केरल की हत्यारी राजनीति - केरल के सर्वदलीय नेताओं का द्रष्टिकोण - तटस्थ समाचार !


घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र केरल आजकल राजनीतिक हत्याओं का केंद्र बिंदु बना हुआ है, वह भी खासकर मुख्यमंत्री पीनारई विजयन के निर्वाचन क्षेत्र कन्नूर में। देश में सर्वाधिक साक्षरता प्रतिशत वाले केरल के लिए यह कितने शर्म की बात है, कि आज वह राजनीतिक हत्याओं के लिए चर्चित है । इससे भी अधिक चिंताजनक और दुखद यह तथ्य है कि मारे जाने वाले लोग अतिशय सामान्य पृष्ठभूमि के हैं। कुर्सी के खेल में गरीबों की मौत हो रही है। 

हैदराबाद में आयोजित “इंडिया टुडे कॉनक्लेव साउथ 2018” के दूसरे दिन १९ जनवरी को विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाले केरल के नेताओं ने एक चर्चा के दौरान केरल में जारी राजनीतिक हत्याओं पर चिंता जताई। लेकिन उन्होंने राज्य में हुई हत्याओं के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया।

केरल में एनडीए संयोजक और राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि "किसी भी राज्य में, जहां पिछले 16 सालों में 176 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की बेरहमी से हत्या हुई हो, उस राज्य की राजनीतिक संस्कृति के लिए चिंता का विषय है | आंकड़ों के अनुसार मरने वालों में बीजेपी-आरएसएस के ६५, वामपंथी 80, मुस्लिम लीग और कांग्रेस के 11 कार्यकर्ता शामिल हैं, जो स्वाभाविक रूप से गलत है। "

चंद्रशेखर ने सत्तारूढ़ सीपीएम को राज्य में जारी राजनीतिक हत्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर "धमकी और हिंसा की राजनीति" को बढाने का आरोप लगाया है। साथ ही कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने केरल में एक ऐसी राजनीतिक संस्कृति विकसित की है, जो राजनीतिक हिंसा और हत्याओं को सामान्य मानती हैं।

1 9 52 में राज्य में पहली बार चुनाव हुए और उसके बाद वहां लगातार कांग्रेस की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार या वाम मोर्चे का शासन रहा । यह राज्य सरकारों का दायित्व था, कि वह हिंसा को रोकती ।

चंद्रशेखर द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब में, सीपीएम नेता केएन बालगोपाल ने कहा, "चंद्रशेखर द्वारा दिए गए आंकड़े गलत और तथ्यहीन हैं। उन्होंने कहा कि जब हम सत्ता में आए, उस वर्ष अर्थात २०१६ में कुल 14 राजनीतिक हत्याएं हुईं, लेकिन पिछले साल केवल पांच घटनाएँ हुईं । सरकार सभी अपराधों में संज्ञान ले रही है और यही कारण है कि राज्य में सजा का प्रतिशत 80 है |

कन्नूर और शेष केरल में हिंसा और राजनीतिक हत्याओं के लिए आरएसएस को दोषी ठहराते हुए, बालगोपाल ने कहा, "2016 में, जब हमारे कार्यकर्ता विजय जुलूस निकाल रहे थे, तब आरएसएस के लोगों ने उन पर हमला किया, जिसमें हमारे एक कार्यकर्ता की मृत्यु हुई । किन्तु आरएसएस के लोग झूठा प्रचार कर रहे हैं । "

आरएसएस से सम्बद्ध संगठन प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंदकुमार ने वामपंथियों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, कि यदि आरएसएस राजनीतिक हत्याओं में शामिल होता, तो मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर ऐसा क्यों नहीं होता है जहां भाजपा सत्तारूढ़ है? केरल में ऐसा क्यों हो रहा है?

"यदि आप सही तस्वीर जानना चाहते हैं, तो आपको 1948 से आरम्भ करना होगा, जब आरएसए केरल में जन्म ही ले रहा था और गुरु गोलवलकर के कार्यक्रम पर हमला किया गया था ... अभी दो हफ्ते पहले की ही बात है, जब भाजपा की एक सांसद ने त्रिपुरा का दौरा किया, जहां सात भाजपा कार्यकर्ता मारे गए थे। बाद में उन्होंने लिखा कि कन्नूर मॉडल को त्रिपुरा में भी आयात किया जा रहा है ।

नंदकुमार ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में भी वाम मोर्चे के शासनकाल में सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता मारे गए थे। "हम कभी बदला लेने को हत्या नहीं करते? हम शांति के पक्षधर हैं। यह केवल माकपा के लोग हैं, जो हर जगह अपने प्रतिद्वंद्वियों को मार रहे हैं।"

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