झंडे की आड़ में देश के एक और बंटवारे का षड़यंत्र रचती कांग्रेस - रानू रघुवंशी
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने अपने राज्य के लिए अलग झंडा लागु करने के लिए एक 9 सदस्यीय टीम का गठन किया और ये मांग उठाई कि कर्नाटक राज्य का अपना एक अलग झंडा होना चाहिए ! यहाँ यह बताना आवश्यक होगा कि यदि राज्य के लिए अलग झंडे की कवायद को अमलीजामा पहना दिया जाता है तो कर्नाटक संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर के बाद देश का दूसरा ऐसा राज्य बन जाएगा, जिसका आधिकारिक तौर पर अलग झंडा होगा !
अब सवाल ये पैदा होता है कि आखिर अचानक कर्नाटक सरकार को अपना झंडा लहराने की क्या सूझी ? दरअसल राज्य विधानसभा के चुनाव निकट भविष्य में होने वाले हैं ! कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का प्रदर्शन हर दृष्टि से लचर रहा है ! इसलिए राज्य की कांग्रेस सरकार भावनात्मक प्रश्नों को उठाकर चुनावी मैदान में ताल ठोंकने का इरादा रख रही है ! यह अलग झंडे की योजना इसी किस्म की राजनीति है ! सबसे अधिक चिंता का विषय ये है कि दिल्ली में बैठे कांग्रेसी नेता सारे घटनाक्रम से बेपरवाह नज़र आ रहे हैं ! वे अपनी सरकार के इतने निंदनीय कदम की भर्त्सना करना भी जरूरी नहीं समझ रहे ! क्यों कांग्रेस नेतृत्व अपने कर्नाटक के नेताओं को नहीं लताड़ता ? इस मौन से तो यही ज़ाहिर होता है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार से कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व भी सहमत है !
कांग्रेस पार्टी के इस कदम की पूरे देश में चहुँ और भ्रत्सना हो रही है ! लोग कांग्रेस से पूछ रहे है कि क्या अभी तक कर्नाटक का तिरंगे से काम नहीं चल रहा था ? क्या इस तरह की कवायदें देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुँचाने वाली नहीं हैं ? क्या किसी राष्ट्रीय दल को शोभा देता है कि वो ऐसे स्थिति को खराब करे ? क्या यह देश क एक और बंटवारे की तैयारी नहीं है ? पर कांग्रेस को इन सबसे क्या सरोकार ? शायद उसे अबतक समझ ही नहीं आया है कि उसे जनता क्यों गर्त में मिलाती जा रही है ! मंथन नाम की चीज तो जैसे कांग्रेस की डिक्शनरी में है ही नहीं ! अब तो ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस पूरी तरह से इस देश को गर्त में डुबोने के लिए पूर्ण रूप से प्रयासरत हो चुकी है !
विडम्बना यह है कि वर्षों से इस देश में वोटबैंक की राजनीति के कारण देश और समाज को बाँटने का काम कांग्रेस और उसके तथाकथित प्रगतिशील साथियों ने किया है ! इससे पूर्व भी कांग्रेस उत्तराखंड चुनावों को ध्यान में रखकर आजमाया हुआ कार्ड खेल चुकी है ! तब एक ओर उत्तराखंड सरकार ने जुमे की नमाज के लिए मुस्लिम कर्मचारियों को 90 मिनट का अवकाश देकर इसी तरह का कार्ड खेला था तब उसकी नजर मुसलमानों के 14 फीसदी वोटबैंक पर थी ! यदि कांग्रेस के इससे पूर्व के इतिहास पर भी नजर डालें तो हम बस यही पायेंगे कि इस पार्टी का इतिहास अपने स्वार्थ हेतु देश के टुकड़े टुकड़े करा देने का रहा है ! जब जब इन्हें अपनी सत्ता हाथ से जाते हुये दिखी है तब तब इन्होंने देश को विभाजित करके अपनी स्वार्थी मत्वाकांक्षाओ को सिद्ध करने के लिए ऐसे ही षड्यंत्र रचे हैं और इतिहास ऐसी अनेको घटनाओ का साक्षी भी है आज कांग्रेस की जो स्थिति है उसमे कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा ये सोचता है कि बची खुची सत्ता हाथ से नही जानी चाहिए चाहे इसके लिये किसी भी हद तक जाना पड़े !
कर्नाटक सरकार का झंडा बदलो अभियान इसी चाल का एक हिस्सा है आज झंडा अलग मांग रहे हैं, कल संविधान अलग मांगेंगे, परसों आज़ादी गैंग वहाँ पहुंचकर कर्नाटक की आज़ादी मांगेंगे फिर यही घटनाक्रम देश के उन सभी राज्यो मे चलेगा जहाँ कांग्रेसियों और इनके तथाकथित प्रगतिशील साथियों की सरकार है ! ऐसे काले अंग्रेजों के मानसपुत्रों को इस बात को अब समझने की आवश्यकता है कि जो यह सोचते है कि इस देश के टुकड़े टुकड़े कर वह अपनी स्वार्थ सिद्धि करते रहेंगे वह इस बात को भलीं भांति जान जाएँ कि भारत माता की एक इंच जमीन भी अब विखंडित नहीं होगी, यदि विखंडित होंगे तो उनके मंसूबे !
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रानू रघुवंशी शिवपुरी (म.प्र.) |
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