अर्नब के राहुल से दस चुटीले सवाल - अनुवाद हरिहर के अंदाज में |



मैं लंबे समय में राहुल को चर्चा योग्य भी नहीं मानता, किन्तु राहुल के चीनी राजदूत से मिलने को लेकर कुछ बिंदु साझा करना चाहता हूँ -
1. राहुल को यह अधिकार है कि वह व्यक्तिगत रूप से चीनी राजदूत से मिले, किन्तु उसे यह अधिकार किसने दिया कि वह इसे राष्ट्रीय दायित्व बताये ?
2. यह भी स्पष्ट नहीं है कि ऐसी क्या आफत आ गई थी, कि उसे शनिवार को ही चीनी दूतावास जाने की सूझी, जबकि सीमा की स्थिति बहुत ही संवेदनशील थी।
3. जब सरकार संवेदनशील माहौल से निपट रही है, और राहुल इस बारे में जानता है, तो वह चीनीयों के साथ क्या खिचडी पकाने की जुगाड़ में है ?
4. अगर राहुल सच्चाई जानना चाहता था, तो उसने भारत सरकार से जानने की कोशिश क्यों नहीं की ? क्या वह भारत सरकार से ज्यादा चीनी राजदूत को अधिक विश्वसनीय मानता है ?
5. जो देश भारत को सबक सिखाने की धमकी दे रहा है, उसके दूतावास की गुपचुप यात्रा का क्या मतलब है, उनसे क्या विचार विमर्श किया गया?
6. इस गोपनीय बैठक में क्या हुआ? चीन ने राहुल को पट्टी पढाई, या राहुल ने अपने चिरपरिचित अंदाज में आस्तीनें चढ़ाकर चीनियों को उनकी औकात बताई?
7. क्या यह महज एक संयोग है कि सिर्फ एक दिन पहले, राहुल ने ट्वीट के माध्यम से प्रधान मंत्री पर हमला किया था कि वे चीन के मुद्दे पर मौन क्यों हैं?
8. आज सुबह जब खबर बाहर आई, तो कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर पहले इस बैठक से इनकार क्यों किया?
9. यदि यह नकली खबर थी, तो फिर शाम को कांग्रेस ने इस नकली खबर की पुष्टि क्यों की?


10. राहुल ने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों की जानकारी लेना, उनका कार्य है, तो बताएं कि पाकिस्तानी उच्चायोग कब जाने वाले हैं?

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