ममता द्वारा आधार कार्ड और मोबाइल लिंकिंग का विरोध, आतंकवादियों को बचाने की साजिश


यह सच है कि प्रारम्भ में तो आधार का उपयोग केवल अपात्रों द्वारा ली जा रही सब्सिडी को रोकने के उपकरण के तौर पर ही उपयोग करने का विचार था, लेकिन जैसे जैसे समय बीता, इसके अन्य उपयोग भी समझ में आने लगे । 

जहाँ तक सब्सिडी का सवाल है, सरकार ने नकली उपयोगकर्ताओं को रोक कर अब तक 57,000 करोड़ रुपये बचाए हैं। आधार का उपयोग कर अकेले एलपीजी में ही 3.5 करोड़ नकली उपयोगकर्ताओं की छटनी हुई | वित्त वर्ष 2014 में जहाँ लोगों को 7,367 करोड़ रुपये का लाभ दिया गया, वहीं वित्त वर्ष 17 में यह 10 गुना बढ़कर 74,607 करोड़ रुपये हो गया । खाद्यान्न सब्सिडी के मामले में, राशन कार्ड से आधार को जोड़ने के फलस्वरूप 2.3 करोड़ रुपये नगद देने के स्थान पर सीधे बैंक खातों में भेजे गए | इसके कारण वित्त वर्ष 17 में 14,000 करोड़ रुपये की बचत हुई । 

करीब 82% राशन कार्ड को अब तक आधार से जोड़ा गया है, और यहां तक ​​कि कई राज्यों में तो पीओएस मशीन भी हैं, ताकि राशन लेने वाले व्यक्ति की तुरंत जांच की जा सके । यदि सभी राज्य सरकारें सहमत हो जाएँ तथा पूरे देश में सब्सिडी को आधार-लिंक्ड बैंक खातों में जमा किया जाना सुनिश्चित हो जाए तो 38,000 करोड़ रुपये का सब्सिडी रिसाव भी कम हो सकता है ।

अब आते हैं मूल विषय पर | यह जाना माना तथ्य है कि आतंकवादी मोबाइल फोन प्राप्त करने के लिए नकली आईडी का उपयोग करते हैं, आधार कार्ड से मोवाईल लिंक होने पर जहाँ एक ओर तो उन्हें मोवाईल मिलना दूभर हो जाएगा, वहीँ दूसरी ओर उनका पता लगाने में भी गुप्तचर एजेंसियां सक्षम हो जायेंगी | तो ऐसा अवसर क्यूं छोड़ा जाए ?

लेकिन ममता बनर्जी जैसे राजनेताओं को क्या कहा जाए, जो मोबाइल फोन से आधार नंबर को अनिवार्य रूप से लिंक करने के सरकार के निर्देश के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी के बाद सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँच रहे हैं | हैरत होती है कि राजनेता अपने वोट बैंक के लालच में किस हद तक गिर सकते हैं | इसे देश का दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहा जाए ? 

आधार पर कार्य शुरू होने के बाद, सरकार ने पाया कि इसके कई अन्य उपयोग संभव हैं, जैसे कि आधार यूपीआई का ह्रदय है | नॅशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इण्डिया ने इसे एक कुशल, कम लागत वाली और सुरक्षित भुगतान प्रणाली के रूप में विकसित किया है | यहां तक ​​कि प्रधान मंत्री द्वारा शुरू की गई भीम ऐप भी यूपीआई पर आधारित है। इसी तरह, टैक्समेन के सामने बड़े लेनदेन में कर चोरी करने वालों को पकड़ने में नकली पैन कार्ड एक बड़ी समस्या था | महंगे गहने खरीदने वाला व्यक्ति नकली पैन कार्ड का उपयोग करते थे, जिसके कारण करदाता का डेटा मिलता ही नहीं था । इसी कारण आधार के साथ पैन कार्ड जोड़ने पर जोर दिया गया, तथा उसके अपेक्षित परिणाम भी प्राप्त होने लगे । 

इसी प्रकार नकली ड्राइविंग लाइसेंस भी एक बड़ी चुनौती हैं, अतः आधार के साथ ड्राईविंग लाइसेंस को भी जोड़ने की योजना है। आधार के साथ मोबाइल फोन को जोड़ने की योजना भी इसी प्रकृति की है | मोवाईल कनेक्शन नकली पहचान पत्र देकर प्राप्त करना उसके बाद कठिन हो जायगा । इसी प्रकार आतंकवादी हमले या मोवाईल चोरी होने पर पुलिस आसानी से उस व्यक्ति को खोज सकेगी जिसने इसे खरीदा था। 

यह वह बिंदु है, जिस पर ममता बनर्जी को आपत्ति है | व इसे निजता और गोपनीयता पर आक्रमण बता रही हैं । सामान्य परिस्थितियों में भी किसी व्यक्ति से शासकीय अधिकारी उसकी पहचान पूछते हैं, क्या पता आगे चलकर ममता जैसे राजनेता ड्राइविंग लाइसेंस या पैन कार्ड दिखाने का भी विरोध करने लगें ? आखिर यह भी तो निजता का हनन है ? क्या वह गोपनीयता पर आक्रमण नहीं माना जाना चाहिए ? 

सरकार को इस दबाव के सामने नहीं झुकना चाहिए और सख्ती से पेश आना चाहिए । राष्ट्रहित सर्वोपरि है |

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