चमत्कारिक है ॐ का उच्चारण, प्रतिदिन मात्र 6 मिनट में करता है करोड़ों विकारों को दूर - दिवाकर शर्मा

ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का प्रतीक है ! ब्रह्म का अर्थ है विस्तार, फैलाव और फैलना ! ॐ अनादी अनंत तथा निर्वाण की अवस्था का प्रतीक है ! ॐ हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिक्ख धर्मों में एक पारंपरिक प्रतीक और पवित्र ध्वनि के रूप में प्रकट होता है ! ॐ किसी एक कि संपत्ति न होकर सार्वभौमिक है ! ब्रह्माण्ड के भौतिक निर्माण के अस्तित्व में आने से पूर्व की प्राकृतिक ध्वनि ॐ है अर्थात ॐ ही ब्रह्माण्ड की आवाज है !

हमारे प्राचीन योगियों ने ॐ की ध्वनि को आत्मसात किया जिसे आज वैज्ञानिक भी मान रहे है ! ॐ तीन अक्षरों से मिलकर बना हुआ है ! 'अ', 'उ' और 'म' ! जब 'अ' और 'उ' को जोड़ा जाता है तो 'ओ' अक्षर बन जाता है ! "अ" ध्वनि गले के पीछे से निकलती है ! यह पहली ध्वनि है जो सभी मनुष्यों द्वारा मुंह खोलते ही निकलती है इसलिए अक्षर "अ" शुरुवात को दर्शाता है ! इसके बाद ध्वनि "उ" आती है, यह ध्वनि तब निकलती है जब मुंह पूरी तरह खुले होने की स्थिति में आता है ! अतः "उ" परिवर्तन के संयोजन को दर्शाता है ! ध्वनि "म" का गठन मुंह के पूरी तरह बंद होने पर होठों को जोड़ने पर होता है, अतः यह अंत का प्रतीक है ! इन सभी ध्वनियों को एक साथ जोड़ने पर ॐ जिसका अर्थ है "शुरुवात, मध्य और अंत" बनता है ! ॐ की कई अन्य व्याख्याएं भी है, जिनमे से कुछ है -

1. अ = तामस (अन्धकार, अज्ञान), उ = राजस (जूनून, गतिशीलता), म = सत्व (शुद्धता, प्रकाश)
2. अ = ब्रह्मा (निर्माता), उ = विष्णु (परिरक्षक), म = शिव (विध्वंसक)
3. अ = वर्तमान, उ = भूत, म = भविष्य
4. अ = जागे होने की स्थिति, उ = स्वप्न देखने की स्थिति, म = गहरी नींद की स्थिति

ॐ इकलौता ऐसा मंत्र भी है जिसका उच्चारण एक मूक भी कर सकता है ! "अ", "उ" व "म" परम ब्रह्मा को दर्शाते है ! यदि ध्वनि की प्रकृति पर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि यह तभी उत्पन्न होती है जब कोई दो वस्तुएं आपस में टकराती है ! उदाहरण - धनुष की प्रत्यंचा, ढोलक और हाथ, दो मुख्य ग्रंथियां, तट से समुद्र की लहर, पत्तियों से हवा, सड़क पर गाडी के पहिये इत्यादि ! अर्थात हमारे आस पास की सभी ध्वनियाँ, दृश्य और अदृश्य वस्तुओं द्वारा उत्पन्न की जाती है ! उनके आपस में लड़ने या एक साथ कंपन करने से वायु के कणों की तरंगें उत्पन्न होती है जिनसे ध्वनि का जन्म होता है ! परन्तु ॐ मन्त्र की ध्वनि इससे अलग है, यह स्वयं उत्पन्न होती है ! ॐ मंत्र की ध्वनि ही प्रथम ध्वनि है जिसमें सभी ध्वनियाँ निहित है !

ॐ के उच्चारण से चिकित्सीय, मनोवैज्ञानिक और अध्यात्मिक लाभ होते है ! भले ही आप ॐ मंत्र का अर्थ नहीं जानते है या आपकी शब्द में आस्था नहीं है लेकिन तब भी आप इसके लाभ प्राप्त कर सकते है ! ॐ की ध्वनि को प्रणव भी कहा जाता है क्यूंकि यह जीवन और श्वांस की गति को बनाए रखती है ! विज्ञान ने भी ॐ के उच्चारण और उसके लाभ को प्रमाणित किया है ! यह धीमी, सामान्य और पूरी सांस छोड़ने में सहायता करती है ! यह हमारे श्वसन तंत्र को विश्राम देता है और नियंत्रित करता है ! साथ ही यह हमारे मन-मस्तिष्क को शांत करने में भी लाभप्रद है !

ॐ ध्वनि वक्ष पिंजर (Thoracic Cage) को कम्पित करती है, जो हमारे फेफड़े में भरी हवा के साथ संपर्क में आता है जिससे ऐलवीलस की मेम्ब्रेन की कंपन करने लगती है ! यह प्रक्रिया फेफड़े की कोशिकाओं (Pulmonary Cells) को उत्तेजित करती है, जिससे फेफड़े में स्वास उचित मात्रा में आती जाती रहती है ! एक रिसर्च से यह सामने भी आया है कि यह कंपन अतः स्त्रावी ग्रंथियों (Endocrine Glands) को प्रभावित करता है, जिससे चिकित्सा में इसका अद्भुत महत्त्व है ! "अउ" की ध्वनि से विशेषकर पेट के अंगों और वक्ष पिंजर को आंतरिक मसाज मिलता है, जबकि "म" के कम्पन से हमारे कपाल की नसों में कम्पन होता है !

वैज्ञानिक शोध में इस बात का पता चला है कि सिर्फ 6 मिनट ॐ का उच्चारण करने से सैकड़ों रोगों को दूर किया जा सकता है ! जो किसी भी दवा से भी इतनी जल्दी ठीक नहीं हो सकते है ! 6 मिनट ॐ का उच्चारण करने से मस्तिष्क में विशेष कंपन होता है और ऑक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है ! इससे कई मस्तिष्क रोग दूर होते है, तनाव व चिंता दूर होती है एवं यादाश्त क्षमता में वृद्धि होती है ! 

ॐ का उच्चारण तीन माह तक लगातार सुबह शाम 6 मिनट करने से रक्त संचार संतुलित होता है और रक्त में ऑक्सीजन लेबल बढ़ता है ! इसके माध्यम से रक्त चाप, ह्रदय रोग, कोलस्ट्रोल जैसे रोग ठीक होते है ! ॐ का उच्चारण मात्र दो सप्ताह तक सुबह शाम करने से विशेष ऊर्जा का संचार होता है जिससे घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जायटी जैसे रोग दूर होते है ! ॐ के उच्चारण से कंठ में विशेष कंपन होता है एवं मांसपेशियों को शक्ति मिलती है, थायराइड, गले की सूजन एवं स्वर दोष दूर होने लगते है ! ॐ के उच्चारण से पेट में भी विशेष वायब्रेशन और दवाब होता है ! 

एक माह तक दिन में तीन बार 6 मिनट तक ॐ के उच्चारण से पाचन तंत्र, लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है और डायजेशन सही होता है, सैकड़ों उदर रोग दूर होते है ! ॐ के उच्चारण से उच्च स्तर का प्राणायाम होता है और फैफडो में विशेष कंपन होता है, फेफड़े मजबूत होते है, श्वसन तंत्र की शक्ति बढती है ! इसके नियमित उच्चारण से 6 माह में अस्थमा, राज्यक्ष्मा (टीबी) जैसे रोगों में लाभ होता है ! ये सारे शोध विश्व स्तर के वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके है !

ॐ का उच्चारण करने वाले और सुनने वाले दोनों ही लाभान्वित होते है ! अगर आप अपने जीवन से किसी भी तरह निराश या हताश है तो कुछ दिन इस मंत्र का जाप कीजिये, परिवर्तन जरूर दिखेगा ! क्यौंकि ॐ केवल पवित्र ध्वनि ही नहीं अपितु अनंत शक्ति का भी प्रतीक है ! ॐ की महिमा वेद, पुराण, उपनिषद एवं अन्य ग्रंथों में किया गया है ! ॐ के उच्चारण में इतने रहस्य छुपे हुए है कि बयाँ करना मुश्किल है ! यह एक अद्भुत ध्वनि है, यह आत्मा का संगीत है ! इसे अपने जीवन में जगह दें, आपके जीवन में चमत्कार होगा !

दिवाकर शर्मा
krantidooot@gmail.com
8109449187

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