लोकतंत्र की वास्तविकता से दूर भागता विपक्ष - सुरेश हिन्दुस्थानी

SHARE:

भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र का आशय स्पष्ट है जनता का राज। हमारे देश में चुनाव के माध्यम से भले ही जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है,...

भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र का आशय स्पष्ट है जनता का राज। हमारे देश में चुनाव के माध्यम से भले ही जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है, लेकिन राजनेता जनप्रतिनिधि बनने के बाद आम जनता से बहुत दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं आम जनता में शामिल कोई भी व्यक्ति इस अपने इस जनप्रतिनिधि से मिलने का प्रयास करने के बाद भी मिल पाते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वास्तव में नेता चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि की भमिका का सही तरीके से पालन करते हुए दिखाई देते हैं। यकीनन इसका उत्तर नहीं में ही होगा, क्योंकि जनप्रतिनिधि महज कुछ चाटुकारों के प्रतिनिधि बनकर ही रह जाते हैं। सवाल यह भी है कि देश में फिर कैसा लोकतंत्र ? क्या जनप्रतिनिधियों का जनता से दूर होना लोकतंत्र का परिचायक माना जा सकता है ? ऐसे में लगता है कि देश में लोकतंत्र के मायने बदल गए हैं, या बदल रहे हैं।

वर्तमान राजनीतिक वातावरण में जिस प्रकार की स्वार्थी राजनीति का चलन बढ़ रहा है, उसमें दिख रहा है कि राजनेता अपने हर कार्य को या तो सही सिद्ध करने का प्रयास करता है या फिर वह सीधे तौर पर सरकार पर बदले की कार्यवाही का आरोप लगा देता है। ऐसे में स्वच्छ और स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना कैसे कर सकते हैं ? लोकतांत्रिक जीवन मूल्यों को बचाए रखने के लिए वर्तमान में रचनात्मक विपक्ष का होना समय की मांग है। लेकिन हमारे देश में विपक्ष की रचनात्मकता समाप्त होती जा रही है। कहीं न कहीं अपने दोषों को छिपाने के लिए सरकार पर आरोप लगाना तो जैसे विपक्ष का स्वभाव ही बन गया है। यह बात सर्वथा सही है और देश की जनता भी इसको सही का दर्जा दे रही है कि देश की केन्द्र सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को सही रास्ते पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन हमारे देश का विपक्ष अपने स्वभाव के अनुसार अच्छे काम में आलोचना की गुंजाइश तलाशने को मजबूर हो रहा है, जो लांकतंत्र के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है। हालांकि लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए विपक्ष का होना अत्यंत जरूरी कहा गया है, लेकिन विपक्ष अपनी भूमिका का सही रुप से प्रतिपादन नहीं करे तो विपक्ष की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाना स्वाभाविक है।

इस वास्तविकता को भले ही देश की जनता स्वीकार करने लगी हो, लेकिन विपक्ष इस सच्चाई से दूर भागता हुआ दिखाई दे रहा है। विपक्ष सच्चाई को जाने बिना ही अपना बयान देकर देश की वास्तविक सरकार यानी जनता को गुमराह करने का दुष्कृत्य कर रहा है। हम जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी की सरकार देश की जनता द्वारा लोकतांत्रिक तरीके चुनी हुई सरकार है। लेकिन विपक्ष का रवैया ऐसा दिखाई देता है कि मोदी ने आक्रमण करके उनसे सत्ता छीन ली हो। यह एक प्रकार से लोकतंत्र का अपमान ही तो कहा जाएगा। वास्तव में जो दल जनादेश का सम्मान नहीं करता, उसे देश में राजनीति करने का कोई अधिकार ही नहीं है, क्योंकि यह देश आम जनता का है और देश में आम जनता की सरकार है।

एक ताजा मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की भाषा को ही ले लीजिए। जब लालू और उनके परिजनों के ठिकाने पर छापे की कार्यवाही की गई तो उन्होंने इस छापे की कार्यवाही को केन्द्र सरकार द्वारा बदले की कार्यवाही बता कर उस सत्य पर परदा डालने का कुत्सित प्रयास किया है, जो भ्रष्टाचार की कहानी को बयान करता है। वास्तव में लालू और उनके परिजनों ने फर्जी संस्थाएं बनाकर जमकर गोलमाल किया है। इस गोलमाल की जांच तो होना ही चाहिए। लेकिन चारा घोटाले में दोषी सिद्ध हो चुके लालू प्रसाद यादव ने वही पैंतरा अपनाया, जो गैर जिम्मेदार है। वास्तव में लालू को जांच संस्थाओं को सहयोग करना चाहिए, लेकिन सहयोग करना तो दूर उसने जनता के सामने गलत फहमी का निर्माण कर वास्तविकता को छिपाने का प्रयास किया। एसे में सवाल यही आता है कि क्या विपक्षी नेताओं से रचनात्मकता की अपेक्षा की जा सकती है। इसी प्रकार का मामला पी. चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम का भी कहा जा सकता है। कार्ति का व्यापार देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी फैला हुआ है। इन्होंने भी संस्था बनाकर गोलमाल किया है। सवाल यह आता है कि जब सब सही है तो जांच करने से क्यों घबरा रहे हैं।

हम जानते हैं कि पूर्व में हंगामे की राजनीति केवल जनता के हित के लिए की जाती थी, लेकिन आज हंगामे की राजनीति केवल अपना स्वार्थ साधने का माध्यम बनती हुई दिखाई देने लगी है। चाहे वह लालू प्रसाद यादव हों, चिदम्बरम हों या फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल। इस सबके विरोध में कोई न कोई प्रमाणों के साथ आवाज उठा रहा है। इन प्रमाणों में कितना दम है, यह तो समय बताएगा, लेकिन आग लगने पर धुंआ उठता ही है। केन्द्र सरकार का उद्देश्य यही है कि सिर्फ हंगामा करना मेरा मकसद नहीं, मेरा मकसद है देश की सूरत बदलना चाहिए। लेकिन यह राजनेता अपने आपको ऐसे प्रस्तुत कर रहे हैं, जैसे यह प्रधानमंत्री के बराबर हों और देश की जनता ने ऐसे ही कामों के लिए इनको चुना है। हम यह भी जानते हैं कि केजरीवाल ने तो अपनी पूरी राजनीति हंगामा खड़ा करते हुए ही की है। लेकिन जब इनका असली चरित्र सामने आया तो जनता को लगा कि वह ठगी गई है। विपक्षी दलों के नेताओं की कार्यशैली ऐसी होती जा रही है कि वे देश की सूरत ही बदलना नहीं चाहते।

बिहार के दबंग नेता की पहचान लालू यादव की है। वे और उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री रहे, दोनों बेटे बिहार की वर्तमान नीतीश सरकार में मंत्री है। परिवार का प्रभाव और वैभव बढ़ता रहा, लेकिन बिहार वही रहा। गरीबी, अशिक्षा और बेकारी की पीड़ा से बिहार त्रस्त है। लालूजी का असली चेहरा उस समय दिखाई दिया, जब इनके बेटे-बेटियों और नजदीकियों की एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति का पदार्फाश हुआ। देश-दुनिया को पता चल गया कि लालूजी चारा घोटाला ही नहीं, बल्कि उनके हंगामे की राजनीति में करोड़ों की संपत्ति बँटोरी है। अब अपने आपको उलटा चोर कोतवाल को डाटे की भूमिका में लालू प्रसाद लाते जा रहे हैं। हंगामा खड़ा करके सच्चाई को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। विपक्षी दल के हंगामा खड़ा करने वाले ये राजनेता कितना सही हैं, और कितना गलत यह आने वाले समय में पता चल ही जाएगा, लेकिन अगर बलत नहीं है तो जांच संस्थाओं और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल नहीं उठाना चाहिए

सुरेश हिन्दुस्तानी 

COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,21,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,10,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,89,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1124,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,885,शिवपुरी समाचार,305,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : लोकतंत्र की वास्तविकता से दूर भागता विपक्ष - सुरेश हिन्दुस्थानी
लोकतंत्र की वास्तविकता से दूर भागता विपक्ष - सुरेश हिन्दुस्थानी
https://4.bp.blogspot.com/-KqKIr2kRHkc/WSPWrG6yD2I/AAAAAAAAHmw/lTCplg_ctX49K0uuqehrt6vI_Y2XF7BBwCLcB/s400/vipaksh1.jpg
https://4.bp.blogspot.com/-KqKIr2kRHkc/WSPWrG6yD2I/AAAAAAAAHmw/lTCplg_ctX49K0uuqehrt6vI_Y2XF7BBwCLcB/s72-c/vipaksh1.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2017/05/The-opposition-running-away-from-the-reality-of-democracy.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2017/05/The-opposition-running-away-from-the-reality-of-democracy.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy