छत्तीसगढ़ में माओवाद का मुकाबला कर रहे हैं वनवासी कल्याण आश्रम के एकल विद्यालय |




विश्व संवाद केंद्र की टीम द्वारा 

अगर माओवाद जैसे हिंसक विचारों से निबटना है, तो उसके लिए शिक्षा सबसे प्रभावी उपकरण है । इस लक्ष्य को लेकर राज्य तो अपना काम कर ही रहा है, साथ साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से संचालित वनवासी कल्याण आश्रम भी इसमें प्रमुख सहभागी है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का सुकमा जिला माओवादी आतंकवादियों का गढ़ माना जाता है, जहाँ हालिया हमलों में हुई 25 सीआरपीएफ जवानों की मौत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया और फिर से इस क्षेत्र की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट हुआ । माओवादियों के साथ बन्दूक की लड़ाई तो शासन प्रशासन विगत कई दशकों से लड़ रहा है। किन्तु साथ साथ वह उन आदिवासियों के दिलों को जीतने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो माओवादीयों के बहकावे में फंस गए हैं । इन भोलेभाले वनवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाएं देने, तथा समझाईस द्वारा माओवादियों की हत्या की विचारधारा से दूर करने की कोशिश लगातार जारी है । लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है | दशकों से जड़ जमाये बैठी, माओवाद जैसी विचारधारा को समूल नष्ट करने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है ।

इसे समझकर छत्तीसगढ़ के वनवासी अंचल में संघ परिवार की मुख्य सेवाभावी संस्था वनवासी कल्याण आश्रम (वीकेए) ने अपना कार्य विस्तार किया है | बस्तर के 810 गांवों में अनौपचारिक एकल विद्यालय चल रहे हैं, जिनमें केवल एक स्थानीय नवयुवक शिक्षक के रूप में कार्य करता है, और बच्चों को शिक्षित करता है। स्थानीय होने के कारण उसे सबका सहयोग भी मिलता है तथा वह प्रभावी ढंग से बच्चों को शिक्षित करने के साथ उन्हें स्वास्थ्य और स्वच्छता की जानकारी, भारत की विरासत, संस्कृति, धर्म, जैविक खेती सहित अच्छी कृषि पद्धतियों की भी जानकारी देता है ।
छत्तीसगढ़ में एकल गतिविधियों के प्रभारी संजीव रूंगटा ने बताया कि "हम महिलाओं और बुजुर्गों को भी योग और प्राणायाम का अभ्यास कराते हैं | 6 से 14 वर्ष के बीच की आयु के बच्चों को रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाई जाती हैं, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं होती हैं, जिनमें बच्चों को पुरष्कृत किया जाता है । स्वामी विवेकानंद हमारे मुख्य प्रेरणा स्त्रोत हैं | "
जगदलपुर को भैरमगढ़ से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर स्थित बहेगांव से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बसा है चारवटा गांव | इस गाँव में संचालित एकल विद्यालय में तीन समूहों के बच्चों को “झेंने भोईयर” पढ़ाते हैं । बच्चे अपने नियमित स्कूल तो जाते ही हैं और फिर शाम 5 बजे से 8 बजे तक, एकल विद्यालय में आते हैं। सप्ताह में एक दिन गाँव की महिलाओं को भी स्वास्थ्य, स्वच्छ भोजन और हमारे अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के बारे में बताया जाता है ।
चरवाता के सरपंच पंचम भोईर के अनुसार एकल विद्यालय ने पांच वर्षों में, जबसे यह गाँव में स्थापित हुआ है, युवाओं में उल्लेखनीय बदलाव लाया है । वे कहते हैं कि एकल विद्यालय में जाने के बाद हमारे बच्चे अधिक जानकार, अनुशासित, आज्ञाकारी और स्मार्ट बन गए हैं।
बस्तर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रभारी हेमंत शुक्ला ने बताया कि एकल विद्यालयों के अतिरिक्त, बस्तर में आरएसएस द्वारा संचालित 250 से अधिक सरस्वती शिशु मंदिर भी हैं। माओवादी चिंतन एक प्रकार से मौत का फंदा है, जिसमें वनवासी फंसे हुए हैं, उस फंदे से उन्हें आजाद करने के लिए वनवासी कल्याण आश्रम अथक परिश्रम कर रहा है | हालांकि इस कार्य में हमें बहुत नुक्सान भी उठाना पड़ा है । पिछले पांच सालों में हमारे 25 कार्यकर्ता माओवादियों द्वारा मारे गए हैं और हमें 10 सरस्वती शिशु मंदिरों को बंद करना पड़ा है। हम अब उन स्कूलों में संस्कार केंद्र चलाते हैं । रामकृष्ण मिशन और कुछ अन्य संगठन भी दूरस्थ क्षेत्रों में वनवासी बच्चों के लिए स्कूल चला रहे हैं।


सौजन्य: स्वराज्य

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