आखिर शिवराज ही क्यों....



2003 में जब भाजपा सत्ता में आई थी तो किसी को भी अंदाजा नही था कि भाजपा खंभ ठोककर 15 साल तक मध्यप्रदेश में बैठ जाऐगी। उमा भारती, बाबू लाल गौर के बाद अक्टूवर 2005 में जव शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री की जो कुर्सी संभाली, तो आज तक कोई उन्हें हिला नहीं पाया । उनको उखाड़ने के लिए हर चुनाव के पूर्व उनकी छवि को दागदार बनाने के प्रयत्न हुए, पर जनता का विश्वास नहीं डिगा | डंपर कांड, व्यापम, सिंहस्थ और अब मंदसौर जैसे काण्ड रचे गये लेकिन हर वार विरोधियों को मुंह की खानी पडी शिवराज का विजयरथ सरपट दौड़ता रहा.......

लगातार विधानसभा, लोकसभा, नगरीय निकाय, उपचुनाव, मतलब कि सभी तरह के चुनावों में जीत हासिल कर कांग्रेस तथा सभी राजनैतिक दलों को आईना दिखाने वाले शिवराज आज मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं । 2003-2008-2013 के विधानसभा चुनाव और 2009-2014 के लोकसभा चुनावो की प्रचंड जीत इसकी गवाह है। नगरीय निकायों में तो कांग्रेस के पल्ले में कभी कुछ रहने ही नही दिया...

मंदसौर प्रकरण में किसान असंतोष मुखर हुआ, किन्तु विचारणीय मुद्दा यह भी तो है कि क्या केवल मध्यप्रदेश के किसान ही परेशान हैं, क्या सभी कांग्रेस शासित राज्यों में किसान सोने के विस्कुट खाते है, सोने के हल से खेत जोतते है? 10 साल तक केंन्द्र में कांग्रेस सरकार के समय क्या सभी किसानों के पास मुद्राओं के भण्डार थे ? निसंदेह कोई भी निष्पक्ष और समझदार व्यक्ति यही उत्तर देगा - नही | लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा माहौल निर्मित किया गया जैसे यह राज्य सबसे अराजक और किसानों का विरोधी है। जवकि में दावे से कह सकता हूं कि जितनी प्रगति खासकर पिछड़े वर्ग और दलित किसानो की प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा आदि के क्षेत्र में इस प्रदेश में हुई है, वह कहीं किसी दूसरे प्रदेश में नही। सड़को का जाल विछने से किसानों के पास ट्रैक्टर, मोटरसाईकिल अन्य वाहन उनके खेत तक जा पहुंचे, जिससे किसान भाईयो के समय की बचत तथा उनके अवागमन में सुविधा मे वृद्धि हुई।

आज से 12-13 साल पहिले किसान बैलगाड़ी और खुद पीठ पर लादकर मंडियो और खुले वाजार में बेचने सामान लाता था, जवकि अव वह ट्रेक्टर, लोडिंग वाहन से अनाज या सामान मंडियों में लाता है। 12-13 साल पहिले गांवों में जहां 2-3 मोटरसाईकिल और एक या दो ट्रैक्टर हुआ करते थे, लेकिन आजकल तो गांवो में घर घर मोटर साईकिल, ट्रेक्टर, फ्रिज, कूलर, टीवी जैसी सभी चीजे देखने को मिल जाती है। और तो और आपको हर गांव में 10-15 फोरव्हीलर चार पहिया वाहन भी मिल जाऐंगे। 300 घरो की वस्ती में 50-60 घरो में लाइसेंसी बंदूक और एक दो घरो में तो लाइसेसी रिवाल्वर भी मिल जाएगी। इसका सीधा मतलव समृद्धि भी बढी है।

वहीं कांग्रेस सत्ता प्राप्ती में इस समय समय सबसे बड़ा रोड़ा या कहें रूकावट शिवराज सिंह को मानती है। इसलिए सुनियोजित तरीके से किसान आंदोलन का प्रोपेगेंडा बनाकर उन्होने शिवराज सिंह की छवि खराव करने का असफल प्रयास किया है। शिवराज सिंह भी कहां हार मानने वाले है इसलिए उन्होंने भी सीधे जनता से संवाद स्थापित किया, और परिस्थितियों को सम्हालने में वह काफी हद तक कामयाव भी हो गये ।

शिवराज आज भारतीय जनता पार्टी का प्राण तत्व है, तो उसका कारण है, उनकी सहजता और सरलता, जिसे अभिव्यक्त करते दो चित्र देखिये -

मध्य प्रदेश के गौरव, शहीद सुधाकर सिंह को अंतिम विदा देते शिवराज सिंह

दूसरा चित्र और भी विलक्षण | पेटलावद विस्फोट के बाद नाराज पीड़ितों के बीच जाकर इस प्रकार सड़क पर बैठकर दिलासा देने के लिए कितना आत्मविश्वास और मनोबल चाहिए ? यह सामर्थ्य कौन राजनेता दिखा सकता है ?

कितनी ही विषम परिस्थिति हो, मध्यप्रदेश में भाजपा के पास जनता से सहज जुड़े शिवराज रूपी ब्रह्माश्त्र है ! जबकि कांग्रेस केवल ज्योतिरादित्य जी के ग्लेमर पर टकटकी लगाए हुए है ! क्या आमजन कभी कांग्रेसी क्षत्रप से ऊपर दर्शाये गए चित्रों जैसे व्यवहार की आशा कर सकता है ? भाजपा कार्यकर्ताओं की एकजुटता तो टूटेगी नहीं, किन्तु क्या कांग्रेसी धड़े कभी एक हो सकेंगे ? विकास के पथ पर दोड़ते मध्यप्रदेश के लिए शिवराज सिंह से अच्छा विकल्प कांग्रेस कभी दे पाऐगी यह सोचना भी बेमानी है |


_________________________________विक्की मंगल

अंत में दो शब्द -
सौम्य सरलता कभी ना क्षय हो,

सज्जनता प्रतिमूर्ति विनय हो

भारत ह्रदय प्रदेश हमारा,

यही कामना सदा विजय हो !

पर साथ साथ यह भी कामना -

मत चूको चौहान,

करो अब वाण पुनः संधान !

कुटिल कुचाली चालों को,

कर विफल बढाओ शान !!

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें