संस्कृत के अतिरिक्त दुनिया की किसी भाषा में यह क्षमता नहीं है। भाषा की इस क्षमता को अनुलोम - विलोम काव्य कहा जाता है। कांचीपुरम के 17...
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा य:।
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोरा:।
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा य:।
साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा।
कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका।
रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम्।
यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ।
मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं।
रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते।
सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया।
सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया।
तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा।
वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो।
यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे।
रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह।
यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम्।
दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा।
सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम्।
सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिस:।
तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत।
गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया।
हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधी:।
ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासम:।
भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा।
हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुज:।
भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं।
हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि।
सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासह:।
वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि स:।
हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिस:।
नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका।
साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौ:।

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