करते थे ! अपने लेख "हिंदी के दैनिक पत्र" में आचार्य शिवपूजन सहाय ने लिखा था कि- "लोग दैनिक पत्रों का साहित्यिक महत्व नहीं समझते, बल्कि वे उन्हें राजनीतिक जागरण का साधन मात्र समझते हैं ! किंतु हमारे देश के दैनिक पत्रों ने जहाँ देश को उद्बुद्ध करने का अथक प्रयास किया है, वहीं हिंदी प्रेमी जनता में साहित्यिक चेतना जगाने का श्रेय भी पाया है ! आज प्रत्येक श्रेणी की जनता बड़ी लगन और उत्सुकता से दैनिक पत्रों को पढ़ती है ! दैनिक पत्रों की दिनोंदिन बढ़ती हुई लोकप्रियता हिंदी के हित साधन में बहुत सहायक हो रही है ! आज हमें हर बात में दैनिक पत्रों की सहायता आवश्यक जान पड़ती है ! भाषा और साहित्य की उन्नति में भी दैनिक पत्रों से बहुत सहारा मिल सकता है !

हमें ध्यान देना होगा कि आज जो राष्ट्र सशक्त दिखाई दे रहे हैं, उन्हें सशक्त बनाने में उस देश की मीडिया ने प्रमुख भूमिका अदा की है ! कहा जाता था कि किसी जमाने में युनियन जैक कभी सूर्यास्त का सामना नहीं करता था ! पूरे विश्वमें उसके इतने उपनिवेश थे ! इंग्लेंड की इस शक्ति में बीबीसी की भी भूमिका थी ! 31 अक्टूबर 1984 को जब हमारी सशक्त प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की ह्त्या हुई, तब इस समाचार पर लोगों ने तब तक विश्वास नहीं किया, जब तक कि बीबीसी द्वारा पुष्टि नहीं कर दी गई !

सीएनएन सदैव अमेरिकन हितों का ध्यान रखता है ! इसी प्रकार अलजजीरा गल्फ देशों का, बीबीसी इंग्लेंड का, प्रावदा रूस के हितों को ध्यान में रखता है ! किन्तु भारत में अभी तक भारत के हित देखने वाली, भारत के द्रष्टिकोण से देखने वाली मीडिया का अभाव है !

9 – 11 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को जहाज टकराकर क्षति ग्रस्त कर दिया गया, अमेरिकी मीडिया ने आलोचना की तो यह की कि अरब देशों का हाथ होने के बाबजूद सऊदी अरब को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया गया ! सोचिये भारत में ऐसा कुछ हुआ होता तो क्या होता ? रवीश कुमार, राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त सबके सब शोर मचाकर इसे दुर्घटना प्रमाणित करने में जुट जाते !

वर्तमान में सम्मान की नहीं सहारे की पत्रकारिता को अधिक महत्त्व दिया जा रहा है ! तब से लेकर आज की पत्रकारिता की परिस्थितियां बदलते बदलते यहाँ तक पहुँच गयी है कि कुछ तथाकथित पत्रकार दलाली और फिरौती की मांग करते हुए कैमरे में भी दिखे ! लेकिन स्वस्थ पत्रकारिता के प्रति जन-मानस में अब भी वही प्रेम और सम्मान है, जो पहले था ! परन्तु एक बड़ा सच यह भी है कि आज पत्रकारिता का क्षेत्र एक बड़ा कारोबार बन गया है, जो हिंदी का 'क ख ग' भी नहीं जानते, वे हिंदी पत्रकारिता में आ रहे हैं ! वहीँ दूसरी ओर अखबारों का संचालन पूंजीपतियों के हाथों में होने के कारण सत्ता के साथ एक अजीब किस्म का गठजोड़ भी उभरा है !

समाज में बदलाव पत्रकारिता का मूल उद्धेश्य होना चाहिए ! पत्रकारिता समाज के ऊपर के तबकों के लिए नहीं वरन दबे कुचलों के लिय करना आवश्यक है ! बदलते वक़्त और हालातों में हमें पत्रकारिता के मूल्यों के संरक्षण के लिए सोचना ही होगा इसके लिए सकरात्मक ख़बरों को आगे लाना होगा ! पत्रकारिता देश एवं समाज हित के लिए स्वस्फूर्त चिंतन है ! पत्रकार के पास पहनने, ओढऩे-बिछाने और जीने के लिए पत्रकारिता ही होती है ! उसकी भाषा समृद्ध होती है और जब वह लिखता है तो नश्तर की तरह लोगों के दिल में उतर जाती है ! इस बदलते दौर में हमें पत्रकारिता की भाषा, शैली एवं उसकी प्रस्तुति पर चिंतन कर लेना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को हम कुछ दे सकें ! पत्रकारिता दिवस पर हमें यह संकल्प लेना होगा ! तभी हम पत्रकार और पत्रकारिता के मूल्यों का हित संरक्षण करने में कामयाब होंगे ! तभी हम बदले वक़्त और चुनौतियों में कामयाब होंगे !

परवाह नहीं चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो,
चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो.

दिवाकर शर्मा
संपादक
क्रांतिदूत डॉट इन 

COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,24,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,11,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,90,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1126,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,911,शिवपुरी समाचार,331,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : पत्रकारिता दिवस विशेष – “पत्रकारिता तब और आज” – दिवाकर शर्मा
पत्रकारिता दिवस विशेष – “पत्रकारिता तब और आज” – दिवाकर शर्मा
https://4.bp.blogspot.com/-_6P_8TuhtnI/WS0jsBdwXrI/AAAAAAAAHqA/hG8INUmZrp847nvevFy_V-CoJj1Ui8fvgCLcB/s400/patrkarita.jpg
https://4.bp.blogspot.com/-_6P_8TuhtnI/WS0jsBdwXrI/AAAAAAAAHqA/hG8INUmZrp847nvevFy_V-CoJj1Ui8fvgCLcB/s72-c/patrkarita.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2017/05/Journalism-then-and-today-Divakar-Sharma.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2017/05/Journalism-then-and-today-Divakar-Sharma.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy