सात दिवसीय 'तृतीय अंतर्राष्ट्रीय खजुराहो फ़िल्म फेस्टिवल २०१७' का रंगारंग समापन

"तृतीय खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव २०१७" में बुंदेली संस्कृति की स्वर्णिम छाप और मुम्बई की मुम्बईया प्रस्तुतियों का मिला-जुला प्रभाव जनता जनार्दन को अगले 'चतुर्थ खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव' की प्रतीक्षा दे गया है। इस अंतर्राष्ट्रीय महाकुंभ को बुंदेली धरती पर अवतरित करने का सारा श्रेय राजा बुंदेला को जाता है। निर्देशक, एक्टर और प्रयास प्रोडक्शन के प्रमुख राजा बुन्देला एक सर्वकालिक व्यक्तित्व हैं जो किसी भी परिचय के मोहताज नहीं। प्रयास प्रोडक्शन से मुझे चाँद चाहिए, ये शादी नहीं हो सकती, कोलगेट टॉप टेन, राजपथ, ओ मारिया इत्यादि उल्लेखनीय सीरियल रहे। राजा बुंदेला ने फ़िल्म इंडस्ट्री के कई मशहूर हस्तियों को उनके शुरुआती दौर में इंडस्ट्री से रूबरू करवाया जो आज इंडस्ट्री में अपनी पहचान रखते हैं, ये नाम प्रमुख हैं- इरफान खान, सतीश कौशिक, आर्ट डायरेक्टर जयंत देशमुख। जयंत देशमुख हिंदी फ़िल्म जगत के मशहूर कलानिर्देशक हैं;

राजा बुंदेला जिनका, बुन्देलखण्ड की माटी से लगाव सर्वविदित है, राजनैतिक रूप से हाशिये पर डाल दिये गए बुंदेलखण्ड क्षेत्र को देश के मानचित्र पर उचित स्थान दिलाने के लिये सतत प्रयासरत रहे। उन्होंने इसके लिये कई जनांदोलन चलाये। राजा बुंदेला इस महोत्सव की आधारशिला, इस विचार के जन्मदाता हैं उन्होंने इसे मूर्त रूप में साकार किया।

अपने शुरुआती दौर में 2015 में यह महोत्सव तीन दिनी रहा जबकि वर्ष 2016 में यह पाँच दिनों तक मनाया गया। इसकी सफलता के आयाम इस वर्ष इसे सफलता के सात दिन दे गए।

इन सात दिनों में देश दुनिया से आये हुए अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाकारों ने शिरक़त की। जहाँ तमाम सिने-अभिनेता जनता के आकर्षण का केंद्र रहे तो वहीं दूसरी ओर बुंदेली संस्कृति को विश्वव्यापी मंच मिला।

सिने जगत के प्रसिद्ध चेहरे जिन्होंने एक सदी फ़िल्म जगत पर राज किया, महोत्सव के विशेष आकर्षण के केंद्र रहे। बॉलीवुड के इकलौते हीरो जैकी श्रॉफ ने पूरा दिन अपने रंग में रंग दिया तो खलनायक रंजीत कपूर के चहेते सम्वाद 'पापा' कहने से दर्शकदीर्घा झूम उठी। सदी के स्थापित खलनायक प्रेम चोपड़ा ने जब अपना पसंदीदा डायलॉग बोला 'प्रेम नाम है मेरा प्रेम चोपड़ा' तो सदन में तालियों गड़गड़ाहट गूंज गयी।

फिल्मकार शेखर कपूर को 'भारत गौरव सम्मान' प्रदान कर इस महोत्सव का श्रीगणेश हुआ। जाने माने फ़िल्म निर्माता निर्देशक रमेश सिप्पी, गोविंद निहलानी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में फ़िल्म निर्माण से सम्बंधित प्रश्नोत्तर काल रखा गया। महोत्सव प्रारम्भ होने के पूर्व दिन का फ़िल्म मेकिंग और रंगकर्म की कार्यशाला सिने जगत व रंगमंच के हस्ताक्षर सुप्रसिद्ध हस्ती सुष्मिता मुखर्जी, मीता वशिष्ठ और मनोहर खुशलानी के संरक्षण में आयोजित की गई, जिसमें मध्यप्रदेश के कई गाँव-शहर से साथ ही स्थानीय नवांकुर शामिल हुए। जिनमें से तीन नवोदित युवा अनुपम खैर, सुभाष घई, और रमेश सिप्पी की अकादमी में प्रशिक्षित होने को चयनित हुए। महोत्सव के मुख्य व्यवस्थापक की महती भूमिका में फ़िल्म डायरेक्टर राम बुंदेला एवं उनके सहयोगी ललितपुर से निकल के मुम्बई पहुंच के डारेक्शन में अपनी पहचान बनाने वाले राकेश साहू और जगमोहन जोशी (प्रोडक्शन मैनेज हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री) थे। मुख्य आमंत्रित सदस्य के रूप में बलविंदर राल (बिल्लू जी) थे, जो तकरीबन तैतीस सालों से हिंदी सिनेमा जगत में बतौर फ़िल्म-सम्पादन (एडिटर) के रूप में स्थापित हैं।

इस सात दिवसीय 'तृतीय अंतर्राष्ट्रीय खजुराहो फ़िल्म फेस्टिवल २०१७' के समापन समारोह का मुख्य आतिथ्य हरियाणा के राज्यपाल महामहिम कप्तान सिंह सोलंकी ने किया।

इस फ़िल्म महोत्सव का विशेष आकर्षण खजुराहो में लगाई गईं पांच टपरा टॉकीज रहीं। जिन में दिन भर निःशुल्क फिल्में चलाई गईं जो किसान, महिला, सैनिक, बेटी पर आधारित थी। टपरा टॉकीज की परिकल्पना इस बात के मद्देनजर की गई क्योंकि क्षेत्र में फ़िल्म थियेटर नगण्य हैं, जिनसे कई अच्छी फिल्मों की दर्शकों तक पहुंच नहीं हो पाती। इन टपरा टॉकीज में उन क्षेत्रीय फिल्मों को स्थान मिला। जो कि कहीं भी प्रदर्शित नहीं हो पाती हैं। साथ ही बुंदेली व्यंजन की भी व्यवस्था की गई जिसे दर्शक दीर्घा ने खूब सराहा। 

राजा बुंदेला अपने प्रयास से बुंदेलखण्ड के उन गाँव, कस्बों और शहरों की दहलीज तक, जहां तक फिल्में पहुंचना भी मुश्किल थीं, वहाँ वे फ़िल्मक्षेत्र की मशहूर हस्तियों को ले आये। बुंदेलखण्डवासियों का इन हस्तियों से रूबरू होना एक विशाल उपलब्धि रही। इनमें उल्लेखनीय नाम हैं अभिनेता-अभिनेत्री कँवलजीत, अनुराधा पटेल, सुशांत सिंह, अमित बहल, गुलशन पांडेय थे।

राजा बुंदेला ने सातों दिन रंगारंग सांस्कृतिक प्रोग्राम के संचालन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी टीकमगढ़ नगर की प्रसिद्ध कवयित्री, साहित्यकार, रंगकर्मी गीतिका वेदिका को सौंपी। सात दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में उमड़ने वाली हज़ारों की भीड़ ने अपनी सफलता की कहानी खुदबखुद बयां की। यह फ़िल्म फेस्टिवल से कहीं अधिक जन-जन का महोत्सव लगा। यह अद्वितीय त्योहार फ़िल्म-महोत्सव महान अभिनेता स्वर्गीय शशि कपूर, ओमपुरी एवं टॉम आल्टर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि के साथ समर्पित किया गया।


गीतिका वेदिका 
साहित्यकार, गीतकार 
टीकमगढ़ (म. प्र.)

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