जलता बंगाल और राजनीति के खेल में मशगूल ममता - कोलकता से उपेन्द्र भारती की रिपोर्ट |



प.बंगाल के प्रशासनिक मुख्यालय नबान्ना से केवल ढाई घंटे की दूरी पर है उत्तरी 24 परगना के अंतर्गत आने वाले बशीरहाट उपखंड का बड़ुरिया कस्बा । वही बडुरिया जो एक कथित 'आपत्तिजनक' फेसबुक पोस्ट के बाद भड़की सांप्रदायिक आग के कारण चर्चा में है । यहाँ चल रही रथ यात्रा रुक गई । जिहादी समूहों द्वारा हिंदुओं पर हमले किये गये। बद्रुरिया पुलिस स्टेशन भी मुस्लिमों के भीड़ के हमले से नहीं बचा । लेकिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री नीरो के समान अपनी प्रिय वायलिन बजाती रहीं अर्थात राजनीति राजनीति खेलती रहीं |

आखिर था क्या उस फेसबुक पोस्ट में जिसने मुस्लिमों को इतना उग्र कर दिया ? यह उग्रता केवल फेसबुक पोस्ट के कारण थी या यह किसी बड़े उपद्रव के पूर्व अपनी ताकत और शासन प्रशासन कि कमजोरी भांपने का प्रयत्न ? यह विचारणीय बिंदु होना चाहिए | क्योंकि उस फेसबुक पोस्ट में कुछ भी नया नहीं था | 'काबा एक प्राचीन शिव मंदिर था', यह दावा बहुत पूर्व से किया जाता रहा है | इतना ही नहीं तो 'काबा की तस्वीर' भी गूगल सर्च में व्यापक रूप से उपलब्ध है | लेकिन, बंगाल के जिहादी मुसलमानों को सांप्रदायिक उन्माद दिखाने का बहाना चाहिए था । निश्चय ही इसके पीछे कोई शातिर दिमाग और बड़े षडयंत्र की पूर्व ब्यूह रचना हो सकती है |

बारहवीं कक्षा के एक 17 वर्षीय छात्र सौरव सरकार ने फेसबुक पर यह पोस्ट अपलोड की। शिकायत होने पर पुलिस ने तुरन्त सौरव को गिरफ्तार भी कर लिया, लेकिन जिहादी नृत्य नहीं रोका जा सका।

केओशा बाजार, बंशताला, रामचंद्रपुर, टेंटुलिया और गोकुलपुर में त्वरित उपद्रव होने लगे । बशीरहाट उपखंड में तो मुस्लिम बहुल होने के कारण सदासे हिंदुओं पर हमला करने का कोई मौक़ा छोड़ा ही नहीं जाता । बदरुआ में अतिवादी मुसलमानों द्वारा हिंदू संपत्ति, मंदिरों, दुकानों पर हमला किया गया ।

जिहादियों की मांग थी कि 'अभियुक्त' को उनके हांथों में सौंप दिया जाए, ताकि वे उसे शरिया क़ानून के मुताबिक़ पत्थर मारमार कर ख़त्म कर सकें | चूंकि पुलिस ने उनकी मांग नहीं मानी, तो जिहादी भीड़ ने कई स्थानों पर चक्काजाम शुरू कर दिया और हिंदुओं पर हमला करना शुरू कर दिया | कई हिंदू दुकानों को नष्ट कर दिया गया । कुछ स्थानों पर उल्टा-रथ यात्रा (बैठी रथ त्योहार) को रोक दिया गया । कुछ स्थानों पर भीड़ ने जलते टायर सड़कों पर फेंक दिये। इन हमलावरों में अधिकाँश टीएमसी समर्थक माने जाते है।

इन हमलों में 35 से ज्यादा लोग घायल हो गए, उनमें से छह की स्थिति गंभीर बताई जाती है और उनका इलाज बरासत अस्पताल में किया जा रहा है ।

स्थिति की गंभीरता दर्शाता बाबुल सुप्रियो का ट्वीट -

ममता बनर्जी सरकार ने अपनी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की कट्टरपंथी राजनीति के चलते पश्चिम बंगाल को ज्वालामुखी के दहाने पर पहुंचा दिया है । 

पश्चिम बंगाल की बेशर्म मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाबन्ना में संवाददाताओं से कहा कि बदुरिया दंगे के पीछे भाजपा का हाथ है । उन्होंने दंगे के लिए बजरंग दल और हिंदू समहिती को भी कोसा, किन्तु अपने जिहादी भाइयों को रत्ती भर भी दोष नहीं दिया । 

भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है । वे राज्य के प्रभारी भी हैं |

हद तो तब हो गई जब प.बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने इन उपद्रवों पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी को जोकि होम और पुलिस विभाग की भी प्रभारी हैं, राजभवन बुलाया | इस बैठक के बाद टीएमसी, जिसको स्थानीय लोग आजकल टोटल मुस्लिम कांग्रेस कहने लगे हैं, ने राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी पर ही धावा बोल दिया | कहा गया है कि राज भवन भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय हो गया है तथा राज्यपाल "भाजपा ब्लॉक अध्यक्ष" की तरह काम कर रहे हैं | " ममता बैनर्जी ने कहा कि भाजपा की “गौ नीति” के कारण ही नफ़रत फ़ैल रही है | 

ममता बनर्जी के आधारहीन आरोप को खारिज करते हुए राज्यपाल के कार्यालय से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी हुई, जिसमें कहा गया था कि "माननीय मुख्यमंत्री ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो रवैया अख्तियार किया और जिस भाषा का उपयोग किया, वह आश्चर्यचकित कर देने वाली है । माननीय मुख्यमंत्री और माननीय गवर्नर के बीच वार्ताएं गोपनीय होती हैं, और किसी से यह आशा नहीं की जाती कि वह इसके बारे में खुलासा करे । हालांकि, वार्ता में कुछ भी नहीं था जिसके लिए माननीय मुख्यमंत्री ने स्वयं को अपमानित महसूस किया हो। माननीय राज्यपाल ने माननीय मुख्यमंत्री को सभी साधनों से शांति और कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा। 

"राज्य के प्रमुख होने के नाते माननीय राज्यपाल, राज्य के सभी नागरिकों के संरक्षक है और वे किसी विशेष पार्टी या समाज के वर्ग के नहीं। यह माननीय राज्यपाल के लिए उचित था कि वे माननीय मुख्य मंत्री के संज्ञान में यह तथ्य लायें कि जनता को राज्य में होने वाली घटनाओं को लेकर उनके प्रति गंभीर शिकायत है। माननीय राज्यपाल, राज्य के मामलों में मूक दर्शक नहीं रह सकते। "

क्या राज्यपाल को मूक रहना चाहिए था ? जबकि विशाल जिहादी भीड़ ने बद्रुआ, केओहा, रुद्रपुर, गोपालपुर, मोग्रा, रामचंद्रपुर, बगोजोरा में न केवल कमजोर हिंदू लोगों पर हमला किया, उन्होंने अपना कर्तव्य पालन कर रहे पुलिस कर्मियों पर भी हमला किया और एक दर्जन पुलिस थाने जला डाले ।

निश्चित तौर पर यह ममता बनर्जी की घोर असफलता थी, कि वे जिहादी हिंसा को नियंत्रित नहीं कर पाईं | और जब पश्चिम बंगाल के गवर्नर ने इस मामले में हस्तक्षेप किया तो उन्हें क़ानून व्यवस्था की स्थिति और अपनी असफलता पर से लोगों का और मीडिया का ध्यान हटाने को एक बहाना मिल गया और वे राज्यपाल के विरुद्ध अनर्गल आरोप लगाने पर आमादा हो गईं | 

साभार आधार - https://hinduexistence.org/2017/07/04/baduria-in-communal-fire-on-objectionable-facebook-posting-administration-may-seek-army-intervention/


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