गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज न्यूटन से हजार वर्ष पूर्व कर चुके थे विलक्षण भारतीय ज्योतिषाचार्य ब्रह्मगुप्त द्वितीय


आज तक हम लोग यही पढ़ते आए हैं कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत आईजैक न्यूटन ने दिया है ! लेकिन क्या आप जानते है कि न्यूटन से हजार वर्ष पूर्व एक विलक्षण भारतीय ज्योतिषाचार्य ने इस नियम की खोज कर ली थी ? राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से पूर्व ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था ! इसके साथ ही उन्होंने इस बात को पाठ्यक्रम में भी लाने की अपील भी की है ! उनका कहना है कि इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं और इसलिए बच्चों को इस बारे में जानना चाहिए ! इसके बाद कम्युनिष्ट प्रजाति ने उनक इस बयान का मजाक बनाना प्रारंभ कर दिया है ! कम्युनिष्टों ने राजस्थान के शिक्षा मंत्री के इस बयान को मूर्खतापूर्ण बताना प्रारंभ कर दिया है !

राजस्थान विश्वविद्यालय में एक समारोह को संबोधित करते हुए देवनानी कहा था कि हम सब ने पढ़ा है कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन ने दिया था, लेकिन गहराई में जाने पर पता चलेगा कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से 1000 वर्ष पहले ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था ! उऩ्होंने कहा था कि हमें अपने स्कूली पाठ्यक्रम में इस तथ्य को क्यों नहीं शामिल करना चाहिए ! यह प्रणाली बाद में आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई थी ! देवनानी के अनुसार स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव कर राजपूत राजा महाराणा प्रताप सहित 200 महान भारतीय विभूतियों को शामिल किया गया है ! उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर बल देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों को इससे जोड़ना चाहिए ! उऩ्होंने अकबर महान के बारे में बात की औऱ कहा कि अब लोग महाराणा प्रताप के बारे में पढ़ेंगे। देवनानी ने कहा कि राजस्थान में दिल्ली की तरह कोई कन्हैया पैदा नहीं हो, इस बात का ध्यान विश्वविद्यालयों को रखना चाहिए !

अब आप समझ सकते है कि देवनानी की बातों से कम्युनिष्टों को पीढ़ा आखिर क्योँ हो रही है ! असल में देवनानी के द्वारा दिया गया बयान मूर्खतापूर्ण नहीं है बल्कि हम मूर्ख हैं कि कुछ शातिर धूर्त शिक्षाविदों ने हमें सत्य को जानने ही नहीं दिया ! हमें यही पढ़ाया गया है कि न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण की खोज की है ! इसलिए हमारा ज्ञान यही है ! अगर कोई कह दे कि नहीं, ब्रह्मगुप्त ने तो हजार साल पहले ये सूत्र लिख दिया था तो हम उस पर हंसते हैं ! यह कहने वाली की मूर्खता नहीं है ! मूर्खता हमारी है कि हमें सत्य जानने से रोक दिया गया है ! हमें यह समझा दिया गया है कि भारत के पंडित तो शंख बजाकर माल कूटते थे ! यही ब्राह्मणवाद था जिससे मुक्ति के लिए हम साइंटिस्ट हुए जा रहे हैं ! यह कभी नहीं बताया गया कि इन्हीं पंडितों, ऋषियों, आचार्यों ने कैसे कैसे विलक्षण वैज्ञानिक खोज किये हैं !

ब्रह्मगुप्त ऐसे ही एक विलक्षण ज्योतिषाचार्य थे ! उनके ग्रंथ ब्रह्मस्फुतसिद्धांत में एत सूत्र है "शरीर भूमि पर इसलिए गिरता है क्योंकि भूमि अपनी तरफ आकर्षित करती है ! यह आकर्षण (खिंचाव) भूमि का गुण है वैसे ही जैसे बहा ले जाना जल का गुण होता है ! (६२८)" यह अंग्रेजी से अनुवाद से अनुवाद किये गए शब्द है अतः हो सकता है शब्द बिल्कुल वही न हों जो ब्रह्मगुप्त ने लिखा है लेकिन भाव वही है ! भूमि में आकर्षण का तत्व होता है ! वह अपनी तरफ खिंचती है ! वही बात जो आइजक न्यूटन ने गिरते सेब को देखकर महसूस किया था !
लेकिन हमें अपने ऊपर थूकने की ट्रेनिंग मिली है ! मैकाले ने जो शिक्षा पद्धति चलायी वह खुद को मूर्ख मानने की व्यवस्था थी ! दुर्भाग्य से सत्तर साल तक अपने आकाओं की सरकारों की छत्रछाया में कम्युनिस्टों ने उसी शिक्षा को और अधिक मजबूत कर दिया ! इसलिए आज जैसे ही कहीं ब्रह्मगुप्त का नाम आता है यही कम्युनिस्ट सबसे पहले मजाक उड़ाते है ! उन्हें लगता है कि उसकी साजिश नाकामयाब हो रही है ! इसलिए बौखलाहट में ऐसे लोगों का मजाक उड़ाता है जो सत्य दिखाते हैं
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