आरएसएस स्वयंसेवकों सहित कई राजनीतिक हत्याओं में संदिग्ध सीपीएम नेता पी जयराजन सीबीआई के फंदे में |


उल्लेखनीय है कि जयराजन केरल के मुख्यमंत्री पीनारई विजयन के नजदीकी और विश्वासपात्र माने जाते हैं तथा राजनैतिक हिंसा के लिए सर्वाधिक कुख्यात कन्नूर जिले में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी (सीपीएम) के नेता हैं ।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले हफ्ते स्थानीय भारतीय जनता पार्टी नेता ई मनोज की हत्या की साजिश रचने के आरोप में जयराजन को चार्जशीट किया था | मनोज भी कन्नूर के ही निवासी थे तथा पहले सीपीएम के ही कार्यकर्ता थे | किन्तु बाद में उन्होंने अपने परिवार के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी | उसके बाद से ही वे हिंसक तत्वों के निशाने पर आ गए थे ।
सीबीआई का कहना है कि 2014 के संसदीय चुनावों में 500 से ज्यादा मजदूरों ने मनोज के प्रभाव में आकर सीपीएम छोड़कर भाजपा का साथ दिया, उसके बाद जयराजन ने मनोज को खत्म करने का फैसला कर लिया । वह 1 99 0 में स्वयं पर हुए हमले के लिए मनोज को जिम्मेदार मानकर बदला लेना भी चाहता था ।
जांचकर्ताओं ने पाया कि ह्त्या का मुख्य उद्देश्य आमजन को भयभीत करना था, ताकि वे सीपीएम छोड़कर बीजेपी में जाने की हिम्मत न करें | इसे "सार्वजनिक जीवन में आतंक फैलाने" का प्रयास मानकर पी जयराजन के विरुद्ध गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है | आरोप प्रमाणित होने पर उसे आजीवन कारावास या अधिकतम मृत्यु दंड दिया जा सकता है । उसे मुकदमे के दौरान जमानत भी नहीं दी जा सकती | कोच्चि की सीबीआई अदालत में इस सप्ताह आरोप पत्र पर विचार करेगी। फिलहाल यह सीपीएम नेता गिरफ्तारी के बाद जमानत पर बाहर हैं।
आरोप पत्र के अनुसार 1 सितंबर, 2014 को हुई मनोज की हत्या सुनियोजित, और संगठित षडयंत्र का परिणाम थी और उनके दिवंगत पिता चुतुकुट्टी और उनका परिवार जयराजन के नजदीकी लोग माने जाते थे और सीपीएम कार्यकर्ता थे ।
1 99 7 में चटुकुट्टी की मौत के बाद, मनोज ने अपनी निष्ठा बदल ली, जिसके चलते जयराजन उस पर बहुत नाराज हुआ और उसने मनोज को सीपीएम में वापसी करने के लिए कहा। जयराजन ने मनोज के भाई और मां को गंभीर नतीजे की चेतावनी भी दी | मगर उन्होंने भाजपा को छोड़ने और सीपीएम में वापस आने से इनकार कर दिया। जब उन्होनें जयराजन की धमकी पर कोई ध्यान नहीं दिया, तो मनोज उनके निशाने पर आ गया, सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में यही दर्शाया है ।
1 99 7 और 200 9 में मनोज की जान लेने के दो बार असफल प्रयास किए गए । 24 अगस्त, 2014 को कन्नूर स्थित नवनीतम ऑडिटोरियम में आयोजित एक समारोह में जब 500 सीपीएम कार्यकर्ता मनोज के प्रभाव में आकर भाजपा के साथ हुए, उसके बाद तो सीपीएम नेतृत्व ने मनोज को समाप्त करने का अंतिम फैसला कर लिया |
जयराजन ने अपने करीबी सहयोगी विक्रमन को घातक हथियार और बमों को जुटाने और अपनी योजना को अंजाम देने के लिए पेशेवर हत्यारों को नियुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपी। इतना ही नहीं तो हत्या के बाद, उन्होंने हत्यारों को आश्रय दिया और स्थानीय पुलिस पर अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर जांच को प्रभावित करने का प्रयत्न किया । अब उस पर अपने गृह जिले में दंगों को उकसाने और राजनैतिक बदले की भावना से हत्यायें करने के गंभीर आरोप लगे हैं | स्मरणीय है कि सीपीएम के साथ संघर्ष में अब तक अनेक राजनीतिक कार्यकर्ता अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं | सीपीएम द्वारा इसी प्रकार अपनी मौजूदगी दर्शाई जाती है ।
सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल करने के पूर्व साजिश के पर्याप्त साक्ष्य जुटा लिए हैं, जिन्हें वह पर्याप्त मानती है ।
सीबीआई जांच में यह बात सामने आई हैकि जयराजन के खिलाफ लगा यह पहला आरोप नहीं है, और ना ही यह उनके इशारे पर हुई एकमात्र हत्या है। स्थानीय पुलिस ने उसे 2012 में भी कांग्रेस पार्टी की प्रमुख सहयोगी, इंडियन युनियन मुस्लिम लीग के एक 21 वर्षीय छात्र नेता अब्दुल शुकुर पर हुए भीषण हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उनकी माँ पीसी अथिक्का की याचिका पर, इस साल के शुरुआत में उच्च न्यायालय ने एजेंसी को इस मामले को संभालने के लिए कहा, अब एक अन्य टीम द्वारा इसे जांच में लिया गया है।


सीपीएम कार्यकर्ताओं ने शकूर की ह्त्या करीब 100 लोगों की भीड़ के सामने एक धान के खेत में ले जाकर की | ह्त्या के पूर्व शकूर और उसके चार दोस्तों को एक रिश्तेदार के घर में घंटों कैद रखकर मारा पीटा | इसी प्रकार पिछले हफ्ते विद्रोही नेता टी.पी. चंद्रशेखरन की विधवा केके रीमा द्वारा अपने पति की जघन्य ह्त्या में जयराजन को दोषी ठहराते हुए उच्च न्यायालय में गुहार लगाकर जयराजन की भूमिका की जांच सीबीआई से कराने की मांग की, जिस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है । हालांकि, उक्त प्रकरण में ट्रायल कोर्ट ने 12 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, किन्तु रीमा का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जानबूझकर जयराजन को बचाया है, जबकि गिरफ्तार हुए स्थानीय सीपीएम नेता को उसने अपनी कार मुहैय्या कराई थी, तथा वही ह्त्या का मुख्य षडयंत्रकर्ता है ।
चंद्रशेखरन क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपी) का नेता था, तथा उसने बड़ी संख्या में सीपीएम कैडर को अपनी पार्टी से जोड़ने में सफलता पाई थी | यहाँ तक कि सीपीएम का गढ़ माने जाने वाली ओन्कियम ग्राम पंचायत पर भी उसने कब्जा कर लिया था । 4 मई 2012 को जब यह 52 वर्षीय नेता अपनी मोटरबाइक पर अकेले जा रहा था, तब ओन्किअम ​​में ही क्रूरतापूर्वक उसके टुकडे टुकडे कर उसे मार डाला गया । यहाँ तक कि डॉक्टरों को उसके मृत शरीर को सिलाई कर जोड़ने में दो घंटे से अधिक समय लगा।
सीपीएम द्वारा कहने को तो इन हत्याओं की निंदा की जाती है, किन्तु पर्दे के पीछे हत्यारों को कानूनी सहायता भी ये ही लोग पहुंचाते हैं । इसका स्पष्ट प्रमाण तब मिला, जब पिछले महीने ह्त्या का एक आरोपी पैरोल पर बाहर आया, तब एक शादी समारोह में उसके साथ कई स्थानीय सीपीएम नेताओं ने भाग लिया। उसके निवास पर दूल्हे के साथ, स्थानीय विधायक ए.एम. शमसेर की तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई । रीमा ने पहले भी आरोप लगाया था कि शमसेर के हत्यारों के साथ करीबी संबंध थे और उन्होंने एक अपराधी के साथ शमशेर की हुई टेलीफोन कॉल का विवरण भी दिया था।
अदालत ने 12 अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए अपने फैसले में यह भी लिखा था कि अन्य षड्यंत्रकारियों को भी कानून की गिरफ्त में लाने के लिए जांच करवाई जाना चाहिए । लेकिन राज्य सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया। लेकिन रीमा ने हिम्मत नहीं हारी है और वह लगातार कानूनी लड़ाई लड़ रही है, ताकि उसके पति के सभी हत्यारे अपने किये की सजा पायें |
रीमा का आरोप है कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा विगत चुनाव में सत्ता हथियाने के बाद तो हत्यारे इतने बेख़ौफ़ हो गए हैं कि उन्होंने कारागार में उनकी बात ना मानने पर जेल के वार्डन पर भी हमला कर दिया । उन्हें विशेष सुविधाएं मिलती है | वे जेल के अन्दर से ही फेसबुक और व्हाट्सएप पर सक्रिय हैं। उनके लिए, जेल एक सजा नहीं, बल्कि आराम और अवकाश का स्थान है | और जब उनका स्वामी ही सत्ता में हैं तो उन्हें काहे का डर ? वे अपने स्वामी के संरक्षण में जब चाहे जेल से बाहर आकर फिर से किसी की भी हत्या कर सकते हैं ।
2014 में, सीपीएम के राज्य सचिव और पूर्व गृह मंत्री कोडियारी बालाकृष्णन ने भी जेल का दौरा कर चंद्रशेखरन की हत्या के आरोपियों से भेंट की थी, तथा उनकी सुविधाओं को सुनिश्चित किया था । हाल ही में, इन कैदियों को सजा में छूट दिए जाने हेतु दिए गए विजयन के प्रस्ताव को भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान राज्यपाल पी. सतशिवम ने खारिज कर दिया।

"सौजन्य: फर्स्टपोस्ट
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