मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होता है, शीत की ठिठुरन का स्थान बासंती बयार ले लेती है, मौसम में सुखदाई परिवर्तन होने लगता है | किन्तु...
एक ज़माना था जब बच्चों का पेड़-पौधों, तितलियों, पंछियों से गहरा रिश्ता हुआ करता था | घरों की पहचान भी अक्सर किसी न किसी पेड़ से जुडी होती थी | फल भी मौसम से जुड़े होते थे,,,आजकल तो `मौसमी-फल' जैसे phrases आउट-डेटेड हो गये हैं| इस पथरीली-सभ्यता की पक्की दीवारों ने सिर्फ बांटा ही नहीं वरन रिश्तों का सच्चापन, खरापन, भोलापन सब निगल लिया है | `यूज़ एंड थ्रो' वाली बात बेजान वस्तुओं के साथ-साथ रिश्तों में भी आ गयी है | ग़ुम हो गयी है वह सरल ज़िन्दगी| आज हर बात के दस मुँह हैं, हर परेशानी के दस समाधान | कितना उलझा लिया है हमने अपनी ज़िंदगी को | छोड़कर जाने के लिए कोई निरापद स्थान भी तो नहीं | अतः सुलझाना ही एकमात्र उपाय है | उलझे धागों का सिरा ढूँढने का प्रयास करें तो शायद कोई समाधान मिले |
पर्यावरण-संरक्षण के कुछ उपाय:
पर्यावरण-संरक्षण से अभिप्राय सामान्यतः पेड़-पौधों के संरक्षण एवं हरियाली के विस्तार से लिया जाता है परन्तु विस्तृत व विराट रूप में इसका तात्पर्य पेड़-पौधों के साथ-साथ जल, पशु-पक्षी एवं सम्पूर्ण पृथ्वी की रक्षा से है | ऐसे में घर-परिवार ही सही अर्थों में पर्यावरण-शिक्षण की प्रथम पाठशाला है | परिवार के बड़े सदस्य अनेक दृष्टान्तों के माध्यम से ये सीख बच्चों को दे सकते हैं | घर में लगे हरेक पौधे की ज़िम्मेदारी हर एक सदस्य विशेषकर बच्चों को सौंप दी जाए| पेड़-पौधों के नाम उन्हें बताये जाएं, उनसे जुडी ख़ास बातें बच्चों से साझा की जाएँ| घर में पशु-पक्षी पाले जाएँ |बच्चों को `हेर्बेरियन फाइल्स' बनाने जैसे प्रोजेक्ट दिए जाएँ | बच्चों को कमरों की कैद से, कम्प्यूटर गेम्स से बाहर निकलने की ज़रूरत है |

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