जिस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग उठ रही है, वह अक्टूबर 2004 से 2006 तक 5 मर्तबा मनमोहन सिंह सरकार के समक्ष पेश की जा चुक...
महाविद्यालयों के प्राध्यापक और शासकीय विद्यालय के शिक्षक के वेतनमानों में वृद्धि 200 से 230 गुना तक सांतवें वेतनमान के जरिए हुई है। इसके अलावा इन लोगों को 108 प्रकार के भत्ते भी मिलते हैं। इतने बेहतर वेतनमानों के दुश्परिणाम यह निकले कि इन शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों ने अपने बच्चों को निजी संस्थानों में पढ़ाना शुरू कर दिया और अपनी संस्था में रुचि लेकर पढ़ाना तक बंद कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि किसान के बच्चे आज गांव में रहकर ठीक से प्राथमिक शिक्षा भी नहीं ले पा रहे हैं। डिजिटल इंडिया भी वंचित समाज को और वंचित बनाने का काम कर रहा है। इन उपायों से जाहिर है कि सरकारों के नीतिगत उपायों में गांव की चिंता गायब हो रही है, जबकि उत्पादक ग्रामों की बुनियाद पर ही शहर अथवा स्मार्ट शहर का अस्तित्व टिका है। इन विरोधाभासी उपायों के चलते देश का अन्नदाता लगातार संकट में है। नतीजतन हर साल विभिन्न कारणों से 8 से लेकर 10 हजार किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश समाचार
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