नौसौ चूहे खाकर कांग्रेस हिंदुत्व की ओर चली – दिवाकर शर्मा

पूरे देश में सिमटती जा रही कांग्रेस पार्टी के युवराज ने जिस प्रकार मंदिर मंदिर मत्था टेकने का स्वांग रचना शुरू किया है, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि नौसौ चूहे खाकर कांग्रेस हिंदुत्व की ओर चली ! भारत में एक बहुप्रचलित कहावत है - ‘जैसी बहे बयार पीठ जब तैसी कीजै’ ! कुर्सी की खातिर तुष्टीकरण कांग्रेस के स्वभाव में ही है ! अब तक अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के माध्यम से कुर्सी पाती आ रही कांग्रेस को मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद समझ में आ गया कि उसकी इस नीति के कारण देश का बहुसंख्यक हिन्दू उससे नाराज हो रहा है ! बस फिर क्या था, कांग्रेस ने आनन फानन में यू टर्न लेने में देर नहीं की और हिन्दूत्व की राह पर कदम बढ़ा दिए ! कल तक राम के अस्तित्व को नकार कर उन्हें काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव ने नर्मदा यात्रा शुरू कर दी तो वर्तमान उपाध्यक्ष और भावी अध्यक्ष ने गुजरात के मंदिरों की सीढियों पर मत्था टेकना शुरू कर दिया ! महासचिव तो वे ही हैं, जिन्होंने हिन्दू आतंकवाद शब्द ईजाद किया था !

स्मरणीय है कि वह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने हिन्दू धर्म को भारत मे ही नही पूरी दुनिया मे बदनाम करने के लिए कई षड्यंत्र किये ! यदि कांग्रेस पार्टी की हिंदुत्व विरोधी दास्तान लिखी जाए तो शायद पूरा दिन भी कम पड़ जाए ! जब भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की मांग की जाती है तो कांग्रेस उसका सबसे पहले विरोध करती है, यूपीए सरकार के दौरान देश में स्कूली किताबों के माध्यम से हिन्दू धर्म के बारे में इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है, मुसलमानों के प्रति विशेष प्रेम दर्शाने के चलते देश और हिन्दू धर्म की दुर्दशा के लिए जिम्मदार कांग्रेस पार्टी के कारण ही आजम खां और ओवेसी जैसे देशद्रोही का जन्म हुआ ! कांग्रेस पार्टी की हिंदुत्व विरोधी नीतियों के कारण ही आज देश के कई राज्यों में हिन्दुओं की आबादी अल्पसंख्यक हो चुकी है परन्तु फिर भी उन्हें उन राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त नहीं हो पाया है, वहीँ दूसरी और अल्पसंख्यक कहे जाने वाले सम्प्रदाय इन राज्यों में बहुसंख्यक होते गए परन्तु इन्हें इन राज्यों में आज भी अल्पसंख्यकों का दर्जा प्राप्त है ! 

लेकिन कांग्रेस पार्टी की मजबूरी देखिये कि अपना खोया वजूद पाने के लिए कांग्रेस के नेपथ्य में हिंदुत्व की धुन सुनाई दे रही है ! कुर्सी की खातिर उसे ब्राह्मण वोट भी साधने हैं, मुसलमानों को भी साथ लेना है और दलितों के बीच घुसपैठ भी जरूरी है ! 

कांग्रेसी नेताओं ने स्वीकारा हिंदू विरोध की है कांग्रेस की छवि 

2014 के चुनावों में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस के भीतर मंथन में स्वयं कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने यह स्वीकार किया था कि कांग्रेस की छवि हिंदू विरोध की बन गई है ! वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ए के एंटनी ने भी पहली बार स्वीकार किया था कि पार्टी को हिंदू विरोधी छवि के चलते नुकसान हुआ है ! तब ये बात भी सामने आई थी कि हर मुद्दे पर कांग्रेस जिस तरह से तुष्टिकरण की लाइन लेती है, वो बात अब आम जनता भी महसूस करने लगी है ! बहुसंख्यक हिंदू समझ चुके हैं कि कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों के लिए सोचती है ! इसी के चलते बचे-खुचे हिंदू मतदाताओं ने भी कांग्रेस से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया ! लेकिन, सोनिया गांधी या राहुल गांधी ने फिर भी इस कड़वी सच्चाई से मुंह मोड़े रखा जिसके परिणाम स्वरुप कांग्रेस का अस्तित्व मिटता गया ! 

विकीलीक्स ने राहुल गांधी की अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से 20 जुलाई, 2009 को हुई बातचीत का एक ब्योरा देते हुए राहुल गांधी की जो बात सार्वजनिक की उसने देश के 100 करोड़ हिंदुओं के बारे में राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी की सोच को सबके सामने ला दिया था ! राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, ”भारत विरोधी मुस्लिम आतंकवादियों और वामपंथी आतंकवादियों से बड़ा खतरा देश के हिन्दू हैं !” अमेरिकी राजदूत के सामने दिया गया उनका ये बयान कांग्रेस की बुनियादी सोच को ही दर्शाता है !

तुष्टीकरण का कांग्रेसी इतिहास -

वन्देमातरम और कांग्रेस पार्टी 

आजादी के बाद यह तय था कि वंदे मातरम राष्ट्रगान होगा। लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध किया और कहा कि वंदे मातरम से मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंचेगी ! जबकि इससे पहले तक तमाम मुस्लिम नेता वंदे मातरम गाते थे ! नेहरू ने ये रुख लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों को शह दे दी ! जिसका नतीजा देश आज भी भुगत रहा है ! आज तो स्थिति यह है कि वंदेमातरम को जगह-जगह अपमानित करने की कोशिश होती है ! जहां भी इसका गायन होता है कट्टरपंथी मुसलमान बड़ी शान से बायकॉट करते हैं !

कांग्रेस का सोमनाथ मंदिर का विरोध 

गांधी और नेहरू ने हिंदुओं के सबसे अहम मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का विरोध किया था ! गांधी ने तो बाकायदा एतराज जताते हुए कहा था कि सरकारी खजाने का पैसा मंदिर निर्माण में नहीं लगना चाहिए, जबकि इस समय तक हिंदू मंदिरों में दान की बड़ी रकम सरकारी खजाने में जमा होनी शुरू हो चुकी थी ! जबकि सोमनाथ मंदिर के वक्त ही बाबरी, काशी विश्वनाथ और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के विवादों को भी हल किया जा सकता था, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं होने दिया !

नेहरु द्वारा “मुस्लिम कोड़ बिल” का विरोध 

जब संसद में १९५० में जब “मुस्लिम कोड़ बिल” लाने की बात हुई तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ये कहते हुए टाल दिया कि “अभी अभी पाकिस्तान से काफी मुस्लिम भारत में स्थानांतरित हुए है, ऐसे में हम अगर इस तरह का कोई बिल लाते है तो उनमें एक डर बैठ जायेगा, जब वो खुद को इस देश में सुरक्षित समझने लगेंगे तब हम इसपर बात करेंगे” पर दुर्भाग्य वश हम आज तक उनको सुरक्षित महसूस नहीं करवा सके, हाँ भाई नहीं तो “मुस्लिम कोड़ बिल” आ जाता कब का !

बीएचयू में हिंदू शब्द से एतराज

नेहरू और गांधी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदू शब्द पर आपत्ति थी ! दोनों चाहते थे कि इसे हटा दिया जाए ! इसके लिए उन्होंने महामना मदनमोहन मालवीय पर दबाव भी बनाया था ! जबकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से दोनों को ही कोई एतराज नहीं था !

‘भगवा आतंकवाद’ पर हिंदुओं को बदनाम करने का षड़यंत्र 

जिस हिंदू संस्कृति और सभ्यता की सहिष्णुता को पूरी दुनिया सराहती है, उसे भी बदनाम करने में कांग्रेस ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी ! 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस धमाके के संदिग्ध पाकिस्तानी आरोपी को साजिश के तहत छोड़ दिया गया और उनके स्थान पर निर्दोष हिन्दुओं को गिरफ्तार किया गया ! समझौता विस्फोट में राजनीतिक लाभ के लिए दिग्विजय सिंह, शिवराज पाटिल, सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद का जाल बुना और एक पूरे के पूरे समुदाय को बदनाम किया !

भगवान राम की तुलना तीन तलाक और हलाला से

16 मई, 2016 को तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही थी। बहस का विषय था कि ट्रिपल तलाक और हलाला मुस्लिम महिलाओं के लिए कितना अमानवीय है ! लेकिन सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और AIMPLB के वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक और हलाला की तुलना राम के अयोध्या में जन्म से कर डाली ! कपिल सिब्बल ने दलील दी है जिस तरह से राम हिंदुओं के लिए आस्था का सवाल हैं उसी तरह तीन तलाक मुसलमानों की आस्था का मसला है ! साफ है कि भगवान राम की तुलना, तीन तलाक और हलाला जैसी घटिया परंपराओं से करना कांग्रेस और उसके नेतृत्व की हिंदुओं की प्रति उनकी सोच को ही दर्शाता है !

हज के लिए सब्सिडी और अमरनाथ यात्रा पर टैक्स 

ये कांग्रेस सरकार ही थी जिसने हज पर जाने वाले मुसलमानों को सब्सिडी देने की शुरुआत की ! दुनिया के किसी दूसरे देश में ऐसी सब्सिडी नहीं दी जाती ! जबकि कांग्रेस सरकार ने अमरनाथ यात्रा पर खास तौर पर टैक्स लगाया ! इसके अलावा हिंदुओं की दूसरी धार्मिक यात्राओं के लिए भी बुनियादी ढांचा कभी विकसित नहीं होने दिया गया ! अब मोदी सरकार के आने के बाद उत्तराखंड के चारों धाम को जोड़ने का काम शुरू हुआ है !

26/11 हमले के पीछे हिंदुओं का हाथ बताया 

मुंबई हमले के बाद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसके पीछे हिंदू संगठनों की साजिश का दावा किया था ! दिग्विजय के इस बयान का पाकिस्तान ने खूब इस्तेमाल किया और आज भी जब इस हमले का जिक्र होता है तो पाकिस्तानी सरकार दिग्विजय के हवाले से यही साबित करती है कि हमले के पीछे आरएएस का हाथ है ! दिग्विजय के इस बयान पर उनके खिलाफ कांग्रेस ने कभी कोई कार्रवाई या खंडन तक नहीं किया !

मंदिर जाने वाले छेड़खानी करते हैं

राहुल गांधी ने कहा था कि जो लोग मंदिर जाते हैं वो लड़कियां छेड़ते हैं ! यह बयान भी कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व की हिंदू विरोधी सोच की निशानी थी ! यह अलग बात कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद खुद राहुल गांधी कई मंदिरों के चक्कर काट चुके हैं ! हालांकि उनकी मां सोनिया अब भी ऐसा कुछ नहीं करती हैं जिससे यह सन्देश जाए कि उनका हिंदू धर्म से कोई नाता है !

राम सेतु पर हलफनामा

2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि चूंकि राम, सीता, हनुमान और वाल्मिकी वगैरह काल्पनिक किरदार हैं इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है ! जब बीजेपी ने इस मामले को जोरशोर से उठाया तब जाकर मनमोहन सरकार को पैर वापस खींचने पड़े ! हालांकि बाद के दौर में भी कांग्रेस रामसेतु को तोड़ने के पक्ष में दिखती रही है !

सेना में फूट डालने की कोशिश

सोनिया गांधी के वक्त में भारतीय सेना को जाति और धर्म में बांटने की बड़ी कोशिश हुई थी ! तब सच्चर कमेटी की सिफारिश के आधार पर सेना में मुसलमानों पर सर्वे की बात कही गई थी ! बीजेपी के विरोध के बाद मामला दब गया, लेकिन इसे देश की सेनाओं को तोड़ने की गंभीर कोशिश के तौर पर आज भी देखा जाता है !

इसाई मिशनरियों को बढ़ावा 

यह बात भी ऐतिहासिक तथ्य है कि राजनीति में सोनिया गांधी के बढ़ते असर के साथ देश में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियां भी बढ़ी हैं ! पहले राजीव गांधी और बाद में मनमोहन सिंह के काल में ईसाई मिशनरियों को उन इलाकों में भी गतिविधियां चलाने की इजाज़त दी गई जो आदिवासी होने के कारण संरक्षित माने जाते हैं ! नतीजा ये निकला कि बीते करीब 3 दशक में देश के तमाम आदिवासी इलाके ईसाई मिशनरियों के चंगुल में फंस चुके हैं ! जबकि इसी दौरान हिंदू संगठनों के लिए इन इलाकों में काम करना लगभग नामुमकिन बना दिया गया !

कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारें भी हिंदू परंपरा और धर्म का उपहास उड़ाती रही हैं ! आरोप तो यहां तक हैं कि ऐसे लोगों को इतिहास लिखने को दिया गया, जिन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर हिंदुओं को बदनाम किया ! हिंदू कोड बिल लेकर आने वाली कांग्रेस ने हमेशा कॉमन सिविल कोड का विरोध किया और ट्रिपल तलाक के मसले को साजिश ठहराने की कोशिश की ! 2012 में मनमोहन सिंह की सरकार ने मुस्लिम आरक्षण विधेयक लाकर अपना असली चेहरा दिखा दिया था ! यही नहीं जब पिछले साल मोदी सरकार ने असम में हिंदुओं और गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने का फैसला किया, तो कांग्रेस ने उसका विरोध किया ! इसके साथ ही जबरिया धर्म-परिवर्तन के हर मामले में कांग्रेस गैर-हिंदुओं के साथ खड़ी रही ! लेकिन जब कोई हिंदू बना तो उसे गलत करार देने में पल भर का भी समय नहीं लिया !

दिवाकर शर्मा
सम्पादक - क्रांतिदूत डॉट इन
प्रदेश अध्यक्ष - भारत संस्कृति न्यास मध्यप्रदेश