मंगल पांडेय और पं बाजीराव महज आवारा आशिक थे ? - संजय तिवारी

मंगल पांडेय ने तो शायद अपने जीवन में कभी कोठा या तवायफ शब्द भी नहीं सुना था। ब्रह्मर्षि भृगु की धरती के इस पवित्र ब्राह्मण सैनिक को मियाँ आमिर ने तवायफ के कोठे पर दिखा दिया। किसी ने कोई विरोध या टिपण्णी नहीं की। तब यह देश सुरक्षित था। दुनिया के सबसे बड़े योद्धा वीर पंडित बाजीराव को इसी संजय लीला ने महज एक आशिक बनाकर नचा दिया , किसी ने कोई प्रतिवाद नहीं किया। तब भी यह देश सुरक्षित था। मंगल पांडेय और बाजीराव के इतिहास भी उतना गहरा रसातल का नहीं है। बहुत नया है और सभी को मालूम है। भारत के इन दोनों वीर सपूतो को महज एक प्रेमी आशिक आवारा जैसा दिखाने वाले बॉलीवुड के किसी ज्ञानी को दिक्कत नहीं हुई न ही तब किसी भारत में पैदा होने का दुःख दिखा। ये भारत की सनातन परंपरा पर चाहे जितने चोट करें , करने दिया जाय तो भारत ठीक और जरा सा विरोध हुआ नहीं कि भारत रहने लायक नहीं रह जाता। 

मैं तो कहता हूँ कि जिसे भी भारत रहने लायक नहीं लग रहा हो वह कृपा कर भारत से बाहर चला जाय। जिसे भारतीय होने में शर्म आ रही हो वह भी तत्काल इस मुल्क को छोड़ दे। भारत सरकार को भी यह ऐलान कर देना चाहिए की जो देश में नहीं रहना चाहता उसे बाहर जरूर जाना चाहिए। बात केवल पद्मिनी जैसी एक फिल्म की नहीं है। बात यह है कि देश में रह कर देश की माताओ बहनो की महान विरासत को बदनाम करने की अनुमति तो यह देश नहीं ही देगा। तुम अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर केवल सनातन भारतीय तथ्यों और आस्थाओ से ही क्यों खेलना चाहते हो ? जरा कभी हिम्मत कर के किसी दूसरे सम्प्रदाय के किसी प्रतीक से भी छेड़छेड़ कर के देखते ? मुंबई की फ़िल्मी दुनिया में ऐसी सैकड़ो फिल्मे हैं जो बन कर डब्बो में बंद है। आपातकाल के दौरान बनी किस्सा कुर्सी का जैसी फिल्म को तो सरकार ने ही प्रतिबंधित किया था। तब किसी ने नहीं कहा कि यह देश रहने लायक नहीं है। 

सती प्रथा भारत में प्रतिबंधित है। सती (रोकथाम) अधिनियम, 1987 राजस्थान सरकार द्वारा १९८७ में कानून बनाया। १९८८ में भारत सरकार ने इसे संघीय कानून में शामिल किया। यह कानून सती प्रथा की रोकथाम के लिए बनाया गया जिसमें जीवित विधवाओं को जिन्दा जला दिया जाता था। इसके बावजूद इसका बढ़ाकर प्रचार किया जा रहा है। इससे एक्ट का उल्लंघन होने के साथ नई पीढ़ी पर इसका गलत असर पड़ सकता है।सती प्रथा उन्मूलन क़ानून के अनुसार यदि कोई स्त्री सती होने की कोशिश करती है उसे छः महीने कैद तथा जुर्माने की सजा होगी। यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को सती होने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित करे या उसको सती होने में सहायता करे तो उसे मृत्यु दण्ड या उम्रकैद तक की सजा होगी। सती प्रथा की समाप्ति के लिए कितने प्रयास हुए यह किसी से छिपा नहीं है। ये प्रयास ब्रिटिश काल में राजा राममोहन राय के प्रयासों से प्रभावित थे। ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा या विधवा स्त्री को जिन्दा जलाने की प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया और इसे आपराधिक हत्या घोषित कर दिया। 1829 का सती प्रथा उन्मूलन कानून पहले बंगाल तक सीमित था लेकिन 1830 में उसे कुछ संसोधनों के साथ मद्रास व बम्बई प्रेसिडेसियों में भी लागू कर दिया गया। आज भारत में सती प्रथा नहीं है और इसे प्रोत्साहित करने या दिखाने की भी अनुमति नहीं है। ऐसे में एक बड़ा प्रश्न तो यह भी है कि भारत के फिल्मकार आखिर ऐसी प्रथा को दिखाने के लिए इतने परेशान ही क्यों हैं ?

पद्मावती के साथ ही अब और भी बहुत सी बाते तय हो जानी चाहिए। यह भी तय हो जाना चाहिए कि सेक्सी दुर्गा बना कर अभिव्यक्ति की आजादी चाहने वालो का क्या करना है। यह भी तय हो जाना चाहिए कि देश की संस्कृति और सनातनता से खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जा सकती। आमिर खान और शाहरुख़ खान को दीपिका की तो खूब चिंता है लेकिन उन करोडो लोगो की भावनाएं इनके लिए कोई मायने नहीं रखतीं जिनको आहत कर दिया गया है। आमिर खान और शाहरुख खान दोनों ने दीपिका से फोन पर बातचीत कर उन्हें भरोसा दिलाया है कि वे उनके साथ खड़े हैं। यह भी कहा है कि अगर उन्हें किसी भी तरह की जरूरत पड़ेगी तो वे उनके साथ स्टैंड लेंगे। रोनित रॉय के भाई रोहित रॉय ने एक ट्वीट करते हुए कहा है, ‘पहली बार मैं इस बात को लेकर दुखी, निराश और क्रोधित हूं कि मुझे भारतीय होने पर दुःख है। बी-टाउन के कई सितारों ने इस विवाद को दुखद बताया है और कहा है अजीब है अब हम अपने ही देश में सिक्योर नहीं हैं।

इस बीच एक अच्छी सूचना है। 'पद्मावती' के रिलीज होने की डेट को लेकर जहां हर तरफ हंगामा चल रहा है। इस मामले पर गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली व कलाकारों समेत 45 के खिलाफ डाली गई याचिका स्वीकार कर ली गई है। कोर्ट ने वादी के बयान दर्ज करने के लिए 15 दिसंबर की तिथि निश्चित की है। सूरजपुर स्थित जिला न्यायालय के अधिवक्ता लखन भाटी ने बताया कि अधिवक्ता पवन चैधरी ने पद्मावती फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली अभिनेत्री दीपिका पादूकोण और अभिनेता रणवीर सिंह व शाहिद कपूर समेत 45 लोगों के खिलाफ केस चलाने को सोमवार को याचिका दी थी। अदालत में मंगलवार को याचिका पर सुनवाई हुई। अधिवक्ता लखन भाटी का कहना है कि अदालत ने याचिका स्वीकार कर वादी के बयान दर्ज कराने के लिए 15 दिसंबर की तिथि निश्चित की है

लेखक भारत संस्कृति न्यास नयी दिल्ली के अध्यक्ष हैं

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